
उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह में आम भक्तों को प्रवेश नहीं मिलेगा। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गर्भगृह में आम भक्तों के प्रवेश पर रोक और वीआईपी श्रद्धालुओं को विशेष अनुमति देने के उज्जैन कलेक्टर के आदेश को सही ठहराया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि गर्भगृह में किसे प्रवेश मिलेगा, इसका फैसला सिर्फ कलेक्टर ही करेंगे।
क्या था मामला?
इंदौर के वकील दर्पण अवस्थी ने इस व्यवस्था के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि दूर-दराज से आने वाले आम लोगों को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाता, जबकि प्रभावशाली और अमीर लोगों को आसानी से प्रवेश मिल जाता है। यह एक तरह का भेदभाव है।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने गुरुवार 28 अगस्त 2025 को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और सोमवार 1 सितंबर 2025 को इसे सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई नया आदेश नहीं आता, गर्भगृह में प्रवेश की पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। इसका मतलब है कि आम भक्त अभी भी गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
वकील ने कहा- हम लड़ेंगे
याचिकाकर्ता के वकील चर्चित शास्त्री ने बताया कि वे इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक याचिका नहीं, बल्कि लाखों महाकाल भक्तों की आस्था का सवाल है। हम इस मामले को दोबारा कोर्ट के सामने रखेंगे।”
इस फैसले के बाद, महाकाल मंदिर में दर्शन की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आम भक्त दूर से ही दर्शन कर पाएंगे, जबकि विशेष अनुमति पर VIP गर्भगृह में प्रवेश कर सकेंगे।