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इंदौर का मध्यस्थता मॉडल प्रदेश के लिए बना मिसाल: 5 हजार से अधिक मामलों का हुआ समाधान

इंदौर, मध्य प्रदेश: आपसी सुलह और समझौते के ज़रिए विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया मध्यस्थता ने इंदौर ज़िले में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। सिविल प्रक्रिया संहिता संशोधन अधिनियम 1999 की धारा 89 के तहत कानूनी मान्यता प्राप्त यह वैकल्पिक विवाद समाधान विधि, जो कि एक गैर-बाध्यकारी, निष्पक्ष, नि:शुल्क और स्वैच्छिक प्रक्रिया है, अब पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल बन गई है। इंदौर में अब तक 5 हज़ार से ज़्यादा मामलों का समाधान आपसी सहमति से कराया जा चुका है।

उच्च न्यायालय और ज़िला प्रशासन का सराहनीय सहयोग

उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया की पहल और कलेक्टर आशीष सिंह के मार्गदर्शन में ज़िला प्रशासन इंदौर इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू कर रहा है। पूर्व ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश शमीम अहमद के नेतृत्व में प्रशिक्षित मध्यस्थों की टीम ने यह अद्भुत सफलता हासिल की है।

गोपनीय प्रक्रिया से शांतिपूर्ण समाधान

इंदौर में वैवाहिक, पारिवारिक, कार्यालयीन और पड़ोसी विवादों को प्राथमिकता से मध्यस्थता प्रक्रिया में लिया जा रहा है। यह पूरी तरह से गोपनीय प्रक्रिया है, जो दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करते हुए पारंपरिक मुक़दमेबाज़ी की तुलना में शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान सुनिश्चित करती है। जनसुनवाई में आने वाले उपयुक्त मामलों को अब सीधे कलेक्टर कार्यालय स्थित मध्यस्थता केंद्र भेजा जाता है। नागरिकों के लिए इस सुविधा को और भी सुलभ बनाने के लिए ज़िले में 22 मध्यस्थता केंद्र सक्रिय हैं।

विविध समाजों और विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी

इंदौर का मध्यस्थता मॉडल इसकी व्यापक भागीदारी के लिए भी जाना जाता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सहित 27 विभिन्न समाजों के 123 वरिष्ठ जन इस अभियान से जुड़े हैं। इसके अलावा, पूर्व न्यायाधीश, डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता, समाजसेवी, सीए और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी भी मध्यस्थता समिति में शामिल हैं। इन सभी को 20 घंटे के विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के ज़रिए मध्यस्थ के तौर पर तैयार किया गया है। वर्तमान में 120 से ज़्यादा प्रशिक्षित मध्यस्थ इंदौर ज़िले में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। पिछले दो सालों में इन्होंने सैकड़ों जटिल मामलों का आपसी सहमति से समाधान कर न्यायालय का बहुमूल्य समय बचाया है। नागरिकों को मध्यस्थता प्रक्रिया के बारे में जानकारी देने और इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए लगातार जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की सराहना

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए बाणगंगा स्थित मध्यस्थता केंद्र का उद्घाटन किया था। उन्होंने इस प्रक्रिया की सराहना करते हुए कहा था कि इस प्रक्रिया में कोई हारता नहीं, दोनों पक्ष जीतते हैं।

समाज में संवाद, सम्मान और समाधान का आधार

इंदौर की यह पहल सिर्फ विवादों का समाधान नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका के सहायक के रूप में समाज में शांति, संवाद और सम्मान को बढ़ावा देने वाली एक मिसाल बन गई है। मध्यस्थता अब सिर्फ न्याय का विकल्प नहीं, बल्कि समाज सुधार की दिशा में एक प्रभावी क़दम साबित हो रही है।

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