अध्यात्मउज्जैन

कर्मकाण्ड का वैज्ञानिक महत्त्व आम लोगों को बताना भी जरूरी

वैदिक शोध संस्थान में तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ

समाचार आज @ उज्‍जैन

संसार को ज्ञान और शिक्षा भारत ने ही दी है। भारत कुछ शतक पूर्व ही विश्व गुरु था, क्योंकि भारत में गुरुकुलों के माध्यम से शिक्षा दी जाती थी। गुरुकुल व्यवस्था की पुनर्स्थापना की आवश्यकता के साथ ही आज के कर्मकांडी पुरोहितों को कर्मकांड का वैज्ञानिक महत्त्व समाज को बताने की आवश्यकता है। इस दृष्टि यह कार्यशाला बहुत महत्त्वपूर्ण है।

यह बात महामंडलेश्वर अतुलेशान्द महाराज ने हिन्दू आध्यात्मिक सेवा संस्थान और विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक शोध संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में शनिवार को कही। संस्थान के निदेशक डॉ पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि कर्मकांड से जुड़े सवालों के जबाव दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मन्दिर से सम्बन्धित वेदपाठी ब्राह्मण परिवार के विद्वान के.ई.एन. राघवन एवं देश के अन्य भागों से आए हुए विद्वान अपने व्याख्यान देंगे। श्री राघवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गोसेवा प्रशिक्षण प्रमुख हैं । कार्यशाला में देश के विभिन्‍न हिस्‍सो के आचार्य और पुरोहित आए हैं। कार्यक्रम में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य राजेंद्र शर्मा गुरुजी, गुणवंत सिंह कोठारी, राधेश्याम शर्मा ‘गुरुजी’, विनोद बिरला, चन्द्रमोहन दुबे, रवीन्द्र शर्मा और रमेश शुक्ल सहित बड़ी संख्या में पुरोहित एवं आचार्य गण उपस्थित थे।

इन प्रश्‍नों का जबाव मिलेगा कार्यशाला में

  • यज्ञ की अग्नि से पूरे विश्व के वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • कलावा हमारे सूक्ष्म शरीर की किस प्रकार रक्षा करता है?
  • विवाह संस्कार का सन्तान उत्पत्ति की दृष्टि से क्या महत्त्व है और विज्ञान इस बारे में क्या कहता है?
  • विवाह से पूर्व गुण मिलान का भावी सन्तति से क्या सम्बन्ध है ?

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