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महाकाल मंदिर में पहली बार पुजारी पर बड़ी कार्रवाई, बबलू गुरू को पुजारी प्रतिनिधि पद से हटाया

महाकाल मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप, शयन आरती में की थी कर्मचारी से अभद्रता

उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर के इतिहास में पहली बार मंदिर समिति ने किसी पुजारी पर कड़ी कार्रवाई करते हुए पुजारी प्रतिनिधि बबलू गुरू (प्रशांत शर्मा) को पुजारी पद से हटा कर मंदिर में पु्ररोहित के रूप में प्रवेश रोक दिया है। अब वे प्रशासक को सूचित कर सिर्फ आम दर्शनार्थी के रूप में मंदिर आ सकते हैं। बबलू गुरू पुजारी दिलीप गुरू के प्रतिनिधि हैं। दिलीप गुरू और प्रदीप गुरू के छोटे भाई बबलू गुरू पर मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है। साथ ही मंदिर के पुजारी दिलीप गुरु को भी भविष्य में ऐसी घटना घटित होने पर कठोर कार्यवाही की चेतावनी दी है।

12 अप्रैल 2025 को शयन आरती के समय मंदिर के कर्मचारी शुभम् से विवाद करने वाले बबलू गुरु पर मंदिर प्रशासक ने कार्यवाही की है। वहीं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक ने पुजारी दिलीप गुरु को पत्र लिखकर चेतावनी देते हुए कहा है कि भविष्य में उनके या प्रतिनिधियों द्वारा इस प्रकार की घटना को अंजाम दिया गया तो उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

मंदिर प्रशासन की बड़ी कार्यवाही

मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक की ओर से जारी पत्र के मुताबिक महाकाल मंदिर की छवि धूमिल करने वाले पुजारी प्रतिनिधि बबलू गुरू को मंदिर अधिनियमों के अनुसार पुजारी दिलीप गुरू के प्रतिनिधि पद से हटा दिया है। पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि अब प्रशांत गुरू किसी भी यजमान को पूजन नहीं करवा सकेंगे।

सामान्य दर्शनार्थी की तरह कतार में आ सकते हैं महाकाल

महाकाल मंदिर प्रशासक की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि वह केवल सामान्य श्रद्धालुओं की तरह कतार में लगकर ही बाबा का दर्शन लाभ ले सकेंगे या मंदिर में प्रवेश कर पाएंगे। बबलू गुरू को मंदिर में आने से पहले प्रशासक कार्यालय में सूचना भी देना होगी। साथ ही इस आदेश के क्रम में अधिकृत पुजारी पं. दिलीप शर्मा को सचेत करते हुए चेतावनी दी कि यदि भविष्य में उनके अथवा उनके प्रतिनिधि द्वारा किसी भी प्रकार की छवि धूमिल की जाती है, तो उनके विरुद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम के तहत कठोर कार्यवाही की जाएगी।

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12 अप्रैल को शयन आरती के वक्त हुआ था विवाद

आरोप है कि पुजारी प्रतिनिधि बबलू गुरू और कर्मचारी शुभम गौड़ के बीच 12 अप्रैल 2025 को शयन आरती के वक्त विवाद हुआ था। जिसकी जांच करते हुए मंदिर के अंदर हुई घटना के संबंध में जानकारी ली गई थी। जांच में पाया गया कि बबलू गुरू ने रात करीब 10 बजे नंदी मंडपम में लगे बैरिकेट पर चढक़र नगाड़ा गेट पर खड़े यजमानों को नंदी मंडपम में प्रवेश कराने की कोशिश की। इस दौरान नंदी मंडपम में ड्यूटी कर रहे निरीक्षक शुभम गौड़ से उनका विवाद हुआ। वीडियो में बबलू गुरू द्वारा झूमाझटकी देखी गई। निरीक्षक के साथ इस प्रकार का अशोभनीय व्यवहार मंदिर की गरिमा के अनुकूल प्रदर्शित नहीं हुआ। इस कारण बबलू गुरू द्वारा किए गए कृत्य को लेकर श्री महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम की धारा 18 (02) के तहत सुनवाई की गई थी। इसको लेकर बबलू गुरू को कारण बताओ सूचना पत्र 14 मई 2025 को जारी किया था। जिसमें उन्हें दो दिन में जवाब प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया गया। लेकिन उन्होंने 13 दिन के बाद 29 मई 2025 को जवाब प्रस्तुत किया।

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निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे कलेक्टर से-बबलू गुरू

इस मामले में बबलू गुरू ने बताया कि यह महाकाल मंदिर समिति की एकपक्षीय कार्रवाई है। उन्होंने मेरा पक्ष सुना ही नहीं। घटना के दिन वो आरती पुजारी के रूप में वहां मौजूद थे। आरती के एक घंटे पहले ही नंदी हाल में ढेर लोगों को बैठा रखा था। कुछ लोग नगाड़ा गेट के वहां खड़े थे जो उनके यजमान भी नहीं थे। उनके द्वारा उन्हें भी अंदर बैठा लेने का कहा गया तो उनसे अभद्र भाषा में बात कर धमकी दी गई। महाकाल पर पूरा विश्वास है, उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। वे कलेक्टर से निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे।

-हरिओम राय

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