देश-दुनिया

उज्जैन सिंहस्थ बसाने वाले लल्लूजी कंपनी के गोदाम में भीषण आग, सेना ने पाया काबू

उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में सर्वाधिक पंडाल लल्लू जी कंपनी के ही लगते हैं, प्रयागराज में आग की घटना ने खड़े किये कई सवाल

उज्जैन सिंहस्थ बसाने वाले देश के प्रमुख टेंट व्यवसायी लल्लूजी एंड संस के गोदाम में प्रयागराज में भयंकर आग लगने की घटना हुई है। प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र में शनिवार 19 अप्रैल 2025 को लल्लूजी टेंट कंपनी के गोदाम में भीषण आग लग गई। गोदाम 10 घंटे तक आग में धधकता रहा। इसको बुझाने के लिए 6 करोड़ लीटर पानी डालना पड़ा। 55 फीट ऊंचाई तक भड़की आग की लपटों को काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। 5 लाख से ज्यादा बांस-बल्लियां, रजाई-गद्दों की वजह से आग तेजी से करीब डेढ़ लाख वर्ग फीट एरिया में फैल गई। इससे आग ने कुछ ही मिनटों में विकराल रूप ले लिया। गोदाम में रखे गए सिलेंडर फटने लगे। आग इतनी भयावह थी कि बुझाने के लिए सेना को बुलाया गया। फायर ब्रिगेड की 18 गाड़ियों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाई। इसके अलावा आसपास के जिलों से भी फायर टेंडर बुलाए गए। तपिश इतनी ज्यादा थी कि दमकलकर्मियों के शरीर पर फफोले पड़ गए। पुलिस ने 2 किलोमीटर के क्षेत्र को सील कर दिया। आसपास के इलाके के लोगों को भी अलर्ट कर दिया गया।

गोदाम में रखे गैस सिलेंडर फटने से आग भयावह

गोदाम शास्त्री ब्रिज के बीच में काली सड़क पर है। बताया जा रहा है कि सुबह 6.30 गोदाम में मजदूर छोटे सिलेंडर पर खाना बना रहे थे, तभी सिलेंडर फट गया। इसके बाद आग लग गई। आग की लपटें देखकर गोदाम में सो रहे कर्मचारी और आसपास के लोग भाग कर पहुंचे। बाल्टी और पाइप से पानी डालना शुरू कर दिया, लेकिन आग तेजी से बढ़ते देख लोगों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी।

आग बुझाने में फायर कर्मचारयों के हाथ में फफोले पड़ गये

आग बुझाते वक्त गर्माहट इतनी तेज थी की फायर कर्मचारियों के हाथ मेें फफोले पड़ गये। उनके सामने 2 तरह की चुनौतियां थीं। 200 मीटर दूर तक तपन महसूस हो रही थी और 40Km प्रति घंटे से चल रही हवाएं आग को फैला रही थीं। महाकुंभ मेला डेढ़ महीने पहले खत्म हो चुका है। टेंट सिटी को समेटने का काम चल रहा है। इसमें लल्लू जी एंड संस और उनकी सहयोगी कंपनियों के लेबर काम कर रहे हैं। शनिवार सुबह तक लल्लू जी टेंट कंपनी के गोदाम में क्षमता से ज्यादा समान जुटा लिया गया था। 5 लाख से ज्यादा बांस-बल्लियां गोदाम के बाहर इकट्ठा कर दिए गए, ऊंचे ढेर लग गए। गोदाम के अंदर के हिस्से में रजाई, गद्दे, टेंट के कपड़े, अलमारी, मेज-कुर्सी और प्लाइवुड रखे गए थे। जबकि लल्लूजी एंड संस कंपनी को 800 मीटर की क्षमता का गोदाम बनाने की अनुमति दी गई थी। करीब 1 किमी के एरिया में गोदाम फैला लिया। फिर सड़क के किनारे भी 1 किमी की परिधि में बल्ली, पटरा, रुई, फोम के गद्दे, सिलेंडर इकट्ठे करते रहे। गोदाम के अंदर स्कूटी और कार तक खड़े मिले। क्षमता से ज्यादा सामान होने की वजह से आग पर काबू पाने में दिक्कत हुई। इस गोदाम में 24 घंटे 25 से ज्यादा मजदूर रहते थे।

भीगे कंबल ओढ़कर पानी फेंका आग पर

तपन इतनी थी कि फायर फाइटर्स को भीगे हुए कंबल ओढ़कर और प्लाईवुड की आड़ लेकर पानी की बौछार करनी पड़ रही थी। 60 से ज्यादा फायर फाइटर्स 10 घंटे जूझते रहे। कई के शरीर पर छाले पड़ने की बात भी सामने आई हैं। इसके बाद आग पर काबू पाया जा सका।

सैनिक वाटर टेक्नीक से आग बुझाई सेना ने

सेना के फायर अधिकारी वाई.एस. राय ने कहा- हमारे 20 फायर फाइटर्स के जवान 4 गाड़ियों में लगे रहे। इसमें हम पहले आग की दीवार को तोड़ने के लिए प्रेशर से वाटर फेंकते हैं। दूसरी टीम, आग के कम होने के स्थान पर ज्यादा पानी डालकर आग को बुझाती है। इस तरह से आग फैल नहीं पाती है। जवान आग की तपिश कम होने पर गोदाम के अंदर घुस गए। बुलडोजर की मदद से लकड़ी के तख्त और रजाई-गद्दे उलट-पलट कर पानी डाला, जिसके बाद आग काबू में आनी शुरू हुई। सब का आग बुझाने का अपना-अपना तरीका है। हम सैनिक हैं। कठिन हालत में हमें अधिकारियों के निर्देश पर भेजा जाता है। आग बुझाने के लिए हम सैनिक वाटर प्रेशर टेक्नीक का इस्तेमाल करते हैं।

गोदाम था, तो फायर ब्रिगेड क्यों हटाई

लल्लूजी एंड संस के प्रोप्राइटर राजीव अग्रवाल ने मीडिया से कहा- जब यहां इतना बड़ा गोदाम है, तो यहां से फायर ब्रिगेड को क्यों हटा दिया गया? जबकि इसके लिए हम लोग कह रहे थे कि यहां से फायर ब्रिगेड नहीं हटाई जानी चाहिए। जिम्मेदारों की लापरवाही है। हमने सुबह फायर ब्रिगेड को फोन किया तो सिर्फ 2 गाड़ियां आईं, पानी तक इनके पास नहीं था। बाद में पाइप लगाकर अरेंज होता रहा। तब तक आग बड़े एरिया में आग फैल गई।

लल्लूजी एंड संस कंपनी को कहा जाता है कुंभ का विश्वकर्मा

लल्लूजी एंड संस कंपनी 104 साल से रेत पर तंबुओं का शहर बसाने का काम कर रही है। इस कंपनी को कुंभ का विश्वकर्मा कहा जाता है। इस बार भी महाकुंभ में टेंट का जिम्मा लल्लूजी एंड संस कंपनी के पास था। उज्जैन सिंहस्थ में भी लल्लूजी एंड संस कंपनी के 70 प्रतिशत से अधिक पांडाल लगते हैं। यहां बड़नगर रोड पर उनका दफ्तर और गाेदाम भी है। लल्लूजी एंड संस के कार्यालय और गोदाम प्रयागराज के परेड ग्राउंड, रामबाग, झूंसी और नैनी के साथ ही देशभर में हैं। कंपनी प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगने वाले मेलों में भी टेंट लगाने का काम करती है। कंपनी का सेटअप दिल्ली, उज्जैन, हरिद्वार और अहमदाबाद में भी है। 2025 महाकुंभ के लिए देश के 6 शहरों से लल्लूजी कंपनी की ओर से सामान मंगवाए गए थे। महाकुंभ या कुंभ मेले में कपड़े के टेंट से लेकर बांस-बल्ली, थाने-चौकी बनाने का काम लल्लूजी की कंपनी के जिम्मे रहा। महाकुंभ में टेंट बनाने की जिम्मेदारी कुल 10 वेंडर्स को मिली थी। इसमें 9 ठेके लल्लूजी एंड संस के परिवार के पास थे। 10वां ठेका हरिद्वार के वृंदावन टेंट हाउस को दिया गया है। लल्लूजी को अखाड़ों का टेंट लगाने के साथ वीआईपी टेंट सिटी और बड़े इवेंट में सारी व्यवस्था देने की जिम्मेदारी मिली थी।

Related Articles

Back to top button