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उज्जैन में फांसी की सजा, होली के दिन हत्या की थी पत्नी की

उज्जैन में फांसी का फैसला 9 साल पहले आया था, उस वक्त लुटेरों की गैंग को सुनाई थी सजा

मध्यप्रदेश के उज्जैन में फांसी की सजा death penalty in ujjain सुनाई गई है। जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा गुरुवार 26 जून 2025 को यह फैसला सुनाया है। पत्नी की हत्या के आरोप में दोषी पाए जाने पर एक व्यक्ति को जिला एवं सत्र न्यायाधीश माननीय राजेश कुमार गुप्ता ने मृत्युदंड की सजा से दण्डित किया है। चरित्र शंका के चलते आरोपी ने देसी पिस्टल से होली (धुलेंडी) की शाम तीन फायर कर अपनी ही पत्नी की हत्या कर दी थी। उज्जैन में फांसी की सजा का यह मामला नौ साल बात आया है। इसके पहले न्यायालय ने लुटेरों को फांसी की सजा सुनाई थी।

हत्या के पहले बेटे-बेटी को नानी के घर भेजा

गुरुवार 26 जून 2025 को हुई फांसी की सजा के बारे में जिला अभियोजन अधिकारी राजेंद्र खांडेगर ने बताया नागझिरी थाना क्षेत्र स्थित आदर्श नगर में धुलेंडी 25 मार्च 2024 की शाम को आरोपी अब्दुल वाहिद लाला पिता अब्दुल शकुर पठान ने अपनी पत्नी रानी उफऱ् संजीदा बी को देसी पिस्तौल से गोली मारकर हत्या कर दी थी। पत्नी की हत्या करने के लिए उसने पिस्तौल से तीन फायर किए थे। एडीपीओ मिश्रीलाल चौधरी ने बताया कि वाहिद ने चरित्र शंका पर पत्नी को पेट कनपटी पर तीन गोली मारी थीं। उसे लगता था कि पत्नी का उसी के भतीजे से अवैध संबंध है। हत्या से पहले उसने अपने बेटे फरहान को बेटियों को साथ लेकर नानी के घर एटलस चौराहा भेज दिया था। फरहान दौलतगंज तक ही पहुंचा था कि उसे उसकी चाची मीना ने फोन लगाकर घटना के बारे में बताया।

बेटे ने ही करवाया था पिता के खिलाफ प्रकरण दर्ज

घटना की जानकारी मिलते ही बेटा फरहान तुरंत वापस आदर्श नगर लौटा तो उसने देखा कि उसकी मां संजीदा बी बेसुध अवस्था में जमीन पर पड़ी है। वह तुरंत उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। जहां डॉक्टर ने संजीदा बी को मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद फरहान ने ही अपने पिता वाहिद के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने हत्या सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में आरोप सिद्ध होने पर जिला जज ने वाहिद को मृत्युदंड की सजा सुनाई।

मामले को कोर्ट ने जघन्य हत्याकांड माना

कोर्ट ने इस हत्याकांड को जघन्य हत्याकांड माना और अपराधी को समाज के लिए ख़तरनाक और कुख्यात अपराधी मानकर सजा सुनाई। कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा न्यायदृष्टांत पांच सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं जिसमें अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम माना जा सकता है। इसमें जब कोई व्यक्ति ऐसे व्यक्ति की हत्या करता है जिस पर वह अपना प्रभाव रखता हो। इसके अलावा पूर्व में उसके आपराधिक रिकार्ड जिसमें हत्या जैसा अपराध शामिल हो अथवा अपराध के गवाहों को जान से मारने की धमकी देना। इन सभी अपराधों के अंतर्गत आरोपी वाहिद द्वारा पत्नी की हत्या करना दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में माना गया।

दो और हत्याएं कर चुका है वाहिद

पत्नी की हत्या का दोषी वाहिद खान पूर्व में दो हत्या कर चुका है। पहली हत्या की वारदात उसने 1995 में तराना क्षेत्र में की थी। दूसरी हत्या की घटना 2009 में खाराकुआ थाना क्षेत्र में की थी। आरोपी वाहिद  हत्या के मामले में भी जेल जा चुका था।

इन धाराओं में हुई सजा

  • जिला एवं सत्र न्यायालय में हत्या के दोषी पाए गए वाहिद लाला को धारा 302 के तहत मृत्युदंड एवं 4 हजार रुपए का जुर्माना। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए जब तक उसके प्राण नहीं निकल जाते।
  • 27 आम्र्स एक्ट के तहत पांच साल कैद और 1 हजार रुपए जुर्माना।

मृत्युदंड की सजा के तीन कारण

  1. जिसके संरक्षण में महिला खुद को सुरक्षित समझती उसी ने जान ली
  2. हत्यारे ने जेल में बंद रहते गवाहों को जान से मारने की धमकी दी
  3. पूर्व के आपराधिक रिकार्ड जिसमें दो बार हत्या जैसी वारदात कर चुका है।

फांसी से बचने के कानूनी प्रावधान भी हैं दोषी के पास

जिला एवं सत्र न्यायालय में दोषी पाए जाने पर सजा ए मौत मिलने के बाद, एक तय समय में दोषी वाहिद खान का वकील उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है। यदि यहां से भी उसे राहत नहीं मिलती और सजा बरकरार रहती है तो वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है। यदि यहां से भी मृत्युदंड को यथावत रखा जाता है तो अंतिम निर्णय के लिए राष्ट्रपति के समक्ष मामला प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि राष्ट्रपति से राहत नहीं मिलती तो इसके बाद दोषी वाहिद को फांसी पर लटकाया जा सकता है।

9 साल पहले उज्जैन कोर्ट से सुनाई गई थी फांसी की सजा

  • उज्जैन कोर्ट में 9 साल बाद हत्या के मामले में मृत्युदंड जैसी सजा सुनाई गई है। जिसमें उज्जैन कोर्ट में न्यायाधीश एस के सराय ने चड्डी बनियानधारी गिरोह के सदस्य को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। हालांकि इस सजा के बाद आरोपी को उच्च न्यायालय में अपील करने पर राहत मिली थी।
  • इसी तरह दो दशक पूर्व अपने ही परिवारजनो की हत्या के आरोप में पाण्डेय परिवार के मुखिया को मौत की सजा सुनाई गई थी।
– हरिओम राय
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