
उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर में चल रही दोहरी व्यवस्था से देशभर में मंदिर की बदनामी हो रही है। वीआईपी को सुविधाएं और आम दर्शनार्थियों पर तमाम तरह की पाबंदियों से आक्रोश पनप रहा है जो अब सोशल मीडिया पर सामने आने लगा है। जिसे पूरा देश देख रहा है। इतना सब होने के बाद भी मंदिर वीआईपी कल्चर से मुक्त नहीं हो रहा है।
हाल ही में ऑल इंडिया बाइक राइडर नैना ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है जिसमेें वो बता रही है कि पति के साथ महाकाल मंदिर में उसके साथ किस तरह अभद्रता हुई। इस कारण वो दर्शन भी नहीं कर पाई। उन्होंने मंदिर के सुरक्षाकर्मियों पर अभद्रता करने का आरोप लगाया है। मंदिर में वीआईपी कल्चर को लेकर वीडियो पोस्ट किया है। जिसमें कहा गया है कि मंदिर में धर्म के नाम पर व्यापार हो रहा है। नैना ने जो वीडियो पोस्ट किया है, उसे 1 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं। हजारों कमेंट आई हैं जो मंदिर प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर कर रही हैं। कमेंट करने वालों में अधिकतर वे लोग हैं जों मंदिर में आम दर्शनार्थी के रूप में अपमानित हो चुके हैं।

धर्म के नाम पर हो व्यापार हो रहा है मंदिर में, नैना का आरोप
सोशल मीडिया yatriactor पर पोस्ट अपने वीडियो में नैना में कह रही हैं कि महाकाल का तिलक लगवाने के बाद सुबह 5.30 बजे कतार में लगना शुरू किया। दो घंटे बाद सुबह 7.30 बजे नंबर आया। तभी वहां तैनात सुरक्षा गार्ड ने हमारे साथ दुव्र्यवहार किया। हमें दर्शन कराने के बजाय मंदिर के कंट्रोल रूम ले जाया गया। हमें इतनी परेशानी हुई कि दर्शन किए बिना ही वापस लौट गए। वीडियो में नैना कहा, मंदिर में मोबाइल बैन होने की जानकारी नहीं थी। पहले एक लेडी गार्ड मुझ पर चिल्लाने लगी। मैंने कहा कि अब मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करूंगी। इतने में एक और गार्ड आ गया। वह हमें कंट्रोल रूम ले जाने लगा। मैंने उसे पहले दर्शन करने की बात कही, लेकिन उसने अनसुना कर दिया। कंट्रोल रूम में पहुंचने पर हमसे पूछा जाता है कि क्या आप वीआईपी श्रद्धालु हैं? नैना ने अपने वीडियो में विराट कोहली और सारा अली खान, प्रदीप मिश्रा सहित कई के गर्भगृह में पूजन करते हुए वीडियो दिखाए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आम श्रद्धालुओं को केवल कुछ सेकेंड के दर्शन मिलते हैं, तो वीआईपी श्रद्धालु और सेलिब्रिटीज को आधे घंटे तक पूजन-अर्चना की अनुमति कैसे दी जाती है? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंदिर में धर्म के नाम पर व्यापार हो रहा है और सभी नियमों का पालन केवल आम श्रद्धालुओं से ही करवाया जाता है। यदि मोबाइल फोन प्रतिबंधित है, तो इसकी जांच प्रवेश द्वार पर ही क्यों नहीं की जाती? दर्शन के समय चैकिंग करना और अभद्रता करना गलत है।
नैना के साथ जो हुआ वो दिनभर में कई दर्शनार्थियों के साथ हो रहा है
नैना के साथ जो हुआ वो मंदिर में प्रतिदिन दिनभर में कई बार हो रहा है। आम दर्शनार्थी को मोबाइल पर प्रतिबंध बताकर उनके साथ अभद्रता होती है। जबकि वहीं नंदी हाल या गर्भगृह की देहरी तक पहुंच रहा वीआईपी दर्शनार्थी मंदिर के अंदर ही खुलकर मोबाइल का उपयोग कर रहा है। यह देख अपमानित हो रहे आम दर्शनार्थी का आक्रोश फूट पड़ता है और सुरक्षा गार्ड के साथ विवाद हो जाता है। आम आदमी का यही सवाल है वो लोग मोबाइल चला रहे हैं तो हमें क्यों रोका जा रहा है। मंदिर की दोहरी व्यवस्था रोज ही विवादों को जन्म दे रही है। विवाद का कारण सिर्फ मोबाइल ही नहीं, बल्कि दर्शन व्यवस्था भी है। कुछ लोग नंदी हाल में आराम से पूजन-जाप कर रहे हैं तो कुछ लोग गर्भगृह या देहरी से दर्शन कर रहे हैं। आम आदमी 200 फीट दूर बेरिकेड्स से चंद सेकंड भी दर्शन नहीं कर पा रहा है। इन कारणों से आम दर्शनार्थी व्यथित मन से मंदिर से लौटता है।
काल भैरव मंदिर पर भी दर्शनार्थी हो रहा देहरी व्यवस्था का शिकार
अधिकतर दर्शनार्थी भगवान महाकाल के बाद काल भैरव मंदिर पर दर्शन के लिये जरूर जाते हैं। लेकिन उन्हें वहां भी दोहरी दर्शन व्यवस्था दिखती है तो वे उनके मन में नाराजगी और बढ़ जाती है। काल भैरव मंदिर में आम दर्शनार्थी को असुरक्षित बेरिकेड्स से घूमते हुए मंदिर के अंदर प्रवेश मिलता है। बाबा की एक झलक भी नहीं देख पाते कि धक्का मारकर आगे कर दिया जाता है। दूसरी ओर वीआईपी दर्शनार्थी मंदिर के पिछवाड़े से आकर मंदिर के गर्भगृह में लंबे समय तक पूजन करते नजर आते हैं। इन्हीं दोहरी व्यवस्थाओं के कारण कालभैरव पर सुरक्षाकर्मी और दर्शनार्थी के बीच आये दिन मारपीट की घटनाएं हो रही हैं।
सुरक्षाकर्मी सिर्फ ड्यूटी कर रहा, फिर भी पिट रहा और सजा पा रहा
मंदिर में दोहरी दर्शन व्यवस्था अफसरों ने बनाई है। व्यवस्था का पालन सुरक्षाकर्मी कर रहा है। व्यवस्था दोषपूर्ण है और आम दशनार्थी इस व्यवस्था से नाराज है। लेकिन इसे झेलना सुरक्षाकर्मी को पड़ता है। आरोप लगते हैं सुरक्षाकर्मी ने अभद्रता की, इस कारण हर विवाद का पटाक्षेप सुरक्षाकर्मी को नौकरी से बाहर कर किया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि सुरक्षाकर्मी तो सिर्फ व्यवस्था का पालन करा रहा है। उसे सिर्फ आम दर्शनार्थियों को नियमों का पालन कराने का कहा गया है और वो करा रहा है। आक्रोशित दर्शनार्थी के हाथों पिट भी रहा है और आखिरी में नौकरी भी गंवा रहा है। व्यवस्था बनाने वाले जिम्मेदार अफसर हर विवाद के बाद मौन ही रहते हैं और बदनामी मंदिर की होती है।
महाकाल मंदिर में अफसर मेहरबान तो नजदीक से दर्शन, वर्दी-अफसर तय कर रहे हैं दर्शन व्यवस्था
मंदिर परिसर स्थित प्राचीन मंदिरों से दूर किया जा रहा दर्शनार्थियों को
श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनार्थियों को आकर्षित कर जगह-जगह प्लास्टिक की मूर्तियों को सजाकर खड़ा कर दिया और महाकाल महालोक बना दिया। लेकिन मंदिर प्रांगण में मौजूद बरसों पुरानी प्राचीन प्रतिमाओं तक आम दर्शनार्थियों को पहुंचने नहीं दिया जा रहा है। मंदिर प्रांगण में साक्षी गोपाल (जो कि भगवान महाकाल के दर्शन के साक्षी हैं), लक्ष्मी नृसिंह मंदिर, नवग्रह मंदिर, सिद्धि विनायक, जूना महाकाल, औंकारेश्वर, भद्रकाली, सती माता मंदिर, बाबा बाल हनुमान सहित एक दर्जन से अधिक प्राचीन व सिद्ध स्थल है, जो कि प्राचीन काल से यहां विराजित हैं। लेकिन मंदिर प्रशासन द्वारा आये दिन किसी न किसी कारण से मंदिर प्रांगण में प्रवेश बंद कर दर्शनार्थियों को इन मंदिरों तक जाने से रोका जा रहा है। छोटे-मोटे रिपेयरिंग काम तो कभी भीड़ तो कभी सुरक्षा कारणों का हवाला देकर यहां जाने से दर्शनार्थियों को रोका जा रहा है।