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भोले की नगरी से बच्‍चों की चोरी, 1 साल में 50 गायब

अब पकड़ी गई गैंग, तीर्थ करने आये याात्रियों के बच्‍चों को सोते वक्‍त ले जाते थे

समाचार आज

भोले की नगरी के रूप में जगत में विख्‍यात काशी में एक घिनौना काम लंबे समय से चल रहा था। यह था छोटे मासूम बच्‍चों की चोरी का। तीर्थ यात्रा पर आये लोगों के मासूम बच्‍चों को बदमाश उस वक्‍त उठा ले जाते थे जब वे रात में खुले आसमान के नीचे सो रहे होते थे। वाराणसी और उसके आस-पास के जिलों से 1 साल में 50 से ज्यादा बच्चे चोरी हुए हैं। इन बच्चों को 2 से 5 लाख रुपए में बिहार, झारखंड और राजस्थान में बेच दिया गया। यह खुलासा वाराणसी पुलिस ने बच्चा चोर गिरोह पकड़कर किया है। अब जिन बच्चों को बेचा गया। पुलिस उन्हें रिकवर करने में लग गई है।

बच्‍चा गैंग का निशाना फुटपाथ पर सोने वाले परिवार होते थे। सोती हुई महिलाओं के पास से बच्चा उठा ले जाते थे। वजह है कि ये लोग जल्दी थाने में शिकायत नहीं करते हैं। अगर, करते भी हैं तो इनकी सुनवाई थाने में होती नहीं। यही नहीं, ये लोग मेला या व्यस्त बाजार से भी बच्चे चोरी करते थे। किसी को शक न हो, इसलिए गिरोह में 3 महिलाएं भी शामिल थीं। पकड़े गए सभी लोग राजस्थान और झारखंड के रहने वाले हैं।

बच्चा चोरी का CCTV ने दिया सुराग

पुलिस को 7 दिन पहले एक CCTV फुटेज मिला था। ये रवींद्रपुरी स्थित रामचंद्र शुक्ल चौराहा का था। जिसमें फुटपाथ पर सो रहे एक दंपती के बीच से बच्चे को उठाते हुए 2 लड़के दिखते हैं। यहां से पुलिस की जांच शुरू होती है। दिख रहे एक लड़के की पहचान संतोष के रूप में होती है। वह शिवदासपुर सिंदुरिया पोखरी में रहने वाला था। एक टीम ने छापामारी करके उसको उठा लिया।

10 सदस्‍य हैं गिरोह में

गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि बच्चा चोर गिरोह में 10 सदस्य हैं। उनका टारगेट एरिया वाराणसी और उसके आस-पास का क्षेत्र है। भेलूपुर, कैंट, लंका थाना में केस दर्ज किए गए। तीनों थानों की पुलिस पड़ताल में जुट गई। सर्विलांस सेल और क्राइम ब्रांच के साथ पुलिस टीम ने ताबड़तोड़ दबिशों के बीच तीन बच्चों की बरामदगी भी की। गिरोह की तीन महिलाओं समेत 10 लोगों को भेलूपुर से गिरफ्तार किए गए।

बिहार, झारखंड में भी बेच चुके हैं बच्‍चे

वाराणसी और आसपास के इलाकों से अब तक 50 से ज्यादा बच्चों का अपहरण कर बाहर बेचा गया है। बिहार, झारखंड और राजस्थान के एजेंट को बच्चा देने के बाद इन लोगों को 2 से 5 लाख रुपए तक मिल जाते थे। उन्होंने बताया कि हमें नहीं पता कि इसके बाद बच्चों का क्या किया जाता था। ऐसा माना जा रहा है कि ये गिरोह निसंतान दंपतियों को बच्चा बेचते थे। पुलिस ने बिहार और झारखंड पुलिस से बच्चों का रिकॉर्ड साझा किया है।

गरीब बच्‍चों पर नजर

संतोष ने बताया कि अमीर लोगों के बच्चों को हम नहीं पकड़ते थे, क्योंकि तब पकड़े जाने की संभावना रहती है। इसलिए सड़क किनारे सोने वाले, गरीब लोगों के बच्चों को टारगेट पर रखते थे। जिससे मामला तूल नहीं पकड़ता था। यही नहीं, बच्चे की सुंदरता से ही उसकी कीमत तय करती है।

टीम को 1 लाख का इनाम

पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ने बच्चा चोरी के संदिग्धों को पकड़ने में शामिल पूरी टीम की सराहना की है। एक लाख रुपए पुरस्कार की घोषणा की। पुलिस टीम ने एक वीडियो के बाद लगातार तलाश करके बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया। अपर पुलिस आयुक्त संतोष सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की क्राइम हिस्ट्री के लिए संबंधित जिलों से जानकारी की जा रही है।

यह है बच्‍चा चोर गैंग

  • मनीष जैन निवासी प्रताप नगर सांगानेर जयपुर राजस्थान।
  • महेश राणा निवासी तसोडीह सरिया जिला गिरीडीह, झारखंड।
  • मुकेश पंडित निवासी डेडोकला बरकठा हजारीबाग झारखंड।
  • विनय मिश्रा निवासी शिवदासपुर थाना मण्डुआडीह।
  • महेश राणा निवासी इन्दवाबस्ती पोस्ट- झुमरी तलईया झारखंड।
  • शिखा देवी निवासी मंडुवाडीह वाराणसी।
  • सुनीता देवी ग्राम करनाडीह सरिया जिला गिरीडीह झारखंड।
  • संतोष कुमार गुप्ता निवासी शिवदासपुर सिंदुरिया पोखरी।
  • यशोदा पंडित देवी निवास बेड़ोकला थाना भरकट्टा झारखंड।
  • भवर लाल निवासी माता जी का चौक बरोदा भीलवाड़ा राजस्थान।

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