स्कूल फीस नियम में मध्यप्रदेश में संचालकों को राहत, 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने को हरी झंडी
स्कूल फीस नियम में बदलाव, 25 हजार रुपए से कम वार्षिक फीस वाले स्कूलों को पोर्टल पर जानकारी अपलोड करना जरूरी नहीं

मध्यप्रदेश में स्कूल फीस नियम में सरकार ने स्कूलों को राहत दी है। नए बदलाव के तहत 25 हजार रुपए से कम वार्षिक फीस वसूलने वाले निजी स्कूलों को अब स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर फीस संबंधी जानकारी अपलोड करना जरूरी नहीं होगा। मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिये हैं जिसमें विभाग ने साफ किया है कि पोर्टल पर उन्हीं स्कूलों को फीस संबंधी जानकारी अपलोड करना है जो 25 हजार रुपए से अधिक वार्षिक फीस चार्ज कर रहे हैं। पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने के लिए अंतिम तिथि 15 मई २०२५ तक बढ़ा दी गई है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि बिना अनुमति और उचित कारण के फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी।
दस प्रतिशत तक फीस बढ़ाने के लिए अनुमति जरूरी नहीं
नये अधिनियम में सरकार ने यह प्रावधान भी दिया है कि कोई भी निजी स्कूल बिना किसी अनुमति के 10 प्रतिशत तक सालाना फीस बढ़ा सकते हैं। इससे ज्यादा बढ़ाने के लिए संबंधित जिला समिति की अनुमति लेना आवश्यक होगा। यह प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ न पड़े। नई उपधारा के तहत, जिन स्कूलों की वार्षिक फीस 25 हजार रुपए से कम है, वे इस अधिनियम के दायरे से बाहर रहेंगे। इसके अतिरिक्त, फीस नियमन एवं संबंधित विषयों के लिए जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर समिति गठित की गई है, जो इन मामलों की निगरानी करेगी।
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मध्यप्रदेश में आधे निजी स्कूल ले रहे हैं 25 हजार से कम फीस
पिछले दिनों सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिये थे कि मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2020 के तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए निर्धारित फीस संरचना (कक्षा एवं संवर्गवार) की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। यह अधिनियम 31 जनवरी 2025 से प्रभावी हुआ है। शुरू में इसकी अंतिम तिथि 31 मार्च निर्धारित की गई थी। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा बुधवार को जारी आदेश में बताया गया है कि कई विद्यालयों ने पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने में तकनीकी समस्याओं की जानकारी दी है। इसे ध्यान में रखते हुए अपलोड की समय सीमा 15 मई तक बढ़ा दी गई है। मध्यप्रदेश में करीब 34 हजार 652 निजी स्कूल हैं। जानकारी मेें सामने आया है कि इनमें से करीब 16 हजार स्कूल ऐसे हैं जिनकी किसी भी कक्षा में वार्षिक फीस 25 हजार से कम है।