बिजली चोरी और बकाया वसूली के लिए उज्जैन में खुलेगा विशेष ‘बिजली थाना’
बिजली थाना अगले 3-4 महीनों में चालू होने की उम्मीद, उज्जैन में ज्योतिनगर मुख्यालय में यह थाना स्थापित किया जाएगा

उज्जैन: अब उज्जैन में बिजली चोरों और बकायादारों की खैर नहीं! मध्य प्रदेश सरकार ने गुजरात मॉडल पर आधारित विशेष ‘बिजली थाने’ खोलने की मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण पहल के पहले चरण में उज्जैन को भी शामिल किया गया है। शहर के ज्योतिनगर मुख्यालय में यह थाना स्थापित किया जाएगा। पहले चरण में उज्जैन और इंदौर समेत छह शहरों में ये थाने शुरू होंगे। यहां तैनात पुलिस टीम मौके पर जाकर जांच करेगी, एफआईआर दर्ज करेगी और केस डायरी तैयार करेगी। इसका मकसद बिजली चोरी रोकना, बकायेदारों से वसूली करना और स्थानीय पुलिस पर निर्भरता खत्म करना है।
इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई एक समीक्षा बैठक में मंजूरी मिली थी। उज्जैन का यह थाना अगले 3-4 महीनों में चालू होने की उम्मीद है, जिससे बिजली व्यवस्था में सुधार होने की पूरी संभावना है। यह निर्णय बिजली चोरी, केबल चोरी और बिजली कर्मचारियों पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए लिया गया है। इस थाने में एक पूरी पुलिस टीम तैनात होगी, जो सीधे मौके पर जाकर जांच करेगी, एफआईआर दर्ज करेगी और केस डायरी बनाएगी। पहले चरण में प्रदेश के छह शहरों – इंदौर, उज्जैन, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में एक-एक बिजली थाना खोला जाएगा। मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने बताया कि पहला थाना इंदौर और दूसरा उज्जैन में बनेगा। दोनों थानों को 3-4 महीने में चालू करने की उम्मीद है।
क्यों ज़रूरी है यह पहल?
अभी तक बिजली विभाग को ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए स्थानीय पुलिस पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे अक्सर कार्रवाई में देरी होती थी। कई बार तो बिजली कर्मचारियों पर हमले भी हो जाते थे। इन विशेष थानों के खुल जाने से बिजली विभाग की जांच टीमें सीधे पुलिस बल के साथ मिलकर कार्रवाई कर सकेंगी, जिससे चोरी और बकाया वसूली के मामलों में तेजी आएगी।
क्या होंगी सुविधाएं और कितना होगा खर्च?
- स्टाफ: प्रत्येक थाने में 10 लोगों का स्टाफ होगा, जिसमें एक टीआई (थाना प्रभारी), दो एएसआई, पांच पुलिसकर्मी, एक डेटा ऑपरेटर और एक सहायक उप निरीक्षक शामिल होंगे। महिला-पुरुष कर्मचारियों का अनुपात 50-50 रखने की योजना है।
- लागत: एक थाने की स्थापना में लगभग 20 से 30 लाख रुपए का खर्च आएगा, जबकि सालाना संचालन लागत करीब 2 करोड़ रुपए होगी।
- लक्ष्य: इन थानों का मुख्य उद्देश्य बिजली चोरी पर लगाम लगाना और लाइन लॉस को कम करना है। फिलहाल पश्चिमी क्षेत्र में यह नुकसान 12.5% है, जिसे सख्ती से रोका जाएगा।