उज्जैन

चरक अस्पताल में रेफर का खेल

सबसे बड़ी मदर-चाइल्ड केयर यूनिट, लेकिन मरीजों को भेजते निजी अस्पताल

समाचार आज। उज्जैन

उज्जैन में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े 300 बेड की मदर एंड चाइल्ड केअर यूनिट यानी चरक अस्पताल में रात को मरीजों को इलाज नही दिया जाता। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यहां आने वाले मरीजो से नर्सिंग स्टाफ का कहना है। जिसकी दुहाई देकर मरीजो को निजी अस्पताल में जाने का षड्यंत्र रचा जाता है। आप खुद देखिए किस तरह प्रदेश के इस सर्वसुविधायुक्त सबसे बड़े अस्पताल में किस तरह का खेल चल रहा है।

उज्जैन शहर के तेलीवाड़ा में रहने वाले अंकित ठाकुर अपनी पत्नी डिंपल को लेकर गुरुवार दोपहर में चरक अस्पताल लेकर पहुंचे थे। डिपंल को प्रसव पीड़ा होने पर वे अस्पताल लाए थे जहां डिंपल को भर्ती तो कर लिया गया। लेकिन उसे डिलेवरी निजी अस्पताल में ही करवानी पड़ी। अब आपको बताते हैं कि चरक अस्पताल का स्टाफ कैसे मरीजो को निजी अस्पताल में जाने के लिए मजबूर करता है। भर्ती होने के बाद डिम्पल की ब्लड सैंपलिंग की गई। जिसमें उन्हें ब्लड की कमी बताई गई। जिस पर उन्हें ब्लड चढ़ाया गया। रात करीब 3 बजे डिम्पल को फिर प्रसव पीड़ा शुरू हुई। लेकिन इस बार स्टाफ ने रात को डॉक्टर नही होने की बात कहते हुए निजी अस्पताल में जाने की सलाह दे दी।

पति अंकित के अनुसार उन्हें स्टाफ ने एनेस्थेटिक नही आने की जानकारी दी। जिस वजह से उन्हें जाना पड़ा। उस समय अस्पताल में कोई महिला चिकित्सक भी नही थी। करीब साढ़े तीन घंटे इंतजार करने के बाद वे मजबूरन सुबह 6.30 बजे पत्नी को लेकर संजीवनी अस्पताल पहुंचे। जहां सुबह 8 बजे आपरेशन से डिलीवरी की गई।

मामले में चरक अस्पताल की आरएमओ डॉ निधि जैन ने बताया कि वर्तमान में अस्पताल में नियमित एनेस्थेटिक पदस्थ नहीं है जिस वजह से वह आउट सोर्स के जरिए एनस्थेटिक को बुलाते हैं। महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद एनस्थेटिक डॉ कौस्तुभ त्रिपाठी को बुलाने की जानकारी ड्यूटी डॉक्टर अंकिता चौहान ने दी थी। लेकिन उन्होंने आने से साफ इनकार कर दिया था जिस वजह से महिला को इंदौर एमव्हायएच जाने की सलाह दी गई थी।

इधर डॉ कौस्तुभ त्रिपाठी से बात करने पर उन्होंने बताया कि चरक अस्पताल से उन्हें सुबह 6:30 बजे ही सूचना दी गई। इसके पहले उन्हें कोई कॉल नहीं आया। मतलब साफ है कि चरक अस्पताल आने वाली महिला मरीजों को यहां का स्टॉप एन केन प्रकारेण निजी अस्पताल में धकेलने का प्रयास करता है। और यह पहला मामला नहीं है जब मरीजों को निजी अस्पताल में पहुंचाने के लिए चरक अस्पताल स्टाफ के षड्यंत्र की खबर सामने आई हो। आए दिन इस प्रकार के मामले सामने आते रहते हैं। निजी अस्पतालों से मिलने वाले मोटे कमीशन के लिए यह पूरा खेल रचा जाता है। कमीशन के खेल की खबर सामने आने के बाद वरिष्ठ अधिकारी हर बार जांच और कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को रफा-दफा कर देते हैं।

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