
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद Swami Avimukteshwarananda का कहना है यात्रा के दौरान कावड़ यात्री धर्म का पालन करें। भोजन भी दुकान से खरीदकर नहीं खायें। जरूरी हो तो कच्चा अनाज खरीदें और खुद का पकाकर भोजन करें।
वाराणसी में शंकराचार्य ने कहाकि कांवड़ यात्रा में दुकानों पर दुकान मालिका का नाम बोर्ड पर लिखने के संबंध में मांग उठ रही है। हमसे भी पूछा गया था। इसमें राजनीति की दृष्टि से चीजें सामने आ चुकी हैं। कानून की दृष्टि से भी आदेश सामने आ चुका है। अब मैं धर्म की दृष्टि से ही बता सकता हूं।
कावड़ यात्री को इन नियमों का पालन करना चाहिए
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं मैं कहना चाहूंगा कि जो व्यक्ति धर्म का पालन करता है या फिर वह कोई अनुष्ठान करता है। जैसे कि कांवड़ लेकर यात्रा पर निकलता है। वह कुछ नियम का पालन भी करता है। धर्म की दृष्टि से वह नियम लेता है कि असत्य नहीं बोलेगा, नंगे पैर चलेगा, ब्रह्मचर्य से रहेगा, सादे कपड़े पहनेगा आदि। इन नियमों में भोजन का नियम भी शामिल होता है। उसमें पवित्र भोजन का नियम होता है। हमारे सनातन में बाहर बना हुआ भोजन खरीदकर खाने का नियम नहीं है, बाहरी भोजन पाश्चात्य है। बना हुआ भोजन खरीदकर खाना सनातन में अपवित्र माना गया है। हमारे यहां कच्चे अनाज को अपवित्र नहीं माना गया है। हम कच्चा अनाज खरीद सकते हैं। और अपने हाथ से बनाकर खा सकते हैं।
विश्वनाथ मंदिर में बंद होने चाहिए वीआईपी दर्शन-शंकराचार्य
काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन की मांग पर शंकराचार्य ने कहाकि स्पर्श दर्शन शुरू इसीलिए किया गया था कि आम जनता को भगवान का दर्शन हो जाए इसीलिए यह व्यवस्था बनाई गई थी। अब वीआईपी के लिए रह गया है। आम जनता भगवान तक नहीं पहुंच पा रही है इसलिए उसे यह बंद कर देना चाहिए। पिछली कई घटनाएं ऐसी भी सामने आई हैं कि लोग उसमें गिर जा रहे हैं। यही कारण है कि लोक भावना के दृष्टिकोण से इसे बंद कर देना चाहिए। नहीं तो कोई सूतक वाला या अन्य व्यक्ति भगवान को जाकर छुएगा। जबकि जो पवित्र मन से भगवान के पास जाता है। वह बाहर से ही दर्शन करने को पाएगा। सभी के लिए सामान्य व्यवस्था बना देनी चाहिए।
जाति छिपाकर कथा कहना गलत, लेकिन किसी जाति का अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं
वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा हमारे सनातन धर्म में हर जाति हर काम नहीं कर सकती है, हम लोगों ने आपस में काम बांट रखें है। सनातन धर्म बहुत विस्तृत है। इसलिए यहां सबका अपना-अपना काम है। दूसरी बात यह है कि यहां हर जाति अपने आप में ऊंची है। इसलिए कोई भी जाति का व्यक्ति दूसरे जाति के व्यक्ति को अपमानित नहीं कर सकता। अपनी जाति छिपाकर कथा कहना गलत है। अगर कोई ब्राह्मणों के बीच जाकर ब्राह्मण बनकर कथा कहेगा, तो यह धोखा है। पुलिस में मामला दर्ज कराया जाना चाहिए था। न कि उनको अपमानित करना चाहिए।
नेता बहुत बड़े जादूगर
एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहाकि मनुवादी का मतलब होता है। जिसमें जाति व्यवस्था हो उसको मनुवादी कहते हैं। यह नेता जाति के नाम पर वोट पाकर सत्ता में आ रहे हैं। ये मनुवादी हैं या हम हैं। असली मनुवादी तो नेता होते हैं, जो जाति पर राजनीति करते हैं और अपने आप को मनुवादी होने से बचा भी लेते हैं। यह नेता बहुत बड़े जादूगर हैं।