मध्यप्रदेश

श्रावण महोत्सव : शिवसंभवम की दूसरी शाम सुर-लय-ताल से शिव आराधना

वाराणसी की डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या के शास्त्रीय गायन , भोपाल के श्री महेश मलिक के वायलिन वादन एवं सूरत की सुश्री जिया जरिवाला की भरतनाट्यम की प्रस्तुति ने घोला आस्था का रस

समाचार आज । उज्‍जैन

उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के महत्‍वपूर्ण आयोजन 18 अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव शिव संभवम की दूसरी संध्या में तीन प्रस्तुतियों से शिव स्तुति की गई। प्रारंभ में मुख्य अतिथि पीर योगी रामनाथजी महाराज, गादीपति भर्तृहरि गुफा, महेश पुजारी, आयोजक मंडल व कलाकारों ने श्री महाकालेश्वर के समक्ष दीप-प्रज्जवलन कर किया। इस दौरान श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के बटुकों ने स्वस्ति वाचन किया। प्रशासक संदीप सोनी, मंदिर प्रबंध समिति सदस्य राजेंद्र शर्मा गुरुजी, पुजारी श्रीराम शर्मा ने कलाकारों का सम्मान किया।

डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या के शास्त्रीय गायन का प्रारम्भ राग भिन्नसरज विलंबित ख़याल एक ताल में अरज सुन लीजे गजानन…., राग भिन्नसरज में द्रुत ख़याल तीन ताल में मंगल कीजे गणराज….की प्रस्तुति के बाद राग शंकरा द्रुत ख़याल डमरू डम-डम बाजे….की प्रस्तुति दी गई। उसके पश्यात कजरी कहे करलू गुमान गोरी सावन में….की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति का समापन शिव भजन शिव-शिव के मन शरण हो से किया। आपके साथ तबला पर श्री ज्ञानस्वरूप मुखर्जी, हारमोनियम पर डॉ. पंकज शर्मा व मंजीरा पर सुश्री शिविका उपाध्याय ने संगत की।

दूसरी प्रस्तुति भोपाल के श्री महेश मलिक के वायलिन वादन की हुई। तबले पर तबला वादक श्री रामेन्द्र सोलंकी, वायलिन पर संगत श्री अमित मलिक ने संगत की।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति सूरत की जिया जरीवाला के भरतनाट्यम नृत्य की हुई। जरीवाला ने प्रस्तुति की शुरुआत गणेश वंदना से की। उसके बाद नवरस, नटनम-आदिनार की प्रस्तुति के बाद द्वादश ज्योतिर्लिंग पर भगवान शिव के 12 मुद्राओं का प्रदर्शन किया गया। समापन में वर्णन एवं जय कान्हा काला नटवर नंदलाल की प्रस्तुति से किया । पहली प्रस्तुति डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या के शास्त्रीय गायन की हुई। डॉ. भट्टाचार्या के शास्त्रीय गायन की शुरुआत राग भिन्नसरज विलंबित ख़याल एक ताल में अरज सुन लीजे गजानन, राग भिन्नसरज में द्रुत ख़याल तीन ताल में मंगल कीजे गणराज की प्रस्तुति के बाद राग शंकरा द्रुत ख़याल डमरू डम-डम बाजे की प्रस्तुति दी गई। उसके बाद कजरी कहे कर लूं गुमान गोरी सावन में की प्रस्तुति दी। समापन शिव भजन शिव-शिव के मन शरण हो से किया। तबला पर ज्ञानस्वरूप मुखर्जी, हारमोनियम पर डॉ. पंकज शर्मा व मंजीरा पर शिविका उपाध्याय ने संगत की। दूसरी प्रस्तुति भोपाल के महेश मलिक के वायलिन वादन की हुई। मलिक ने संगत की। अगली प्रस्तुति 22 को श्रावण महोत्सव की तीसरी संध्या में 22 जुलाई शनिवार को उज्जैन के पं. सुधाकर देवले के शास्त्रीय गायन, ग्वालियर की पद्मजा विश्वरूप के विचित्र वीणा वादन और बैंगलुरु की गुरु राजू के कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति होगी।

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