उज्जैनदेश-दुनिया

छोटे पैकेट में लडडू प्रसाद, मंदिर समिति को रोज 5 लाख की अतिरिक्‍त आय

महाकाल मंदिर में तैयार नहीं हो रहे आधा-एक किलो के लडडू प्रसाद पैकेट, समझिये कमाई का गणित….

समाचार आज । उज्‍जैन

श्री महाकालेश्‍वर मंदिर में पिछले कई दिनों से 500 ग्राम व इससे अधिक वजन का लड्डू प्रसादी पैैकेट काउंटर पर नहीं आ रहा है। मंदिर समिति का तर्क है कि ज्‍यादा डिमांड की पूर्ति के कारण ऐसा किया जा रहा है। जबकि जानकार कहते हैं कि सिर्फ छोटे पैकेट में लडडू विक्रय कर मंदिर समिति ने रोज करीब 5 लाख रुपए से अधिक की अतिरिक्‍त कमाई बढ़ा ली है।

इन दिनों रोज लाखों की संख्‍या में दर्शनार्थी श्री महाकालेश्‍वर मंदिर पहुंच रहे हैं। मंदिर के प्रसाद के रूप में लड्डू प्रसादी की डिमांड सर्वाधिक रहती है। मंदिर समिति द्वारा 1 किलो, 500 ग्राम, 200 ग्राम और 100 ग्राम के पैकेट में लड्डू विक्रय किया जाता है जिसकी कीमत क्रमश: 400 रुपए, 200 रुपए, 100 रुपए और 50 रुपए तय है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से 200 ग्राम तक पैकेट ही काउंटरों पर विक्रय के लिए उपलब्‍ध हैं। 500 ग्राम और 1 किलो के पैकेट गायब हैं। सर्वाधिक डिमांड 500 ग्राम के पैकेट की रहती है। ऐसे में दर्शनार्थी छोटे पैकेट अधिक संख्‍या में खरीद रहे हैं।

डिमांड पूर्ति के लिए कर रहे ऐसा

मंदिर समिति का कहना है कि इन दिनों भक्‍तों की संख्‍या लाखों में हो गई है इस कारण छाेटे पैकेट बनाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि अधिक लोगों को प्रसादी मिल सके।

छोटे पैकेट में फायदे का सौदा

सूत्रों का कहना है कि छोटे पैकेट बेचना मंदिर समिति के लिए फायदे का सौदा है। क्‍योंकि छोटे पैकेट में 100 रुपए में 200 ग्राम और 50 रुपए में 100 ग्राम लड्डू् दर्शनार्थी तक पहुंच रहा है। जिससे मंदिर समिति को लडडू की कीमत 500 रुपए किलो मिल रही है। वहीं अगर एक किलो या 500 ग्राम का पैकेट बेचा जाये तो उसमें मंदिर समिति को लडडू की कीमत 400 रुपए प्रति किलो मिलती है।

45 से 65 क्विंटल है लडडू की खपत

इन दिनों लडडू की खपत 45 से 65 क्विंटल प्रतिदिन है। आम दिनोें में तकरीबन 45 तो शनिवार, रविवार, सोमवार और अन्‍य विशेष दिनों में 65 क्विंटल तक लडडू की खपत हो जाती है। इस तरह अगर देखा जाये तो प्रति किलो पर 100 रुपए, प्रति क्विंटल पर 10 हजार रुपए और 50 क्विंटल पर 5 लाख रुपए की अतिरिक्‍त आय मंदिर समिति को सिर्फ छोटे पैकेट में लडडू विक्रय करने से हो रही है।

Related Articles

Back to top button