उज्जैन में अखंड आश्रम के चारधाम मंदिर का विवाद समाप्त, शांतिस्वरूपानंद ही संभालेंगे कामकाज
उज्जैन में बैठक लेकर परमानंद गिरि महाराज ने सौंपे अधिकार, मिर्ची बाबा के आरोप खारिज

मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित अखंड आश्रम चारधाम मंदिर को लेकर चल रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि महाराज ने खुद उज्जैन पहुंचकर इस मामले का पटाक्षेप किया। उन्होंने महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद महाराज को ट्रस्ट का कार्यकारी अध्यक्ष और ज्योतिर्मयानंद गिरी महाराज को सचिव नियुक्त किया है, जिससे आश्रम के संचालन की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है।
इस दौरान, भोपाल के बाबा द्वारा ज्योतिर्मयानंद गिरी पर लगाए गए आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया गया है। परमानंद गिरि महाराज ने कहा कि उनके शिष्यों पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं और ऐसे आरोप लगाने वाले व्यक्ति के इतिहास को देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “गलत व्यक्ति ही अक्सर दूसरों को बुरा कहता है ताकि ध्यान भटकाया जा सके। महाराज श्री ने भोपाली बाबा द्वारा लगाए गए आरोप पर कहा वो कैसे हैं, उनका इतिहास जान लेंगे तो कोई उत्तर नहीं देना पड़ेगा। मनुष्य अपने आप को ठीक दिखाना चाहता है और कई बार गलत व्यक्ति ज्यादा किसी को बुरा कहता है। जिससे ध्यान दूसरी ओर चला जाए।
आश्रम में सब कुछ ठीक: परमानंद गिरि
परमानंद गिरि महाराज ने स्पष्ट किया कि उज्जैन आश्रम में सब कुछ पहले जैसा है और अब शांति स्वरूपानंद गिरी के अधिकार बढ़ा दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके हस्ताक्षर के बिना आश्रम का कोई भी रुपया नहीं निकाला जा सकेगा। ज्योतिर्मयानंद को सचिव इसलिए बनाया गया है ताकि ट्रस्ट के संचालन से संबंधित कागजी कार्रवाई और बैठकों का काम सुचारु रूप से चलता रहे।
गुरु के आदेश का पालन होगा: शांति स्वरूपानंद
स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी महाराज ने कहा कि गुरुदेव के आने से सभी वाद-विवाद समाप्त हो गए हैं। उन्होंने माना कि कुछ छोटी-मोटी बातें थीं, जिन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। उन्होंने कहा, “मनुष्यों का स्वभाव है कि किसी की निंदा होती है तो सभी को अच्छा लगता है। लोग तो यही चाहते हैं कि बाबा लोग लड़ें।” उन्होंने कहा कि यह मंदिर गुरुदेव के आशीर्वाद से बना है और उन्हीं के आदेशों से चलेगा।
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हम एक ही गुरु के चेले हैं: ज्योतिर्मयानंद
ज्योतिर्मयानंद गिरी महाराज ने भी इस बात की पुष्टि की कि उनके और शांति स्वरूपानंद जी के बीच कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि वे दोनों एक ही गुरु के शिष्य हैं। मिर्ची बाबा के आरोपों पर उन्होंने कहा कि शायद उन्हें कोई गलत जानकारी मिली होगी, क्योंकि वे भी उनके परिवार के संत हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मंदिर और ट्रस्ट से जुड़े अशोक प्रजापत, सुरेश आहूजा, पं. रामलखन शर्मा व अन्य सदस्य भी मौजूद थे, जिन्होंने इस फैसले का स्वागत किया।