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शादियों में नाइट्रोजन धुएं का बादल खतरनाक, बच्ची की ले ली जान

नाइट्रोजन धुएं का बादल बना रहे पॉट में गिरी बच्ची की बुरी तरह झुलसने से मौत, बदलिये इस परंपरा को

नाइट्रोजन Nitrogen गैस का धुआं शादियों में आजकल ट्रेंड बन गया है। खासकर वर-वधु की एंट्री के वक्त धुएं के बादल उड़ाने का प्रचलन आम हो गया है। लेकिन यह काफी खतरनाक है। इस धुए के कारण मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में एक 7 साल की बच्ची अपनी जान गंवा चुकी है।

कैसे हुआ हादसा

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के खुजनेर में 6 मई 2025 को यह हादसा हुआ है। राजगढ़ के ही बाढ़गांव निवासी राजेश गुप्ता 6 मई को अपने परिवार के साथ रिश्तेदार की शादी में शामिल होने खुजनेर गए थे। साथ में उनकी सात साल की बच्ची वाहिनी भी थी। शादी की रस्मों के बीच दूल्हा-दुल्हन की एंट्री का वक्त आया। उस वक्त स्मोकी (धुएं के बादल) वीडियो बनाने के लिए नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल कर धुआं उड़ाया गया। उसी वक्त वहां मौजूद मासूम वाहिनी नाइट्रोजन से भरे पॉट में गिर गई। नाइट्रोजन की तासीर काफी ठंडी होती है। करीब -196°C तापमान के नाइट्रोजन पॉट ने वाहिनी के शरीर को बुरी तरह जला दिया। हादसे में बच्ची का 80% शरीर जल चुका था, गंभीर हालत में उसे इंदौर लाया गया। चार दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झुलती रही। फिर उसने दम तोड़ दिया।

बंद होना चाहिए नाइट्रोजन का उपयोग

पिता ने कहा- वो क्षण बहुत दुखदायी, यह लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने ठंडी नाइट्रोजन जैसे खतरनाक रसायन को शादी समारोह में उपयोग न करने की मांग की है। वाहिनी के पिता राजेश गुप्ता ने बताया कि 6 मई को खुजनेर कस्बे में उनकी भतीजी की शादी थी। वह एक दिन पहले 5 मई की शाम को पत्नी और चार बेटियों के साथ वहां पहुंचे थे। उस दिन संगीत और अन्य रस्में चल रही थीं। अगले दिन लग्न, सगाई और मिलनी का कार्यक्रम हुआ। 6 मई की शाम होते-होते सब तैयार होने लगे। वाहनी तैयार होकर दोस्तों संग स्टेज पर पहुंच गई, जहां बारात के स्वागत की तैयारी हो रही थी। गेट पर बारात आई, ढोल बजने लगे। बच्चे मंच पर नाचने लगे। उसी मंच के पास एक बड़ा बर्तन रखा था, जिसमें धुएं के लिए नाइट्रोजन डाली गई थी ताकि दूल्हा दुल्हन की एंट्री के समय उससे धुंध निकले। नाचने के दौरान वाहिनी उसी बर्तन में गिर पड़ी। उसका शरीर नाइट्रोजन में डूब गया, सिर्फ पैर और चेहरा बाहर था। उसने खुद को अपने हाथ की मदद से बाहर निकला लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फ्रॉक उसके शरीर पर जलकर चिपक चुकी थी। लोगों ने कपड़ा फाड़कर अलग किया। परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर दौड़े।

वाहिनी के नेत्रदान कर परिजनों ने पेश की मिशाल

वाहिनी का चेहरा हादसे में सलामत था। मौत के बाद परिजनों ने उसके नेत्रदान कर एक मिशाल कायम की। वाहिनी की चचेरी बहन पूजा गुप्ता ने नेत्रदान के लिये परिवार को प्रेरित किया। वाहिनी के माता-पिता इसके लिए राजी हुए। उन्होंने वाहिनी का नेत्रदान किया। अब वाहिनी की आंखों से कोई और दुनिया देखेगा। पिता का कहना है कि हमारी बेटी चली गई, लेकिन उसकी आंखें किसी और का जीवन रोशन करेगी।

ठंडी नाइट्रोजन खतरनाक, तुरंत पाबंदी लगना चाहिए

नाइट्रोजन काफी खतरनाक है। यह काफी ठँडी होती है लगभग -196°C तापमान पर। इस कारण यह मानव जीवन के लिये खतरनाक है। आजकल शादी समारोहों या अन्य पार्टी में नाइट्रोजन से धुएं के बादल उड़ाना आम हो गया है। इस पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए। ये दिखावे की चीजें हैं, लेकिन किसी की जान ले सकती हैं। ठंडी नाइट्रोजन जैसे खतरनाक केमिकल पर सरकार को बैन लगाना चाहिए।

नाइट्रोजन इस्तेमाल के कई नियम लेकिन पालन कोई नहीं करता

नाइट्रोजन का उपयोग कई स्थानों पर जरूरी है। इस कारण उसके उपयोग और भंडारण के सरकार ने नियम भी बना रखे हैं। जैसे इसका भण्डारण प्रशासन द्वारा तय सुरक्षित स्थान में ही किया जा सकता है। इसका कमर्शियल उपयोग ट्रेंण्ड और लाइसेंसधारी व्यक्ति ही कर सकता है। साथ ही उपयोग के लिये पहले इसकी प्रशासनिक अनुमति लेना जरूरी है। लेकिन कोई भी इन मानकों का पालन नहीं करता। खासकर शादियों में तो नौसिखिये ही नाइट्रोजन पॉट लगाकर धुएं के बादल (स्मौकी) उड़ा रहे हैं। आसपास बच्चों के साथ लोगों की भीड़ मौजूद रहती है। लेकिन सुरक्षा साधन कुछ नहीं होते। आमतौर पर रेफ्रिजरेटर, वाहनों के टायर, बल्ब आदि में नाइट्रोजन गैस का कमर्शियल उपयोग होता है और इसी के लिये प्रशासनिक अनुमति भी मिलती है। शादियों में धुंए के बादल उड़ाने के लिये नाइट्रोजन के उपयोग की प्रशासनिक अनुमति भी नहीं होती। फिर भी खुलेआम इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।

यह समस्याएं भी होती हैं नाइट्रोजन गैस के कारण

  • नाइट्रोजन से सांस लेने में दिक्कत, बेहोशी, त्वचा, आंखों में जलन होती है।
  • यह बहुत ठंडा होता है। त्वचा और आंखों के ऊतक जला सकता है।
  • कई देशों ने मृत्युदंड के लिए नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया। यह क्रूर व अमानवीय तरीका है।
  • नाइट्रोजन दम घुटता है। मरने वाले को पता चलता है वह मर रहा है।

पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं

  • 2024 में बेंगलूरु में 12 साल की बच्ची ने शादी में तरल नाइट्रोजन वाला पान खाया। उसके पेट में छेद हो गया। सर्जरी करानी पड़ी।
  • 2024 में गुरुग्राम के रेस्त्रां में 5 ने माउथ फ्रेशनर की जगह सूखी बर्फ खाई। उन्हें खून की उल्टियां हुईं।
  • 2024 रायपुर में शादी में झूला टूटने से दूल्हा-दुल्हन घायल हो गए।
नाइट्रोजन मानव के लिये काफी खतरनाक

कनाडा के नेशनल कोलैबोरेटिंग सेंटर फॉर इन्वायरमेंटल हेल्थ की साल 2018 की एक स्टडी के मुताबिक, लिक्विड नाइट्रोजन एक लिक्विड है। इसका बॉइलिंग पॉइंट बेहद कम – 196°C है। इसलिए यह रूम टेम्प्रेचर में ही गैस फॉर्म में आ जाता है। इस लिक्विड से कोल्ड बर्न और फ्रॉस्टबाइट हो सकता है। अत्यधिक ठंडा होने के कारण इसके पेट में जाने से अचानक सांस रुक सकती है या निगलने से दम घुट सकता है। यह स्थिति जानलेवा है। अगर हमारी सांस या खाने में लिक्विड नाइट्रोजन चला जाए तो यह कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।

– हरिओम राय

 

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