अध्यात्म

बांके बिहारी के चरण दर्शन होते हैं साल में सिर्फ एक बार, अक्षय तृतीया पर उमड़े दर्शनार्थी

बांके बिहारी मंदिर उज्जैन में सुबह 8 बजे से शुरू हुआ दर्शनों का दौर दिनभर चला

अक्षय तृतीया पर उज्जैन के अंकपात मार्ग स्थित बांके बिहारी मंदिर में दिनभर चरण दर्शन charan darshan का दौर चला। साल में सिर्फ एक दिन अक्षय तृतीया akshya tratiya पर श्री बांके बिहारी के दर्शन कराने की परंपरा है, जिसका अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को निर्वहन किया गया।

संतश्री पं. हरिनारायण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन बुधवार 30 अप्रैल 2025 को सुबह आठ बजे आरती के उपरांत भगवान के चरण दर्शन प्रारंभ हुए जो रात रात 10 बजे तक चले। सुबह आरती उपरांत भोग लगाया गया और प्रसादी वितरण भी हुआ। संतश्री पं. हरिनारायण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्रीहरि के चरण दर्शन का विशेष महत्व है। ठाकुर जी श्री बांके बिहारी के चरण साल के अन्य दिनों में छिपे रहते हैं। साल में सिर्फ एक ही दिन इन्हें दर्शन के लि ए खुला रखा जाता है। अक्षय तृतीया पर वृंदावन सहित देश के सभी मंदिरों में श्री बांके बिहारी के दर्शन की परंपरा है। अक्षय तृतीया पर चरण दर्शन के लिये लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं।

बांके बिहारी के वृंदावन स्थित मंदिर में 10 लाख से अधिक ने किये दर्शन

बांके बिहारी के वृंदावन स्थित मुख्य मंदिर में अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। साल में केवल अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान बांके बिहारी के सभी अंगों पर चंदन लगाया जाता है। भक्तों को उनके चरण दर्शन कराए जाते हैं। चरण दर्शन भी साल में सिर्फ आज ही के दिन कराए जाते हैं। अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी मंदिर के पट सुबह 5 बजे खुले। सबसे पहले मंदिर के पुजारी अंदर गए। देहरी पूजन किया। गर्भगृह में पहुंचकर भगवान का अभिषेक किया और फिर चंदन का लेपन कर श्रृंगार किया। आम भक्तों के लिए मंदिर के पट सुबह 7 बजे खोल दिए गए। भारी भीड़ सुबह से ही उमड़ी थी। प्रशासन के मुताबिक शाम तक 10 लाख से अधिक भक्तों के दर्शन का अनुमान है।

200 किलो का चंदन, पैरों में पायजेब और लटकनदार हार किया धारण

अक्षय तृतीया पर वृंदावन के भगवान बांके बिहारी को पैरों में पायजेब और लटकनदार हार धारण कराया गया। शाम को सर्वांग दर्शन हुये जिसमें भगवान के शरीर पर चंदन का लेप किया गया था। वे धोती पहने हुये थे, यह दर्शन भगवान ने भक्तों को दिये। चंदन खासतौर पर दक्षिण भारत से मंगवाया गया। चंदन के आधा-आधा किलो के 4 लड्डू सुबह, दोपहर, शाम बांके बिहारी के चरण में रखे गये। पूरे दिन भक्तों के जरिए 200 किलो चंदन चढ़ाए जाने का अनुमान है। मैसूर से चंदन की जो लकड़ी मंगाई गई। इसे एक महीने तक पानी में भिगो कर रखा गया। इसकी घिसाई शुरू हुई। मंदिर के गोस्वामियों ने 15 दिन तक रोज 6 से 8 घंटे तक इसकी घिसाई की। इसमें 1 किलो केसर, गुलाब जल और कपूर भी मिलाया गया। अक्षय तृतीया से भीषण गर्मी शुरू हो जाती है। भगवान को गर्मी न लगे इसके लिए शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन का लेपन किया जाता है और उनके चरणों में चंदन के लड्डू बनाकर रखे जाते हैं। अक्षय तृतीया बाद इस चंदन को भक्तों में वितरित किया गया।

-हरिओम राय

Related Articles

Back to top button