मध्यप्रदेश

भगवान महाकाल की राजसी सवारी में आस्था का सैलाब

राजसी सवारी में बारिश के बीच 6 रूपों में निकले राजाधिराज

उज्जैन : श्रावण-भादो मास की छठी और भगवान महाकाल की राजसी सवारी सोमवार को अद्भुत और अविस्मरणीय रही। तेज बारिश के बावजूद लाखों भक्तों का उत्साह चरम पर था। इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं डमरू बजाते हुए पैदल चलकर सवारी में शामिल हुए। बाबा महाकाल ने भक्तों को अपने छह दिव्य रूपों में दर्शन देकर अभिभूत कर दिया। शिप्रा नदी के रामघाट पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई, जिसने इस भव्य दृश्य को और भी अलौकिक बना दिया।

बारिश ने किया राजाधिराज का स्वागत

सवारी शुरू होने से पहले ही आसमान से इंद्रदेव ने जलवर्षा करके मानो राजाधिराज का स्वागत किया। घनघोर बारिश के बीच भी भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं आई। हजारों-लाखों श्रद्धालु भीगते हुए भी इस राजसी सवारी का आनंद लेते रहे। सवारी मार्ग पर कई घंटे पहले से ही भक्त बाबा की एक झलक पाने के लिए खड़े थे। जैसे ही पालकी आई, “जय महाकाल” के जयघोष से पूरा मार्ग गूंज उठा।

सवारी में साधु-संतों से लेकर आम भक्त और पंडे-पुजारी तक, हर कोई भगवान महाकाल की भक्ति में लीन होकर आगे बढ़ रहा था। भजन मंडलियों, डीजे, ढोल और बैंड की धुन पर भक्त नाचते-गाते हुए चल रहे थे।

मंदिर से लेकर शिप्रा तट तक महाकाल का भव्य रूप

दोपहर करीब 3:30 बजे मंदिर के सभामंडप में शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा शुरू करवाई। इसके बाद मुख्य प्रतिमा चंद्रमौलेश्वर को चांदी की पालकी में विराजित किया गया। पालकी के मुख्य द्वार पर पहुँचते ही सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया, जिसके बाद महाकाल अपने नगर भ्रमण पर निकले।

इस वर्ष की छठी सवारी होने के कारण महाकाल ने छह अलग-अलग रूपों में दर्शन दिए:

  1. पालकी में: चंद्रमौलेश्वर
  2. हाथी पर: मनमहेश
  3. गरुड़ रथ पर: शिव तांडव
  4. नंदी रथ पर: उमा-महेश
  5. डोल रथ पर: होल्कर स्टेट
  6. एक अन्य रथ पर: सप्तधान

महाकाल मंदिर परिसर में ड्रोन से पालकी पर गुलाब के फूलों की बारिश की गई, जिसने भक्तों के मन को मोह लिया।

मुख्यमंत्री और सिंधिया परिवार ने निभाई परंपरा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दिल्ली से सीधे उज्जैन हेलीपैड पर उतरे और महाकाल मंदिर पहुंचकर सवारी में शामिल हुए। उन्होंने पूजन-अर्चन किया और पूरे रास्ते पैदल चलकर भक्ति का प्रदर्शन किया।

वहीं, सिंधिया परिवार की पुरानी परंपरा को निभाते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया ने इंदौर से आकर गोपाल मंदिर में पूजन किया। प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल भी इस पूजा में शामिल हुए।

सुरक्षा और व्यवस्था में सख्ती

सवारी मार्ग पर भक्तों ने 100 से अधिक मंचों से बाबा महाकाल का स्वागत किया। हालांकि, सराफा में एक जर्जर मकान के नीचे बने मंच को लेकर प्रशासन ने सख्ती दिखाई। नगर निगम की टीम ने पुलिस के सहयोग से तत्काल उस मंच को हटा दिया। निगम आयुक्त मिश्रा ने ऐसे सभी खतरनाक जगहों पर बने मंचों को हटाने के निर्देश दिए। शिप्रा के राम घाट पर थ्री-लेयर सुरक्षा व्यवस्था की गई थी ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

सवारी की अद्भुत झलकियाँ

सवारी में कई मनमोहक दृश्य देखने को मिले, जो भक्तों के दिलों में बस गए:

  • जनजातीय लोक कलाकारों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • सवारी के आगे श्री महाकालेश्वर मंदिर का प्रचार वाहन, चांदी का ध्वज और तोपची निकले।
  • 5 घोड़ों पर सवार पुलिस के जवान और सशस्त्र बल की टुकड़ियाँ मार्च पास्ट करती हुई निकलीं।
  • ढुलिया जनजाति का गुदुम बाजा नृत्य, हरदा के डंडा लोक नृत्य और बालाघाट की बैगा जनजाति का करमा नृत्य प्रमुख आकर्षण रहे।
  • इंदौर, रतलाम, देवास, शाजापुर जैसे शहरों से आई भजन मंडलियों ने अपने वाद्ययंत्रों के साथ भक्तिमय माहौल बनाया।
  • सवारी में कई भक्त नंदी पर महादेव, हनुमान, गणेश, राम-कृष्ण और यहाँ तक कि 10 मुख वाले रावण का रूप धारण कर आए।
  • उज्जैन के प्रसिद्ध बैंड और इंदौर के राजकमल म्यूजिकल ग्रुप ने भजनों की मधुर स्वरलहरियां बिखेरीं।
  • सवारी का लाइव प्रसारण भी किया गया, जिसे हजारों लोगों ने उज्जैन के विभिन्न हिस्सों में देखा।

यह शाही सवारी न केवल एक धार्मिक आयोजन थी, बल्कि आस्था, संस्कृति और जन-उत्साह का अद्भुत संगम थी, जिसने पूरे उज्जैन को भक्ति के रंग में रंग दिया।

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