उज्जैनमध्यप्रदेश

उज्जैन नगर निगम कार्यपालन यंत्री का रंगीन चश्मा रंगपंचमी पर उतरा, अब जेल जायेंगे

उज्जैन नगर निगम कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव पर यौन उत्पीड़न समेत 4 गंभीर धाराओं में केस दर्ज

उज्जैन नगर निगम कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव पर उनकी ही अधीनस्थ महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। नगर निगम की महिला अधिकारी की शिकायत पर संविदा कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव के खिलाफ यौन उत्पीड़न समेत 4 गंभीर धाराओं में उज्जैन पुलिस ने रंगपंचमी के दिन बुधवार 19 मार्च को केस दर्ज कर लिया है। महिला थाना पुलिस ने कहा कि जल्द ही कार्यपालन यंत्री को गिरफ्तार कर कार्रवाई की जाएगी।

सोशल मीडिया पर हाल ही में निगम की 31 वर्षीय महिला अधिकारी को फाइल पर साइन कराने के बहाने भार्गव द्वारा रात में घर बुलाने व नहीं आने पर उपयंत्री मुकुल मेश्राम और जोनल अधिकारी मनोज राजवानी के जरिए फोन लगवाकर दबाव बनाने संबंधी ऑडियो वायरल होने के बाद यह मामला गर्माया था। महिला अधिकारी ने उक्त घटना की नगर निगम आयुक्त समेत पुलिस को भी शिकायत की थी। एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि मामले में मोबाइल रिकॉर्डिंग समेत जो भी जांच संबंधी डॉक्यूमेंटस है उनको जांच कराएंगे।

एफआईआर में दर्ज की गई नारी सम्मान की रक्षा की गुहार

पीड़िता द्वारा पुलिस को दिये गये आवेदन के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जिसमें कहा गया है पीयूष भार्गव ने मुझसे निरंतर वाट्सएप, फोन व समक्ष आपत्तिजनक बातें की। जितनी भी बातचीत की, उसकी रिकॉर्डिंग मैं बतौर सबूत पेश कर रही हूं। कई बार भार्गव ने कही कि मैं तुमसे फिजिकल रिलेशन बनाना चाहता हूँ, तुम कब तैयार हो। मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा। कई बार आपत्ति लेने के बाद भी उसकी बेशमी खत्म नहीं हुई। मैं काफी समय से परेशान हूं, कई बातें लिखने, बताने तक में मुझे शर्म आ रही है। भार्गव से तंग आकर में नौकरी तक छोड़ने का मन बना चुकी हूं। मैं मानसिक रूप से प्रताड़ित हो चुकी है, इसलिए भार्गव के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें, जिससे कि नारी सम्मान की रक्षा हो सके।

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इन धाराओं में भार्गव के खिलाफ मुकदमा दर्ज

  1. भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 (1) (i) जो कि यौन उत्पीड़न के अपराधों से संबंधित है, जिसमें बिना सहमति के अवछित संपर्क शामिल है, जो कि एक दंडनीय अपराध है।
  2. धारा 75 (1) (iv) जिसमें यौन उत्पीड़न से संबंधित है, जिसमें यौन रूप से रंगीन टिप्पणी करना शामिल है, जिसके लिए एक साल तक सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  3. धारा 78 (1) (i) पीछा करने से संबंधित है, जिसमें किसी महिला की सहमति के बिना बार-बार संपर्क करना, निगरानी करना या उसकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना शामिल है।
  4. धारा 78 (1) (ii) बार बार संपर्क के लिए दबाव बनाना और सहमति के बिना परेशान करना। इसमें तीन साल की सजा व जुर्माने की सजा है।

पीड़िता की आपबीती : मैं बेटी की उम्र की फिर भी परेशान करता था

पीड़िता ने पुलिस और निगम अफसरों के अपनी आपबीती बताई थी कि मैं सात साल से नगर निगम में नौकरी कर रही है। कभी कोई परेशानी नहीं आई और न मैंने कोई शिकायत की लेकिन इस बीच करीब डेढ़ महीने पहले चौड़ीकरण प्रोजेक्ट शुरू हुआ, जिसे पीयूष भार्गव लीड कर रहे हैं। मैं भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थी, पहले कभी-कभी ही भार्गव से किसी बैठक में मिलना होता था, अब रोज उसके साथ काम करना पड़ा। मैं जब प्रोजेक्ट में आई, तब मैने नोटिस किया कि भार्गव मेरे परिवार के बारे में पूछता था और उल्टी-सीधी बातें करता था। मेरा एक बच्चा है और में अकेले उसकी परवरिश कर रही है। इस पर भी भार्गव मुझे बोलता था कि पति के बिना कैसे रह लेती हो कई गलत बातें करता था। मुझे ऑफिस बुलाता था, लेकिन काम की बात न करके फालतू बाते करने लगता था, जिसका मैंने कई बार विरोध किया। भार्गव ने मुझसे आपतिजनक बातें करना शुरू कर दिया। मैसेज और कॉल भी करता था। मैंने उसे कहा कि मैं उसकी बेटी की उम्र की हूँ, फिर भी उसने परेशान करना बंद नहीं किया। मैं जब उसके ऑफिस नहीं जाती थी, तब वह दूसरों से मुझे कॉल करवाता था। यही हुआ जब 11 मार्च की रात उसने फइल पर साइन करवाने मुझे अपने घर बुलाया, तब मैंने मना कर दिया। इसके बाद उसने इंजीनियर मुकुल मेश्राम और मनोज राजवानी से मुझे घर आने के लिए कॉल करवाया। मैं नहीं गई और अगले दिन 12 मार्च को मैंने उसके ऑफिस जाकर रात में घर बुलाने की बात को लेकर विरोध जताया तो उसने मुझे कहा- तुम कोई स्पेशल नहीं हो। इसके बाद महिला अधिकारी ने सबसे पहले निगम आयुक्त आशीष पाठक को मौखिक और उसके बाद लिखित शिकायत दी।

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निगम की विशाखा कमेटी कर रही है जांच

महिला के बाद निगम आयुक्त ने पूरा मामला विशाखा कमेटी का गठन कर उसे सौंप दिया। मामले में जांच के लिए नगर निगम स्तर पर विशाखा कमेटी का गठन हो गया है, जिसे उपायुक्त कृतिका भीमावत लीड कर रही हैं। मंगलवार 18 मार्च 2025 को कमेटी की पहली बैठक हुई, जिसमें पीड़ित महिला, इंजीनियर मुकुल मेश्राम और मनोज राजवानी के बयान लिए गए। बैठक में महिला ने अपनी बात रखी, वहीं दोनों इंजीनियर ने फोन लगाने की बात पर अपना जवाब पेश किया।

भार्गव सभी के विशेष कृपा पात्र, दर्जनभर जांचें फिर भी पर संविदा पर एक पद ऊपर नियुक्ति मिली

पीयूष भार्गव नगर निगम में सहायक यंत्री के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सेवानिवृत्ति होने से पहले ही पीयूष भार्गव पर 12 से ज्यादा मामलों में आरोप लग चुके है। कई बार निलंबित हुए। लेकिन अपनी कार्यशैली ऐसी थी कि वे सदैव राजनीतिक और प्रशासनिक अमले के वरिष्ठों के कृपापात्र बने रहे। इसी का परिणाम यह रहा कि तमाम जांचें चलने के बाद भी उन्हें पुन: नगर निगम में संविदा नियुक्ति मिली और वो भी प्रमोशन के साथ। भार्गव नगर निगम उज्जैन से सहायक यंत्री के पद से सेवानिवृत हुए, जिसके कुछ समय बाद ही उनको संविदा नियुक्ति देते हुए एक पद बढ़ाकर प्रभारी कार्यपालन यंत्री बना दिया और सिंहस्थ से जुड़े करोड़ों के काम दे दिए गए। नियमानुसार जिस पद से रिटायर होते हैं, उसे उसी पद पर सावदा नियुक्ति मिलती है।

नगर निगम के सहायक यंत्री पीयूष भार्गव 30 अप्रैल 2023 को सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्त होने पर सम्मान समारोह का आयोजन इंदौर रोड स्थित होटल पर किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि तत्कालीन इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त मनोज पाठक एवं अपर आयुक्त वित्त नगर निगम आदित्य नागर थे। समारोह में अतिथियों ने अभिनंदन पत्र, स्मृति चिह्न व श्रीफल भेंट कर भार्गव को सम्मानित किया था।

पीयूष भार्गव के कारनामों की है लंबी लिस्ट

  • 1992 सिंहस्थ में हुए डामर कांड के आरोप में सबसे पहली बार भार्गव को निलंबित किया गया।
  • वर्ष 1994-1995 में लोकायुक्त का छापा भी पड़ चुका है।
  • 2011 में महाकाल मंदिर टनल निर्माण में टनल की डिजाइन परिवर्तन की। इस कारण एक महिला की मृत्यु हो गई थी। इस वजह से इन्हें निलंबित किया था। जांच अब तक जारी है।
  • 2015 में हरसिद्धि पाल के यहां हॉकर्स जोन बनाना था, जबकि पार्टनर ठेकेदार से भवन निर्माण करवा लिया और बिना स्वीकृति के अत्यधिक राशि का भुगतान करवा लिया गया।
  • 2015 में निगम की एक महिला कर्मचारी की बहन की इंदौर में हुई शादी में एक निगम कर्मचारी को भेजा जहां उक्त कर्मचारी की मृत्यु हो गई।
  • मई 2022 में तीन मामलों में निगम हित के विरुद्ध कार्य करने, प्रकरण में गंभीर लापरवाही और कूटरचना करने के मामले में निलंबित किया गया।
  • जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत 2 से 3 करोड़ रुपए के घपले के आरोप लगे। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व कार्यपालन यंत्री के फर्जी हस्ताक्षर किए सांसद एवं विधायक ने फर्जी हस्ताक्षर की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच की मांग की, लेकिन वह जांच निगम में रुकवा दी गई।
  • सिंहस्थ 2016 के अंतर्गत पंचक्रोशी में शौचालय के 3 करोड़ के फर्जी भुगतान के आरोप है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में जांच पंजीबद्ध है।
  • सिंहस्थ 2016 में एमआर-5 पर ट्रांसपोर्ट स्टेशन के कार्य में भ्रष्टाचार के आरोप लगे ठेकेदार को एसडी/ एनएस मनी नहीं लौटाई गई। इसमें ठेकेदार ने थाने में शिकायत कर बताया कि भार्गव उनसे रुपए मांग रहे हैं।
  • 2020 व 2021 में लक्ष्मीनगर, अशोकनगर में गार्डन की जमीन के ऊपर फर्जी नक्शा पास किया गया और जीरो पाइंट ब्रिज के यहां अनुबंध वाली जगह का नक्शा पास किया।
  • बीएसयूपी योजना में पार्टनर ठेकेदार से काम करवाने के साथ 3 करोड़ का भुगतान एस्क्लेशन के नाम पर करने के भी आरोप लगे। उसके बाद तत्कालीन उपयंत्री ने रोक लगाई। बाद में इस मामले की नस्तियां भी गायब हो गई।
– हरिओम राय @ उज्जैन

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