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विक्रम विश्वविद्यालय अब “सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय” के नाम से जाना जाएगा, 100 करोड़ की लागत से होगा कैंपस का विकास

उज्जैन: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन को शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी सौगात देते हुए घोषणा की है कि विक्रम विश्वविद्यालय अब “सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय” के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही, ‘पीएम-उषा’ योजना के तहत विश्वविद्यालय के परिसर का 100 करोड़ की लागत से पुनर्विकास किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने क्षिप्रा विहार वाणिज्यिक परिसर में आयोजित भूमिपूजन एवं लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय के लिए अनेक निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि यह पहल विश्वविद्यालय को अपनी ऐतिहासिक पहचान पुनः प्राप्त करने में मदद करेगी और शैक्षणिक नवाचार को गति प्रदान करेगी।

क्या है पीएम-उषा योजना?

‘पीएम-उषा’ (प्रधान मंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान) योजना जून 2023 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता सुधारना है, जिसमें पहुँच, समानता, जवाबदेही, सामर्थ्य और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के समक्ष विक्रम विश्वविद्यालय की प्राचीनता और गुणवत्ता का सशक्त पक्ष रखा था, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने इस विश्वविद्यालय के लिए ₹100 करोड़ की योजना प्रदान की।

विक्रम विश्वविद्यालय को मिलीं ये प्रमुख सौगातें (भूमि पूजन):

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जिन प्रमुख निर्माण कार्यों का भूमि पूजन किया, वे इस प्रकार हैं:

  • फोरेंसिक विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग का भवन:  3 करोड़ 76 लाख की लागत से।
  • 200 बालिकाओं के लिए छात्रावास भवन:  8 करोड़ 80 लाख की लागत से।
  • केंद्रीय उपकरण प्रयोगशाला और केंद्रीय कंप्यूटर प्रयोगशाला का निर्माण:  4 करोड़ 70 लाख की लागत से।
  • कौशल विकास प्रयोगशाला, फार्मेसी, कंप्यूटर विज्ञान फेसिंग, रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एवं रिनोवेशन कार्यों का निर्माण: ₹16 करोड़ 13 लाख की लागत से।
  • शारीरिक शिक्षा अध्ययनशाला का निर्माण:  7 करोड़ 38 लाख की लागत से।
  • विधि अध्ययनशाला का भवन:  8 करोड़ 44 लाख की लागत से।

विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इन निर्माण कार्यों से विश्वविद्यालय का परिसर शैक्षणिक नवाचार की गति प्राप्त करेगा। कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री द्वारा जिन निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया गया है, उनकी प्रक्रिया विश्वविद्यालय जल्द ही पूरी करेगा और शीघ्र ही ये निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विशेष संबंध

गौरतलब है कि विक्रम विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का स्वयं का अध्ययन स्थल और उनकी राजनीतिक धरोहर भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उच्च शिक्षा के उन्नयन की ‘पीएम-उषा’ योजना लागू किए जाने पर, डॉ. यादव ने बतौर उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के लिए मजबूत पक्ष रखा, जिसके फलस्वरूप यह 100 करोड़ की योजना मिली। मुख्यमंत्री के रूप में अपने ही अध्ययन स्थल को इतनी बड़ी सौगात देते हुए डॉ. यादव ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, विभागाध्यक्षों और शिक्षकों का धन्यवाद ज्ञापित किया, जो इस समारोह में उपस्थित थे। इस पहल से शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार और नए प्रयोगों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

विक्रम विश्वविद्यालय के मैदान पर शीघ्र ही विश्वस्तरीय क्रिकेट स्टेडियम बनाया जाएगा

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