इस बार सवारी में भक्तों का नहीं होगा अपमान

सवारी के पहले कलेक्टर ने बुलाई बैठक, पुजारियो से बेहतर व्यवहार की गुजारिश
समाचार आज @ उज्जैन
भगवान श्री महाकालेश्वर की पिछली सवारी में पालकी के नजदीक हुए धक्का-मुक्की के मामलों को प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए इस बार सवारी के एक दिन पहले सभी पंडे-पुजारी व कहारों की बैठक आयोजित कर उन्हें समझाइश दी है कि सवारी के दौरान दर्शनार्थियों के साथ बेहतर व्यवहार होना चाहिए।
महाकाल मंदिर के प्रशासनिक कार्यालय में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम व एसपी सचिन शर्मा ने भगवान महाकाल की अब तक निकली सवारियों की समीक्षा की। उन्होंने सवारियों में बेहतर व्यवस्था के लिए पुजारी व कहारों के सुझाव मांगे और साथ ही श्रद्धालुओं के साथ अच्छा व्यवहार करने का भी कहा है।
अगर हम चूक रहे हैं तो पालकी की सुरक्षा बढ़ाएं
बैठक में पुजारियों ने कहा कि सवारी के दौरान श्रद्धालु सुरक्षा घेरा तोड़कर पालकी के नजदीक प्रवेश कर जाते हैं। पुजारियों से धक्का मुक्की करते हैं। बीते दिनों इस प्रकार की घटना में एक पुजारी की पसली में चोट लग गई। हमारी मंशा कभी भी भक्तों के साथ दुर्व्यवहार की नहीं रहती है, परिस्थितिवश पालकी व भगवान की सुरक्षा के लिए भक्तों को सख्ती से हटाना पड़ता है। फिर भी प्रशासन को लगता है कि हमारी ओर से चूक हो रही है, तो पालकी की सुरक्षा बढ़ाई जाए। बैठक में प्रशासक संदीप कुमार सोनी, समिति सदस्य पुजारी प्रदीप गुरु, राजेंद्र शर्मा, पं.आशीष पुजारी, पं.बबलू गुरु, पं.जितेंद्र पुजारी आदि मौजूद थे।
पुजारियों ने यह भी कहा- झांझ डमरू दल व जनप्रतिनिधि पालकी के पीछे चलें
बैठक में पुजारियों ने सलाह दी है कि सवारी में भक्त भगवान महाकाल के दर्शन करने आते हैं, इसलिए पुलिस का अश्वरोही दल, सशस्त्र बल की टुकड़ी, पुलिस बैंड के बाद भगवान महाकाल की पालकी होना चाहिए। राजा आगे चले बाकी की प्रजा के रूप में जनप्रतिनिधि व झांझ डमरू दल को पीछे आने वाले अन्य मुखारविंदों के साथ चलना चाहिए। प्रशासन अगली सवारी से इसकी व्यवस्था करे।
भजन मंडलों को मंच से प्रदर्शन की अनुमति दी जाए
पं. महेश पुजारी ने कहा कि सवारी में बड़ी संख्या में भजन मंडल शामिल होते हैं। इससे कारवां लंबा हो जाता है और पालकी समय पर मंदिर नहीं पहुंच पाती है। मंदिर समिति को भजन मंडलों के लिए सवारी मार्ग पर मंच लगाना चाहिए। इन्हीं मंचों से भजन मंडल प्रस्तुति दे।
बेरिकेडस के कारण महाकाल नहीं दिखें तो हाथी पर विराजित भगवान के दर्शन करें
पं. महेश पुजारी ने कहा कि कुछ लोग सवारी की व्यवस्था में लगाए जाने वाले बैरिकेडस का विरोध करते हैं। उनका कहना है कि बैरिकेडस के कारण भक्तों को भगवान महाकाल के दर्शन नहीं हो पाते हैं, यह बात सरासर गलत है। हमारे पूर्वजों ने भक्तों की सुविधा के लिए भगवान के एक जैसे दो मुखारविंद बनवाए हैं। एक मुखारविंद पालकी में विराजित किया जाता है। दूसरा हाथी पर शोभायमान रहता है। दोनों एक दूसरे की प्रतिकृति है। जिन भक्तों को पालकी में भगवान के दर्शन नहीं हो पाते हैं, वे हाथी पर सवार भगवान के दर्शन करें। मंदिर समिति को इस बात को पुरजोर तरीके से प्रचारित करना चाहिए।
कहारों ने कहा हम चार स्थान पर खड़े रहेंगे
अधिकारियों ने बैठक में कहारों से पालकी के साथ सीमित संख्या में चलने को कहा। इस पर कहारों ने कहा कि हमारी संख्या 60 के करीब है। सवारी में पालकी उठाने के लिए अलग-अलग स्थानों पर शिफ्ट बदलते हैं। अगर हमारे एक साथ चलने से परेशानी है, तो हम अलग-अलग दल में चार स्थानों पर खड़े रहेंगे। हमारे आने जाने की सुगम व्यवस्था बनाएं।