नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना के लिये औंकारेश्वर जलाशय से उज्जैन तक सवा दो हजार किमी लंबी दूरी तय करेगा पानी
नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना का तराना में सीएम डॉ मोहन यादव ने किया है लोकार्पण, समझिये कैसे पहुंचेगा 100 से अधिक गांवों तक पानी

नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना का लोकार्पण मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार 20 मार्च 2025 को उज्जैन जिले के तराना में किया है। यह योजना 2489 करोड़ रुपए की है। लोकार्पण मौके पर सीएम द्वारा योजना के तहत डाली गई पाइप लाइन का वाल्व खोलते ही नर्मदा का जल तराना पहुंचा। यहां श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर की बावड़ी में जल झरने की तरह गिरने लगा। योजना के तहत नर्मदा का जल तो उज्जैन और शाजापुर जिले के 100 से अधिक गांवों तक पहुंचने लगा है लेकिन पानी लाने के लिये कितनी जुगत लगाना पड़ी है, इसकी जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं है।
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जमीन के नीचे 2254 किमी लंबा सफर तय कर पहुंच रहा है यहां पानी
नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना के तहत यहां पहुंचने वाला पानी खंडवा जिले के ग्राम बड़ेल मेें स्थित ओंकारेश्वर जलाशय से लाया जा रहा है। करीब 2254 किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन डालकर पानी यहां लाया जा रहा है। इससे 30218 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी जिससे क्षेत्र के हजारों किसानों की लाइफ स्टाइल बदल जायेगी। साथ ही उज्जैन, नागदा, शाजापुर में पेयजल सहित उद्योगों को भी जल मिलेगा। परियोजना के शुरू होने के बाद उज्जैन, शाजापुर, नागदा, मक्सी सहित 100 गावों को पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस तरह समझा जा सकता है पानी के सफर काे
नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना के लिये मुख्य पाइप लाइन से कुल 2254 किमी (3000 एमएम व्यास से 63 एमएम व्यास) पाइप लाइन बिछाई गई है। प्रति 20 हेक्टेयर पर एक ओएमएस बाक्स स्थापित किये गये हैं। अर्थात कुल 1539 बाक्स स्थापित किए गए हैं। इन्ही से सिंचाई के किसानों को अपनी सुविधा अनुसार स्प्रिंकल या ड्रिप की लाइन बिछाकर ओएमएस बाक्स से जोड़ना होगा। इसी तरह पेयजल को लेने के लिए पीएचई को अपनी पाइप लाइन से जोड़ना होगा।
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तराना, मक्सी और शाजापुर जल पहुंचना शुरू, इन क्षेत्रों को मिलेगा फायदा
नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना से नर्मदा का पानी उज्जैन के तराना, मक्सी और शाजापुर पहुंचना शुरू हो गया है। इससे 100 गांवों की 30218 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। जिससे उज्जैन जिले की दो तहसील (तराना, घटिया), विधानसभा क्षेत्र तराना के कुल 83 गांवों की 27490 हेक्टेयर भूमि। वहीं शाजापुर जिले की एक तहसील (शाजापुर) विधानसभा क्षेत्र शाजापुर के कुल 17 गावों की 2728 हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी।
15 क्यूबिक जल लायेंगे-10 सिंचाई और 5 क्यूबिक पेयजल और उद्योगों के लिये आरक्षित
नर्मदा विकास घाटी परियोजना के अधिकारियों का दावा है कि परियोजना के लिए ओमकारेश्वर जलाशय से पानी को लिफ्ट किया जाएगा। 6 पंप हाउस बनाए है। 2 खरगोन और 3 पंप हाउस हमारे देवास जिले में है। वहीं 1 पंप हाउस उज्जैन जिले में बनाया गया है। परियोजना में ओमकारेश्वर जलाशय से 15 क्यूबिक जल लिफ्ट कर रहे हैं। जिसमें से दस क्यूबिक जल सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। वहीं पांच क्यूबिक जल पेयजल और औद्योगिक के लिए आरक्षित रखा है।
इस तरह होगी पानी लाने की प्रक्रिया
नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना में 435 मीटर पानी लिफ्ट करने और करीब 2254 कि.मी. दूर तक पानी को भेजने के लिए 394 मीटर की अप्रोच चैनल और दो पम्प हाउस बड़ेल में बनाया गया है। इसके बाद ब्रेक प्रेशर टेंक 4239 गहन मीटर में पानी जाएगा। यहां से अंजनाकूट देवास में पम्प हाउस तीन से होकर पानी ब्रेक प्रेशर 2 में होता हुआ धोबगट्टा देवास के पम्प क्रमांक 4 और फिर यहां से ब्रेक प्रेशर 4 में जाएगा। यहां से भानगढ़ देवास पम्प क्रमांक 5 से डिलवरी चेंबर 1 में और फिर गोयलबुजुर्ग उज्जैन के पम्प क्रमांक 6 से डिलवरी चेंबर 2 आउटलेट मैनेजमेंट सिस्टम तक पहुंचेगा। यहीं से जल सिंचाई पेयजल और उद्योगों तक पहुंचेगा। इस जल के वितरण की प्रक्रिया पाइप के द्वारा ही होगी।
प्रत्येक 20 हेक्टेयर मेें एक आउटलेट मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित
नर्मदा विकास घाटी परियोजना के अधिकारियों का कहना है कि ओमकारेश्वर जलाशय से उज्जैन तक पानी पहुंचाने के लिए 2254 किमी लम्बी भूमिगत मुख्य पाइप लाइन डाली है। इस परियोजना में प्रत्येक बीस हेक्टेयर में एक आउटलेट मैनेजमेंट सिस्टम (oms) स्टोक्स का स्थापन किया गया है। जिसमें आठ आउटलेट दिए गए हैं। जो प्रत्येक 2.5 हेक्टेयर किसानों को कनेक्ट करेगा। इस परियोजना से किसान अपने संसाधन से कनेक्ट करके जल का उपयोग कर सकेगा। इसके लिए 6 पम्प हाउस बनाए हैं। वहां से पानी लिफ्ट होगा।
435 मीटर ऊपर खींचकर पहले देवास, फिर उज्जैन पहुंचेगा पानी
खरगोन के बड़ेल जलाशय का स्तर और मालवा के ग्राउंड लेवल में 435 मीटर का अंतर है। इसलिए 435 मीटर गहराई से पानी को लिफ्ट कर ओमकारेश्वर से देवास फिर उज्जैन के तराना, मक्सी, शाजपुर और अंत में नागदा तक पहुंचाया जाएगा। पानी देने के लिए पम्प लगातार चलेंगे। इसमें कुछ जगह ग्राउंड लेवल पर ग्रेविटी का भी उपयोग कर पानी को सिंचाई और पेयजल के उपयोग के लिए पहुंचाया जाएगा। किसानों को उनके आउटलेट पर बीस मीटर हेड तक पानी उपलब्ध होगा। जहां से किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर की मदद से सिंचाई पद्धति तकनीक से कनेक्शन कर सकेंगे अपनी पर स्प्रिंकलर का प्रयोग करके सिंचाई कर सकेंगे। पाइप लाइन खरगोन जिले की बड़ेल से शुरू होकर देवास तक लाई गई है। इसके बाद भानगढ़ से लाइन को डिवाइड किया गया है। एक लाइन तराना के लिए दूसरी लाइन उज्जैन जिले के लिए गई है। उज्जैन की लाइन में सिर्फ पेयजल और उद्योगिक के उपयोग के लिए तीन क्यूबिक जल मिलेगा। वहीं तराना के लिए 10 क्यूबिक जल सिंचाई के लिए मिलेगा। इसी से उज्जैन और शाजापुर के गांवों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। भूमिगत पाइप लाइन का नागदा अंतिम छोर होगा। यहां पर उद्योग और पेयजल दोनों के लिए पानी का उपयोग किया जा सकेगा।
हाईटेक कंट्रोल रूम देवास में बनाया
नर्मदा विकास घाटी परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि परियोजना में हम आधुनिक तकनीक स्काडा का प्रयोग कर रहे हैं। इस तकनीक में देवास के पास एक हाईटेक कंट्रोल रूम बनाया है। जहां परियोजना के किसी क्षेत्र की लाइन को चालू और बंद कर उसकी निगरानी कर सकेंगे। इसके साथ ही पूरी 200 किमी की लाइन को कंट्रोल रूम में बैठकर ऑपरेट करना। इसके अलावा किसी भी वाल को बैठे-बैठे कंट्रोल रूम से बंद या चालू कर कहां पानी देना है कहां नहीं इसकी भी मॉनिटरिंग हो सकेगी।
89 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी योजना के लिये
नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजनामें कुल 2254 किमी (3000 एमएम व्यास से 63 एमएम व्यास) पाइप लाइन बिछाई गई है। नर्मदा शिप्रा योजना से उज्जैन शाजापुर जिले के 100 गांवों को सिंचाई के लिए पानी और उज्जैन, नागदा, तराना, घट्टिया, शाजापुर, मक्सी को पेयजल और उद्योग के लिए पानी मिल सकेगा। भूमिगत पाइपलाइन द्वारा 15 घन मीटर प्रति सेकेंड की दर से जल 435 मीटर ऊंचाई तक कुल 6 पंपिंग स्टेशन एवं 50 पंप मोटर के माध्यम से लिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए कुल 89 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी। परियोजना के तहत मुख्य पाइप लाइन और वितरण प्रणाली से 2.5 हेक्टेयर चक तक कुल 2254 किमी (3000 एमएम व्यास से 63 एमएम व्यास) पाइप लाइन बिछाई गई है। प्रति 20 हेक्टेयर पर एक ओएमएस बॉक्स अर्थात कुल 1539 बाक्स स्थापित किए गए हैं।