
इन दिनों में दस महाविद्याओं के लिए की जाती है साधना
समाचार आज @ उज्जैन
देवी उपासना का पर्व नवरात्रि इस महीने की 19 तारीख से शुरू हो रहा है। विधान है कि इस दौरान सिर्फ देवी की उपासना करने से मनोकामनापूर्ण होती है।
19 जून से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। देवी पूजा का ये पर्व 27 जून तक रहेगा। गुप्त नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं की कृपा पाने के लिए साधना की जाती है। हिन्दी पंचांग के मुताबिक एक साल में चार बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़ में, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि गुप्त रहती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गुप्त नवरात्रि में देवी सती की महाविद्याओं के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं।
जब बदलती है ऋतु, मनती है नवरात्रि
नवरात्रि का संबंध ऋतुओं से है। जब दो ऋतुओं का संधिकाल रहता है, उस समय देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। संधिकाल यानी एक ऋतु के खत्म होने का और दूसरी ऋतु के शुरू होने का समय। चैत्र मास की नवरात्रि के समय बसंत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। आषाढ़ मास की नवरात्रि के समय ग्रीष्म ऋतु खत्म होती है और वर्षा ऋतु शुरू होती है। आश्विन नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है। माघ मास की नवरात्रि के समय शीत ऋतु खत्म होती है और बसंत ऋतु शुरू होती है।
व्रत-उपवास से मिलता है पाचन तंत्र को आरोप
आयुर्वेद के अनुसार व्रत-उपवास करने से हमारे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। खान-पान में संयम रखने से हम बीमारियों से बचे रहते हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जब हम खान-पान में संयम रखते हैं तो आलस नहीं आता है और मन पूजा-पाठ में लगा रहता है। पूजा-पाठ के बाद एकाग्र मन के साथ किए गए अन्य कामों में भी सफलता मिलती है। नवरात्रि के दिनों में देवी मां के भक्त अन्न का त्याग करते हैं और शरीर को ऊर्जा मिलती रहे, इसके लिए फलाहार करते हैं। पूजा-पाठ जप, तप और साधनाओं से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं।