अगस्त 2025 में खुदरा महंगाई बढ़कर 2.07% हुई
अगस्त में, महीने-दर-महीने के आधार पर खाद्य महंगाई दर -1.76% से बढ़कर -0.69% हो गई

अगस्त 2025 में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) जुलाई के 1.61% से बढ़कर 2.07% पर पहुंच गई है। यह मामूली वृद्धि मुख्य रूप से खाने-पीने की कुछ वस्तुओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है। सरकार ने 12 सितंबर, 2025 को इसके आधिकारिक आंकड़े जारी किए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य महंगाई को 4% ± 2% की सीमा में नियंत्रित रखना है, और वर्तमान दरें इस लक्ष्य के भीतर ही हैं।
महंगाई बढ़ने के मुख्य कारण
महंगाई की गणना में, खाने-पीने की वस्तुओं का योगदान लगभग 50% होता है, और इनकी कीमतों में आए बदलाव का सीधा असर कुल महंगाई पर पड़ता है। अगस्त में, महीने-दर-महीने के आधार पर खाद्य महंगाई दर -1.76% से बढ़कर -0.69% हो गई।
इसके अलावा, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महंगाई में वृद्धि देखी गई है:
- ग्रामीण महंगाई: यह जुलाई में 1.18% से बढ़कर अगस्त में 1.69% हो गई।
- शहरी महंगाई: यह जुलाई में 2.10% से बढ़कर अगस्त में 2.47% हो गई।
RBI का अनुमान
4 से 6 अगस्त, 2025 को हुई अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया था। यह दर्शाता है कि RBI को उम्मीद है कि आने वाले समय में महंगाई दर में और कमी आएगी।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना या घटना मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) पर निर्भर करता है।
- जब मांग बढ़ती है: अगर लोगों के पास ज्यादा पैसा होता है, तो वे अधिक चीजें खरीदते हैं। इससे वस्तुओं की मांग बढ़ती है। अगर मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पाती, तो कीमतों में वृद्धि होती है, जिससे बाजार में महंगाई आती है। सीधे शब्दों में कहें तो, बाजार में पैसे का अधिक बहाव या वस्तुओं की कमी महंगाई का कारण बनती है।
- जब मांग घटती है: यदि मांग कम होती है और आपूर्ति ज्यादा, तो वस्तुओं की कीमतें कम हो जाती हैं, जिससे महंगाई घटती है।
महंगाई को मापने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) का उपयोग किया जाता है। CPI एक ग्राहक के रूप में हमारे द्वारा खरीदे जाने वाले सामानों और सेवाओं की औसत कीमतों में होने वाले बदलाव को मापता है।