महाकाल के दरबार में भक्तों का अपमान

एक घंटे कार पार्किंग के वसूले 300 रुपए, अमेरिका-अहमदाबाद के परिवार को धमकाया भीे
समाचार आज । उज्जैन
पूरी दुनिया में श्रद्धा का केेंद्र भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि दूरदराज से आने वाले दर्शनार्थियों को कई जगह अपमानित होना पड़ रहा है। सोमवार को ऐसी ही एक घटना ने मंदिर व आसपास हो रही दबंगई की पोल खोल दी।
सोमवार को अहमदाबाद के रमेश भाई पटेल महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन आए थे। उनके साथ अमेरिका में रहने वाले रिश्तेदार भी थे। श्री पटेल ने मंदिर समिति द्वारा बनाई व्यवस्था के मुताबिक चारधाम मंदिर के पास नगरनिगम की पार्किंग में कार पार्क की। करीब एक घंटे बाद वे लौटे तो उनसे कार पार्किंग शुल्क 500 रुपए मांगा गया। उन्होंने जब रसीद मांगी तो वहां मौजूद युवक श्री पटेल और उनके परिजनों के साथ दादागिरी करने लगे। बाद में उन्होंने 300 रुपए देकर उन युवकों से खुद को बचाया। घटना की शिकायत मंदिर समिति प्रशासक गणेश धाकड़ को पूरी घटना की शिकायत की। स्वयं धाकड़ ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की और पार्किंग संचालकों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर को मामला भेजने का भी कहा है।
पार्किंग स्थल पर दर्शनार्थियों के साथ इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है। पूर्व में पार्किंग संचालकों पर जबरिया वसूली के आरोप लगे है,लेकिन कार्रवाई नहीं होने से संचालकों के हौंसले बढ़ते जा रहे है और श्रद्धालु आहत होने को मजबूर है।
मंदिर में कई जगह हो रहा है दर्शनार्थियों का अपमान
- -पार्किंग में वाहन पार्क करते वक्त अपमान की पीड़ा झेलने के बाद दर्शनार्थी जब मंदिर की ओर पहुंचता है तो सामान्य दर्शनार्थियों के प्रवेश द्वार पर अपमान झेलना पड़ता है। निजी कंपनी के अप्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड सुरक्षा और तलाशी के नाम दुव्र्यवहार करते हैं।मंदिर के अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मी भी दर्शनार्थियों को अपराधियों की तरह धकियाते हुए मंदिर से बाहर निकालने की जल्दबाजी में रहते हैं। अगर मंदिर में भीड़ नहीं है तो भी उनकी धक्का मारने की हरकत बंद नहीं होती।
- मंदिर के अंदर स्थित कई मंदिरों में मौजूद पंडे-पुजारी या उनके प्रतिनिधि महाकाल का तिलक लगाने के बदले चिल्ला-चिल्ला कर भेंट चढ़ाने के लिए दबाव बनाते हैं। कोई बिना चढ़ौत्री के निकल जाये तो उस दर्शनार्थी का अपमान होना तय है।
- मंदिर के बाहर मौजूद छोटे-छोटे बच्चे भी तिलक लगाने और भेंट के नाम पर १०-२० रुपए झपटने के लिए तैयार रहते हैं। वे दर्शनार्थी के सामने तरह-तरह के उपक्रम कर उसे रुपए देने के लिए मजबूर कर देते हैं। अगर दर्शनार्थी उन्हें सख्ती से हटाना चाहे तो बच्चों के आसपास मौजूद उसके परिजन दर्शनार्थी से मारपीट को भी उतारू हो जाते हैं।
- मंदिर के बाहर हार-फूल वालों की मनमानी भी चरम पर है। हार-फूल वाले १५०-२०० से कम में फूल-प्रसादी देते ही नहीं है। जबकि इसकी वास्तविक कीमत ३०-४० रुपए होती है। कोई मोल-भाव करे तो उसके साथ बदतमीजी करने लगते हैं।
- मंदिर के आसपास ही भिक्षुक के रूप में बच्चे, सांसी, किन्नर और विधवावेश धारी महिलाओं की टोली घूमती है जो दर्शनार्थियों के आसपास ऐसा घेरा बनाते हैं कि उनसे बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। यहां भी जान छुड़ाने के लिए दर्शनार्थियों को मजबूरीवश रुपये देना पड़ते हैं।
बचाने वाला कोई नहीं
सूत्रों का कहना है कि जितने भी असामाजिक तत्व मंदिर क्षेत्र में फलफूल रहे हैं उनका सुरक्षा कर्मियों से कहीं न कहीं संपर्क जरूर है। अगर सुरक्षाकर्मियों से कोई दर्शनार्थी शिकायत करना चाहे तो उनकी सलाह यही रहती है कि हम क्या करें, हमारी ड्यूटी वहां नहीं है। कुछ तो यह सलाह भी दे देते हैं कि छोड़ों उन्हें, दर्शन करो और घर जाओ। महाकाल मंदिर सुरक्षा व्यवस्था से जबसे पुलिस जवान दूर हुए हैं उसके बाद से अव्यवस्थाएं ज्यादा होने लगी है।