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कोचिंग सेंटर कल्चर खतरनाक, बच्चों के विकास में रुकावट

कोचिंग सेंटर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोटा में दिया बड़ा बयान

कोटा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों coaching center के बढ़ते प्रचलन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे ‘खतरनाक’ करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बिल्कुल खिलाफ है और बच्चों के समग्र विकास में बाधा उत्पन्न करता है। कोटा में रानपुर स्थित ट्रिपल आईटी के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए शनिवार को उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोचिंग सेंटर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन नहीं कर रहे हैं और वे “उच्च दबाव के क्षेत्र” बन गए हैं, जिससे बच्चों का स्वाभाविक विकास बाधित हो रहा है।

धनखड़ ने विशेष रूप से कोटा के युवाओं का जिक्र करते हुए कहा, “विशेषकर कोटा का युवा यहां के कोचिंग सेंटर की वजह से आगे की ओर देखने में असमर्थ है।” हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि यह स्थिति स्थायी नहीं है और “समय बदलेगा और बड़ी संख्या में लोगों के माइंडसेट को बदलने का काम करेगा।”

शिक्षा को ‘फैक्ट्री’ की तरह संचालित करने का कड़ा विरोध

उपराष्ट्रपति ने शिक्षा को एक फैक्ट्री की तरह संचालित करने की प्रवृत्ति का पुरजोर विरोध किया। मंच पर मौजूद राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मुखातिब होते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी नीतियों पर विचार किया जाना चाहिए जिससे स्कूल-कॉलेजों में छात्रों की संख्या बढ़े। उन्होंने इस “असेंबली-लाइन संस्कृति” को समाप्त करने का आह्वान करते हुए कहा, “यह हमारी शिक्षा के लिए खतरनाक है और विकास तथा प्रगति में बाधा उत्पन्न करता है।”

कोचिंग सेंटरों द्वारा विज्ञापनों पर भारी खर्च को भी उपराष्ट्रपति ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “विज्ञापन और होर्डिंग्स पर भारी पैसा बहाया जाता है। यह पैसा उन छात्रों से आता है, जो कर्ज लेकर या बड़ी कठिनाई से अपनी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। यह पैसे का उपयुक्त उपयोग नहीं है।” उन्होंने इन आकर्षक विज्ञापनों को “हमारी आत्मा के लिए आंखों की किरकिरी” बताया।

कोचिंग सेंटर ‘कौशल केंद्रों’ में परिवर्तित हों: उपराष्ट्रपति की सलाह

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने प्राचीन गुरुकुल परंपरा का स्मरण करते हुए कहा, “हम गुरुकुल की बात कैसे न करें? हमारे संविधान की 22 दृश्य-प्रतिमाओं में एक गुरुकुल की छवि भी है। हम सदैव ज्ञान-दान में विश्वास रखते आए हैं।” उन्होंने सुझाव दिया कि कोचिंग सेंटरों को अपने मौजूदा ढांचे का उपयोग कौशल केंद्रों में परिवर्तित करने के लिए करना चाहिए। उन्होंने लोगों, समाज और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे इस समस्या की गंभीरता को समझें और शिक्षा में आत्म-नियंत्रण लाने के लिए एकजुट हों। धनखड़ ने कौशल आधारित कोचिंग की आवश्यकता पर बल दिया। डिजिटल युग में बदलती वैश्विक शक्ति संरचनाओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “21वीं सदी का युद्ध क्षेत्र अब भूमि या समुद्र नहीं है। पारंपरिक युद्ध अब अतीत की बात हो गई है। आज हमारी शक्ति और प्रभाव ‘कोड, क्लाउड और साइबर’ से तय होते हैं।”

दीक्षांत समारोह में 189 छात्रों को मिली डिग्रियां

इस अवसर पर आयोजित दीक्षांत समारोह में कुल 189 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में अंकुर अग्रवाल को और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ध्रुव गुप्ता को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। समारोह से पहले, उपराष्ट्रपति ने संस्थान परिसर में ‘एक पेड़ पिता के नाम’ और ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाया। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाया।

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