जीतू पटवारी का दावा गलत, पर उज्जैन में शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत इंदौर-भोपाल से अधिक
जीते पटवारी के बयान पर सरकारी रिपोर्ट में उज्जैन का आंकड़ा चौंकाने वाला

उज्जैन, मध्य प्रदेश: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक बयान ने मध्य प्रदेश की राजनीति में तूफान ला दिया है। भोपाल में सोमवार को दी गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दावा किया कि प्रदेश की महिलाएं देश में सबसे ज्यादा शराब पीती हैं। इस बयान पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसके बाद बीजेपी महिला मोर्चा ने प्रदेशभर में, उज्जैन सहित, विरोध प्रदर्शन किए। पटवारी ने बाद में अपने दावे के पक्ष में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट का हवाला दिया।
जब NFHS-5 की सरकारी रिपोर्ट की पड़ताल की गई, तो जीतू पटवारी का ‘नंबर वन’ वाला दावा गलत साबित हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, शराब पीने वाली महिलाओं के मामले में मध्य प्रदेश 15वें स्थान पर है, जबकि अरुणाचल प्रदेश 17.8% के साथ पहले नंबर पर है। पूरे प्रदेश में केवल 1.0% महिलाएं ही शराब का सेवन करती हैं। हालांकि, इसी रिपोर्ट में उज्जैन को लेकर कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
पांच शहरों में उज्जैन टॉप पर
पांच बड़े शहरों की बात करें तो उज्जैन में शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत इंदौर-भोपाल जैसे बड़े शहरों से 4 गुना ज्यादा है। इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में 0.2 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं, तो जबलपुर में ये आंकड़ा 0.3 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक, उज्जैन में 0.8 फीसदी महिलाएं शराब का सेवन करती हैं। 7 जिले, जिनमें बुरहानपुर, झाबुआ, खरगोन, नर्मदापुरम, सिंगरौली, बड़वानी और सिवनी शामिल हैं, यहां 1 फीसदी से ज्यादा और 2 फीसदी से कम महिलाएं शराब पीती हैं।
- बड़े शहरों में उज्जैन शीर्ष पर: NFHS-5 की रिपोर्ट के अनुसार, उज्जैन में शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत अन्य बड़े शहरों जैसे इंदौर, भोपाल और ग्वालियर से काफी अधिक है।
- आंकड़े: जहाँ इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में यह आंकड़ा सिर्फ 0.2% है, वहीं उज्जैन में 0.8% महिलाएं शराब का सेवन करती हैं। यह इंदौर-भोपाल जैसे शहरों से चार गुना ज्यादा है।
आदिवासी जिले सबसे आगे
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले इस मामले में सबसे आगे हैं। अलीराजपुर 7% के साथ शीर्ष पर है, जिसके बाद डिंडोरी, धार और अनूपपुर जैसे जिले आते हैं। राज्य के कुल 34 जिलों में महिलाओं के शराब पीने का औसत 1% से भी कम है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के बारे में जानिए
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) कराता है। कई चरणों में होने वाले सर्वे में सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं। NFHS का पहला सर्वे 1992-93 में हुआ था। इसके बाद से 5 सर्वे आयोजित किए जा चुके हैं। इस सर्वे से देश और राज्यों में प्रजनन क्षमता, शिशु एवं बाल मृत्यु दर, परिवार नियोजन के अभ्यास जैसे पैरामीटर्स का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, रक्ताल्पता, स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन सेवाओं के उपयोग के आंकड़ों के बारे में पता चलता है। साल 2019 से 2021 के बीच किए NFHS 5 के सर्वे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने शराब और तंबाकू के सेवन जैसे नए टॉपिक जोड़े थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने साल 2022 में इसकी रिपोर्ट जारी की थी।
पटवारी ने कहा था- एमपी महिलाएं सबसे ज्यादा शराब पीती हैं
दरअसल, जीतू पटवारी ने सोमवार को भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, ‘मध्यप्रदेश को तमगा मिला है कि महिलाएं सबसे ज्यादा शराब अगर पूरे देश में कहीं पीती हैं तो यहां की पीती हैं। यह समृद्ध मप्र का सपना देखने वाली बीजेपी ने मप्र के हालात कर दिए हैं। देश में शराब की सबसे ज्यादा खपत कहीं है तो मध्यप्रदेश में है।’ पटवारी का यह बयान सामने आने के बाद देशभर में राजनीति बयानबाजी शुरू हो गई। बीजेपी ने इसे लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की मानसिकता बताते हुए पटवारी से माफी की मांग की। वहीं बीजेपी महिला मोर्चा ने जगह-जगह प्रदर्शन किए।
सियासत गरम, पर आंकड़ों पर बहस जरूरी
जीतू पटवारी के बयान ने भले ही राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया हो, लेकिन इसने एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। जहां पटवारी का दावा गलत साबित हुआ, वहीं सरकारी रिपोर्ट ने उज्जैन जैसे शहर में महिलाओं के शराब सेवन के बढ़ते प्रतिशत पर ध्यान आकर्षित किया है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बीच, यह मुद्दा उज्जैन के नागरिकों और प्रशासन के लिए एक विचारणीय विषय हो सकता है।