नरवाई जलाई तो खेत और जेब दोनों को नुकसान
नरवाई जलाई तो प्रशासन वसूलेगा जुर्माना, किसानों को जारी की एडवायजरी

खेतों में नरवाई ( narvai) जलाई तो किसानों को खेत के साथ ही जेब पर भी भारी पड़ सकता है। प्रशासन ने नरवाई जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर ली है
प्रशासन ने एडवायजरी जारी करते हुये किसानों से अपील की है कि गेहूं एवं अन्य फसलों को काटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है। वर्तमान में जिले में लगभग गेहूं फसल की कटाई हो चुकी है। गेहूं काटने के पश्चात् किसान सामान्य तौर पर नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता शक्ति एवं लाभदायक जीव जो कि फसलों को लाभांवित करते है आदि नष्ट हो जाते है। इस संबंध में म.प्र. शासन के नोटिफिकेशन अनुसार उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने नरवाई जलाने जाने पर जुर्माने वसूलने का आदेश जारी किया है।
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नरवाई जलाई तो इतना पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना भरना होगा
- 02 एकड़ से कम भूमि रखने वाले को 25 सौ रुपए।
- 02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ से कम भूमि रखने वाले को पांच हजार रुपए।
- 05 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को 15 हजार रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी।
नरवाई जलाने से खेत मेें यह नुकसान
- इससे भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है। सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।
- भूमि की ऊपरी पर्त में ही पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है। आग लगाने के कारण पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है।
- भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है और फसलें सूखती है।
- खेत की सीमा पर लगे पैड़ पौधे (फल, वृक्ष आदि) जलकर नष्ट हो जाते है। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।
- वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है। कार्बन से नाईट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है।
- कार्बन से नाईट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। केचुए नष्ट हो जाते है। इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
- नरवाई जलाने से जन-धन की हानि होती है।
इन तरीकों से किया जा सकता है नरवाई का प्रबंध
- नरवाई जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्र कर जैविक खाद जैसे- भू नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो वे बहुत जल्दी सडक़र पोषक तत्वों से भरपूर कृषक स्वयं का जैविक खाद बना सकते है।
- खेत में कल्टीवेंटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि कि सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जैवांश खाद कि बचत कि जा सकती है।
- सामान्य हार्वेस्टर से गेहूं कटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर एवं हार्वेस्टर का प्रयोग करें तो पशुओ के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों कि उपलब्धता बढऩे के साथ मिट्टी की संरचना को बिगडऩे से बचाया जा सकता है।