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उज्जैन में खड़ी कारों के शीशे क्यों तोड़े जा रहे हैं, कोई गैंग तो एक्टिव नहीं

उज्जैन में क्या पत्थरबाजों की नई टोली तैयार हो रही है?

उज्जैन: शहर के पॉश इलाकों में खड़ी गाड़ियों के शीशे तोड़ने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन वारदातों ने शहरवासियों में दहशत फैला दी है। सबसे ज्यादा घटनाएं फ्रीगंज और ऋषिनगर जैसे क्षेत्रों में सामने आ रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर ये कौन लोग हैं, जो गाड़ियों को नुकसान पहुंचाकर खुश हो रहे हैं?

बदले की भावना और वर्चस्व की लड़ाई

इस पड़ताल में सामने आया है कि इन घटनाओं के पीछे दो मुख्य कारण हैं:

1. बदले की भावना: अक्सर आपसी रंजिश के चलते प्रतिद्वंद्वी को नुकसान पहुंचाने के लिए बदमाशों को सुपारी दी जाती है। कुछ हजार रुपए और एक दारू पार्टी के बदले ये बदमाश गाड़ियों के शीशे तोड़ने या घरों पर पत्थर फेंकने को तैयार हो जाते हैं। कई बार गलती से गलत गाड़ी का शीशा भी तोड़ दिया जाता है।

2. वर्चस्व का प्रदर्शन: कुछ युवा बदमाश गुटों में देर रात जन्मदिन मनाने का चलन बढ़ रहा है। नशे में धुत ये युवा केक काटने के बाद अपनी ताकत दिखाने के लिए सड़कों पर खड़ी गाड़ियों के शीशे तोड़ते हैं।

ऋषिनगर में फिर टूटे शीशे

शुक्रवार को ऋषिनगर में फिर से दो गाड़ियों के शीशे तोड़े गए। रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारी शैलेंद्र टोरने और अनंततारा रिसॉर्ट के मालिक स्वप्नेश वर्मा की गाड़ियां इसका शिकार बनीं। टोरने के मुताबिक, उनकी गाड़ी का शीशा 20 दिन पहले भी तोड़ा गया था, जिसे नया लगवाने के बाद फिर तोड़ दिया गया।

पुलिस की सुस्त कार्रवाई से बुलंद हौसले

गाड़ी मालिकों का आरोप है कि इन घटनाओं की शिकायत करने पर पुलिस एफआईआर दर्ज करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाती। अधिकतर मामलों में सिर्फ एक आवेदन लेकर या अदम चेक (पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध) दर्ज करके इतिश्री कर ली जाती है। इसी वजह से इन पत्थरबाजों के हौसले बुलंद हैं।

गाड़ी मालिकों को लाखों का नुकसान

गाड़ी का शीशा बदलवाने में 4 हजार से 20 हजार रुपए तक का खर्च आता है। कानूनी प्रक्रिया पूरी न होने के कारण अक्सर बीमा राशि भी नहीं मिल पाती, जिससे गाड़ी मालिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

माधवनगर थाना प्रभारी राकेश कुमार भारती ने बताया कि हमें कुछ घटनाओं के सीसीटीवी फुटेज मिले हैं, जिनकी जांच चल रही है। उन्होंने जल्द ही बदमाशों को पकड़ने का आश्वासन दिया है।

पिछले 3 महीनों में 50 से अधिक घटनाएं

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पिछले एक महीने में 20 से अधिक और तीन महीनों में 50 से अधिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें एलआईजी, लक्ष्मीनगर, सुदामा नगर और ऋषिनगर जैसे पॉश इलाके प्रमुख हैं। इन घटनाओं को देखते हुए शहर में कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।

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