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महाकाल को छूकर पूजन करने के लिए अब कोर्ट की शरण में भक्तजन

महाकाल के गर्भगृह में आम भक्तों को मिले प्रवेश, हाईकोर्ट में याचिका दायर

उज्जैन में विराजित भगवान महाकाल को  छूकर दर्शन-पूजन के लिए भक्त लालयित हैं। अब तक आपने नेताओं और वीआईपी को महाकाल के गर्भगृह में आसानी से प्रवेश करते देखा होगा, जबकि दूर-दराज से आए लाखों भक्तों को बस बाहर से ही दर्शन करने पड़ते हैं। इसी भेदभाव के खिलाफ अब एक याचिकाकर्ता ने इंदौर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता का साफ सवाल है- जब आम भक्त बाहर से दर्शन करते हैं, तो प्रभावशाली लोगों को अंदर क्यों जाने दिया जाता है?

विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं के लिए गर्भगृह में प्रवेश पर लगी पाबंदी का मामला अब इंदौर हाईकोर्ट पहुँच गया है। एक जनहित याचिका में सवाल उठाया गया है कि दूर-दराज से आने वाले लाखों भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिलता, जबकि नेताओं, वीआईपी और प्रभावशाली लोगों को आसानी से एंट्री मिल जाती है।हाईकोर्ट ने इस महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सभी भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी जाए, भले ही इसके लिए शुल्क तय किया जाए।

याचिका में प्रमुख दलीलें

इंदौर के याचिकाकर्ता दर्पण अवस्थी ने अपने वकील चर्चित शास्त्री के माध्यम से हाईकोर्ट में दलील दी कि महाकालेश्वर मंदिर का गर्भगृह सिर्फ कुछ प्रभावशाली लोगों के लिए ही नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम भक्त, जो कई किलोमीटर की यात्रा कर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं, उन्हें बाहर से ही दर्शन करने पड़ते हैं। यह भेदभावपूर्ण व्यवस्था सही नहीं है। याचिका में प्रदेश सरकार, महाकालेश्वर मंदिर ट्रस्ट समिति, उज्जैन कलेक्टर और एसपी को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया है कि एक ऐसी नीति बनाई जाए जो सभी भक्तों को समान रूप से गर्भगृह में पूजा और दर्शन का अवसर दे।

RTI ने भी दिया निराश

इस मामले में याचिकाकर्ता दर्पण अवस्थी ने RTI के जरिए मंदिर समिति से सवाल किया था कि आखिर किन आदेशों के तहत नेताओं और अधिकारियों को गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है? लेकिन, मंदिर समिति ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। याचिका में साफ मांग की गई है कि वीआईपी के नाम पर किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश न दिया जाए। इसके बजाय एक ऐसी नीति बनाई जाए, जिससे हर आम भक्त को भी गर्भगृह में जाने की अनुमति मिल सके, भले ही इसके लिए कोई शुल्क निर्धारित कर दिया जाए। अवस्थी ने बताया कि विधायक गोलू शुक्ला और उनके बेटे रुद्राक्ष द्वारा जबरन मंदिर में प्रवेश करने की घटना के बाद उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने महसूस किया कि लाखों भक्त गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन करने को मजबूर हैं, जबकि कुछ खास लोग नियम तोड़कर अंदर जा रहे हैं।

महाकाल मंदिर के गर्भगृह में लोगों ने किया प्रवेश, जलाभिषेक किया

कहीं से मदद नहीं मिली तो कोर्ट की राह पकड़ी

याचिकाकर्ता दर्पण अवस्थी ने बताया कि लगभग 8 महीने पहले वे स्वयं महाकाल मंदिर गए थे। वहाँ उन्होंने देखा कि आम भक्त पीछे से दर्शन कर रहे थे, जबकि वीआईपी लोग आसानी से गर्भगृह में जा रहे थे। उन्होंने इस स्थिति का एक वीडियो भी बनाया था, जिसे लाखों लोगों ने देखा और साझा किया। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कई राजनैतिक हस्तियों से संपर्क किया, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। अंत में, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने उन्हें इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की सलाह दी। महापौर की सलाह पर ही उन्होंने यह जनहित याचिका दायर की, ताकि सभी भक्तों को समान अधिकार मिल सके। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि क्या बाबा महाकाल के गर्भगृह के द्वार सभी भक्तों के लिए खुलेंगे या नहीं।

महाकाल मंदिर की सही दर्शन व्यवस्था सामने आना जरूरी

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