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उज्जैन में वोट चोरी पर दिलीप गुर्जर के आरोपों से सियासत में भूकंप

परिणाम से पहले ही सामने आए आंकड़े! 2023 का चुनाव था पहले से तय?

उज्जैन : मध्यप्रदेश की राजनीति में वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों को लेकर एक बार फिर बड़ा तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ताजा दावे के बाद अब नागदा-खाचरोद के पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर ने ऐसा खुलासा किया है जिसने सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया है। गुर्जर ने कहा है कि साल 2013 से लेकर 2023 तक चुनावी प्रक्रिया में वोटर लिस्ट के साथ संगठित ढंग से छेड़छाड़ की गई, जिसके चलते न केवल चुनाव परिणाम प्रभावित हुए बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी हिलाया गया।

2013 का बड़ा खेल: 36 हजार नए वोटर, 10 हजार नाम गायब

दिलीप गुर्जर ने अपने बयान में कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में नागदा क्षेत्र की मतदाता सूची से दस हजार असली वोटरों के नाम काट दिए गए, जबकि अचानक छत्तीस हजार नए नाम जोड़ दिए गए। इस हेरफेर का सीधा नुकसान उन्हें उठाना पड़ा और वे चुनाव सोलह हजार वोटों से हार गए। गुर्जर का आरोप है कि उस समय बीजेपी ने सत्ता में बने रहने के लिए योजनाबद्ध तरीके से वोटर लिस्ट में हेरफेर की थी।

2018 में एनजीओ से कराई जांच, निकले हजारों फर्जी वोटर

पूर्व विधायक ने खुलासा किया कि 2018 में उन्होंने एक निजी एनजीओ को वोटर लिस्ट की जांच का जिम्मा दिया। रिपोर्ट चौंकाने वाली थी — हजारों फर्जी नाम सामने आए। कई ऐसे मतदाता पाए गए जिनके पते पर पहले से ही दर्जनों लोगों के नाम जोड़े गए थे। गुर्जर ने दावा किया कि उन्होंने इन फर्जी नामों को कटवाने के लिए शिकायत दर्ज कराई। नतीजा यह रहा कि चुनाव में उन्हें वास्तविक समर्थन मिला और वे पाँच हजार वोटों से जीतने में कामयाब हुए।

2023 में चुनाव से पहले ही परिणाम का ‘खुलासा’!

गुर्जर के आरोप यहीं तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि बीजेपी के एक पूर्व मंडल अध्यक्ष ने 30 नवंबर को ही सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाल दी थी, जिसमें साफ लिखा था कि कौन उम्मीदवार कितने वोटों से जीत रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि तीन दिन बाद जब वास्तविक नतीजे आए, तो वही आंकड़े लगभग हूबहू मेल खाते थे।
इस सनसनीखेज दावे को दिग्विजय सिंह ने भी अपने ट्विटर (अब एक्स) अकाउंट पर साझा कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। गुर्जर के अनुसार कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवार के वोटों में क्रमशः 625 और 552 का मामूली अंतर था, जो पहले से किए गए ‘खुलासे’ से बिल्कुल मेल खाता था।

“कुछ बूथों पर मतदाता घट गए!”

दिलीप गुर्जर ने आगे कहा कि 2013 से 2018 के बीच मतदाता संख्या की तुलना करने पर बड़ा अंतर सामने आता है। 2013 में जहां 36 हजार नए वोटर जुड़े थे, वहीं 2018 में केवल 18 हजार वोटर बढ़े। हैरानी की बात यह रही कि छह बूथों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ने के बजाय उलटे कम हो गई। उन्होंने कहा कि इस असमानता की शिकायत उन्होंने चुनाव आयोग से की थी, मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

अब राहुल गांधी तक पहुंचेगा मामला

गुर्जर ने ऐलान किया है कि वे इस पूरे मामले को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सामने रखेंगे और प्रदेश स्तर पर “वोट चोरी” का खुलासा करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक इस पर कार्रवाई नहीं होती, वे आवाज उठाते रहेंगे। “यह सिर्फ मेरी हार-जीत का सवाल नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की साख दांव पर लगी है। अगर वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ होती रही तो जनता का भरोसा चुनावी प्रक्रिया से उठ जाएगा,” उन्होंने कहा।

प्रदेश की राजनीति में मचा हलचल

गुर्जर के इन आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मामला चुनावी धांधली की सबसे बड़ी साजिश को उजागर करता है। वहीं, बीजेपी ने इसे कांग्रेस की “हार का बहाना” बताते हुए खारिज कर दिया है। पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि कांग्रेस नेता जनता का विश्वास खो चुके हैं और अब चुनाव आयोग को बदनाम कर रहे हैं।

सवालों के घेरे में चुनाव आयोग

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मतदाता सूची से नाम कटना, फर्जी मतदाता जुड़ना और परिणाम आने से पहले ही आंकड़े लीक हो जाना — यह सब एक लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए बेहद गंभीर मुद्दे हैं। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इन आरोपों की गहराई से जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।

दिलीप गुर्जर के दावों ने मतदाता सूचियों की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर सच में वोटर लिस्ट के साथ बार-बार छेड़छाड़ हुई है, तो यह न सिर्फ चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिलाता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस इस मामले को किस तरह आगे बढ़ाते हैं और क्या चुनाव आयोग इस पर कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं।

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