महाकाल महालोक में मनमानी का कच्चा चिट्ठा

न सही संख्या, न टेंडर के मुताबिक काम, सीमेंट-पत्थर की जगह फाइबर की लगवा दी मूर्तियां
हरिओम राय
समाचार आज । उज्जैन
श्री महाकाल महालोक के निर्माण में किस तरह मनमानी हुई है, उसका कच्चा चिट्ठा अब सामने आने लगा है। मामूली हवाओं में 28 मई 2023 को उड़ी सप्तऋषियों की प्रतिमाओं के साथ ही भ्रष्टाचार की परतें खुलना शुरू हो गई हैं। इस मामले में 3 जून शनिवार को जांच करने आई लोकायुक्त की टीम के सामने कई गड़बड़ी सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक महाकाल लोक में पत्थर और सीमेंट की मूर्तियां लगाने के टेंडर हुए थे, और इनके कम रेट को देखते हुए टेंडर फाइनल हुआ था। लेकिन जानबूझकर सीमेंट-पत्थर की प्रतिमाओं की जगह फाइबर की मूर्तियां अधिक लगवाई गई। जबकि टेंडर मेें निविदाकर्ता ने फाइबर की मूर्तियों के रेट अन्य टेंडरकर्ता के मुकाबले महंगे डाले थे। जांच में और भी कई गड़बड़ी सामने आई है।

सीमेंट की एक भी मूर्ति नहीं, संख्या में भी गड़बड़ी
सूत्रों के मुताबिक महाकाल लोक में पत्थर की 60 और सीमेंट की 30 मूर्तियों का टेंडर निकाला गया था। जिसमें कंपनी ने पत्थर और सीमेंट की मूर्तियों के रेट काफी कम दिये गये थे। इस आधार पर कंपनी का टेंडर फाइनल हुआ। लेकिन हैरत की बात यह है कि पत्थर की सिर्फ आठ-दस मूर्तियां ही बनवाई, सीमेंट की तो एक मूर्ति भी नहीं बनवाई और शेष मूर्तियां फाइबर की बनवा दी गई। जबकि फाइबर की मूर्तियों के रेट निविदाकर्ता ने अन्य के मुकाबले अधिक डाले थे। जानबूझकर महंगी मूर्तियों का आर्डर देकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया। एक गड़बड़ी यह भी सामने आई है कि जितनी मूर्तियों का भुगतान किया गया है, महाकाल लोक में उससे कम मूर्तियां लगाई गई हैं।

प्रतिमाओं की ऊंचाई भी नापी
श्री महाकाल लोक में प्रतिमाओं के खंडित मामले में शनिवार को लोकायुक्त के जांच दल ने महाकाल लोक में एक-एक प्रतिमा का अवलोकन किया और उनकी मजबूती जांची। करीब ढाई घंटे मूर्तियां की जांच का सिलसिला चला। स्मार्ट सिटी के अधिकारी भी साथ थे। उज्जैन में आंधी-तूफान की वजह से 28 मई को श्री महाकाल लोक की सप्त ऋषि की 6 प्रतिमाएं हवा में उडक़र धराशायी हो गई थीं। शनिवार को भोपाल से लोकायुक्त के प्रमुख अभियंता एनएस जौहरी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम भोपाल से आई महाकाल लोक की करीब दर्जनभर से अधिक मूर्तियों का बारीकी से निरीक्षण किया। त्रिपुरासुर, पिनाकी सहित करीब आधा दर्जन से अधिक मूर्तियों की टीम ने बारीकी से जांच की

पेडस्टल पर चढक़र जांची मजबूती
दोपहर करीब 12.15 बजे महाकाल मंदिर पहुंची टीम ने भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन के बाद करीब 12.३० बजे से अपना काम शुरू किया। तेज धूप मेें करीब ढाई घंटे तक चले जांच अभियान में महाकाल लोक की दर्जनभर प्रतिमाओं की जांच की। सबसे पहले उन्होंने सप्त ऋषि की मूर्तियों के गिरने के बाद खाली पड़े पेडस्टल का बारीकी से देखा। पेडस्टल पर चढक़र मूर्तियों के आधार स्तंभ की मजबूती जांची। यहां टीम ने टेप से प्रतिमाओं की नपती भी करवाई। करीब ढाई घंटे तक चली इस जांच प्रक्रिया में महाकाल लोक की प्रत्येक प्रतिमा की जानकारी ली गई। फोटो वीडियो भी बनाए गए।

आप का आरोप – महाकाल लोक निर्माण में 30 फीसदी से काम किया, 70 प्रतिशत खा गये
शनिवार को आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों ने भी महाकाल लोक का दौरा किया और निर्माण कार्य व मूर्तियों की गुणवत्ता को परखने के बाद यहां पर करीब 70 प्रतिशत राशि के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। प्रदेश संयुक्त सचिव अक्षय पाटीदार और जिलाअध्यक्ष अभिषेक शर्मा की अगुवाई में पहुंचे सदस्यों ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ है और हैरत की बात है कि दशकों पुराने मंदिर में तेज हवा का कोई असर नहीं हुआ जबकि 7 महीने पहले बने महाकाल लोक का निर्माण क्षतिग्रस्त होने लगा। जांच टीम के सदस्यों ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण की 70 फीसदी राशि का घोटाला हुआ है निर्माण केवल 30 फीसदी राशि का ही उपयोग हुआ है। आप के संयुक्त सचिव अक्षय पाटीदार ने मांग उठाई है कि महाकाल लोक निर्माण में घोटाले की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराई जाए। घोटाले में केवल भाजपा सरकार ही नहीं बल्कि कमलनाथ सरकार भी दोषी है। एक बार फिर साबित हुआ है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां आपस में मिली हुई हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को सरकार की जांच पर भरोसा नहीं रह गया है इसलिए सरकार हाईकोर्ट के जज की निगरानी में पूरी जांच कराए और मामले में जो भी दोषी हो उस पर कठोर कार्रवाई की जाए। निरीक्षण में लोकसभा संयुक्त सचिव नरेश गंगे , लोकसभा प्रभारी अल्पसंख्यक मोर्चा हाजी मुस्ताक, उपाध्यक्ष महेश तिवारी जिला ग्रामीण संयुक्त सचिव दिलीप परिहार, सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर सोनू सोलंकी भी साथ थे।
श्री महाकाल महालोक के संबंध में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह द्वाारा 31 मई 2023 को जारी किया गया प्रेस नोट, जो हूबहू प्रकाशित किया जा रहा है-
उज्जैन 31 मई। नगरीय विकास और आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने भोपाल में बताया कि
28 मई 2023 को दोपहर बाद लगभग 3:30 से 4 बजे के दरम्यान तेज बारिश एवं आंधी के साथ बवंडर की स्थिति महाकाल मंदिर क्षेत्र और उसके आस-पास के क्षेत्र में निर्मित हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार उज्जैन जिले में 55 कि.मी. प्रति घण्टे की गति से हवा चलना बताया गया है।
महाकाल मंदिर के पास श्रीमहाकाल महालोक में 100 से अधिक एफआरपी (Fiber Reinforced Polymer) की मूर्तियाँ स्थापित है। इनमें कई मूर्तियाँ 10 फीट से अधिक ऊँचाई तथा वृहद आकार की हैं। इन्हीं 100 से अधिक मूर्तियों में से एफआरपी से निर्मित सप्त ऋषियों की मूर्ति भी 10 फीट ऊँचे स्तंभ पर स्थापित थीं तथा इन 7 मूर्तियों की ऊँचाई लगभग 11 फीट की है। इन सप्त ऋषियों की मूर्तियाँ रूद्रसागर, त्रिवेणी मण्डपम एवं कमल कुण्ड के बीच में स्थित होने से संभवत: यहाँ तेज आंधी एवं बारिश का बवंडर अधिक निर्मित हुआ तथा आंधी का प्रभाव अधिक रहा। इस प्राकृतिक आपदा के चलते इन सप्त ऋषियों की मूर्तियों में से 6 मूर्तियाँ पेडस्टल से अलग होकर नीचे गिर गईं। 10 फीट ऊँचाई से गिरने तथा लगभग 3 क्विंटल वजनी होने के कारण यह मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त हो गई। इस क्षेत्र में स्थापित अन्य एफआरपी की मूर्तियों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा।
यहाँ उल्लेखनीय है कि प्रश्नाधीन कार्य की निविदा 4 सितम्बर 2018 को जारी की गई थी। इसकी स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी की 7 जनवरी 2019 को हुई 11वीं बोर्ड मीटिंग में दी गई थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को तथा कार्यादेश 7 मार्च 2019 को जारी किया गया था। इस कार्य के लिये जारी निविदा में सफल निविदाकार को महाकाल रूद्र सागर एकीकृत विकास क्षेत्र (मृदा) फेज-1 में शामिल विभिन्न कार्यों को स्कोप ऑफ वर्क (SCOPE OF WORK) एवं स्वीकृत दरों पर करने के निर्देश दिये गये थे। यह कार्य कान्ट्रेक्ट में अनुमानित लागत से 0.76 प्रतिशत कम के थे। साथ ही इस कार्य में मृदा क्षेत्र में प्लाजा का विकास करना सम्मिलित था। स्कोप ऑफ वर्क में 9 फीट, 10 फीट, 11 फीट एवं 15 फीट ऊँचाई की लगभग 100 एफआरपी की मूर्तियाँ शामिल थीं तथा इस कार्य की लागत 7 करोड़ 75 लाख रूपये प्रावधानित
थी। सफल निविदाकार को प्लाजा क्षेत्र के आर्ट वर्क का अनुमोदन स्मार्ट सिटी कम्पनी से कराया जाना था। सफल निविदाकार ने प्लाजा क्षेत्र में सम्पूर्ण आर्ट वर्क का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया, जिसमें इन एफआरपी मूर्तियों की स्थापना भी सम्मिलित थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा 18 जून 2019 की बैठक में प्रस्ताव के परीक्षण के बाद प्लाजा क्षेत्र के इस सम्पूर्ण आर्ट वर्क का अनुमोदन किया गया।
निविदा की शर्तों के अनुसार एफआरपी (Fiber Reinforced Polymer) से संबंधित कार्यों में भुगतान का शेड्यूल निम्नानुसार नियत था।
सामग्री प्रदाय पर – 20 प्रतिशत
डिजाइनिंग, मूर्तिकला, नक्काशी, फिनिशिंग होने पर – 40 प्रतिशत
मूर्ति स्थापित करने पर – 25 प्रतिशत
कार्य पूर्ण हाने के बाद हस्तांतरण पर – 15 प्रतिशत
निविदा के उक्त शर्तों के तहत मूर्तियों की सामग्री की आपूर्ति का भुगतान 13 जनवरी 2020,
डिजाइनिंग, नक्काशी आदि का भुगतान 28 फरवरी 2020 तथा मूर्ति स्थापना के कार्य का 31 मार्च 2021 को भुगतान किया गया था। इस निविदा में सफल निविदाकार की यह जिम्मेदारी थी कि वह एफआरपी सामग्री का थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करवा कर उसकी रिपोर्ट स्मार्ट सिटी कम्पनी से संबंधित प्रोजेक्ट इंजीनियर को प्रस्तुत करेगा। इस शर्त के तहत मूर्तियों के इस कार्य में उपयोग होने वाली एफआरपी सामग्री का थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन प्रतिष्ठित संस्था सिपेट (Centre for skilling and technical support ) भोपाल से करवाया गया था। सिपेट की टेस्ट रिपोर्ट 12 फरवरी 2022 में यह एफआरपी सामग्री मानकों के
अनुसार पाई गई थी। उक्त के साथ-साथ उज्जैन स्मार्ट सिटी कम्पनी ने तकनीकी पर्यवेक्षक टीम, जिसमें अधीक्षण
यंत्री, कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री एवं उप यंत्री शामिल हैं तथा इनके सहयोग हेतु प्रोजेक्ट डेवलपमेंट एण्ड मॉनिटरिंग कंसलटेंसी के रूप में राष्ट्रीय स्तर की कम्पनी आईपीई ग्लोबल भी नियुक्त थी। आईपीई ग्लोबल की ओर से टीम लीडर, आर्किटेक्ट, साईट इंजीनियर, क्वालिटी इंजीनियर आदि द्वारा भी कार्यों का मूल्यांकन, सत्यापन एवं पर्यवेक्षण किया गया था।
आंधी, तूफान एवं बारिश की इस प्राकृतिक आपदा के तहत क्षतिग्रस्त हुई मूर्तियों को डीएलपी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड) में होने के कारण संबंधित ठेकेदार द्वारा अतिशीघ्र मूर्तियाँ पुन:स्थापित की जाएंगी। शेष मूर्तियों का भी ऐहतियात के तौर पर परीक्षण कराया जा रहा है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि मूर्तियों के निर्माण में एफआरपी सामग्री का उपयोग होता
आया है। उदाहरण स्वरूप महाराष्ट्र के पंढरपुर शेगाँव में, दिल्ली स्थित किंगडम ऑफ ड्रीम, अक्षरधाम मंदिर, कुरूक्षेत्र में, सिक्किम स्थित मंदिरों तथा बाली इंडोनेशिया के धार्मिक स्थल के साथ-साथ देश के अन्य स्थानों पर समय-समय पर मूर्तियों एवं प्रतिमाओं के निर्माण में एफआरपी सामग्री का उपयोग किया जाता रहा है और वर्तमान में भी किया जा रहा है। इसी तर्ज पर उज्जैन श्रीमहाकाल महालोक में भी मूर्तियों के निर्माण में निविदा शर्तों के तहत एफआरपी सामग्री का उपयोग किया गया
तथा यह एफआरपी सामग्री थर्ड पार्टी निरीक्षण में गुणवत्तापूर्ण पाई गई थी। तेज आंधी-तूफान, बारिश की प्राकृतिक आपदा के चलते हवा के दबाव में 3 क्विंटल वजनी यह मूर्तियाँ 10 फीट ऊपर से गिरने से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसका तुरंत संज्ञान लिया गया है और शीघ्र ही इन मूर्तियों को पुनर्स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है।
क्रमांक 1648