उज्जैनमध्यप्रदेश

उज्‍जैन में रोज 350 मैट्रिक टन निकलता है कचरा

65 एमएलडी सीवर यानी नाली का पानी निकलता है रोज शहर में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्य की बैठक में सामने आई जानकारी

समाचार आज @ उज्‍जैन

बायो-डिग्रेडेबल वेस्ट की बायो-कंपोस्टिंग कर इसका उपयोग फर्टिलाइजर की तरह किया जा सकता है। उज्जैन में काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। उनके छोटे-मोटे सामान रखने के लिये कपड़े के थैले निर्मित कराये जायें। उसमें नगर पालिक निगम अथवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का लोगो लगाया जाये। ये थैले हर पूजन सामग्री की दुकान पर विक्रय किये जायें।

यह निर्देश प्रशासनिक संकुल भवन के सभाकक्ष में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्य अफरोज़ अहमद ने बैठक में दिये। 28 जून को आयोजित बैठक में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, डीएफओ, एडीएम अनुकूल जैन, नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह, सीईओ जिला पंचायत अंकिता धाकरे, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, सीएमएचओ, उप संचालक कृषि एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण मौजूद थे।

खेतों की मेढ़ पर पौधारोपण किये जाने की आवश्यकता

बैठक में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की समीक्षा के दौरान श्री अहमद ने पूछा कि उज्जैन शहर में कुल कितना सॉलिड वेस्ट निकलता है। इस पर जानकारी दी गई कि प्रतिदिन 350 मैट्रिक टन सॉलिड वेस्ट निकलता है। गोंदिया में वेस्ट ट्रिटमेंट का प्लांट स्थित है। वहां स्थित प्रोसेसिंग सेंटर पूर्ण रूप से सेंट्रलाईज्ड है। इसके अतिरिक्त सब्जी मंडी से भी काफी अपशिष्ट निकलता है। महाकाल मन्दिर से निकलने वाले फूलों के अपशिष्ट से अगरबत्ती बनाई जा रही है।श्री अहमद ने कहा कि प्लास्टिक, बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक के सामान का डिस्पोजल बहुत जरूरी है। सीएसआर फंडिंग का दुरूपयोग न हो, इस बात का ध्यान रखा जाये। ईंट भट्टे और खदानों के चारों तरफ प्लांटेशन होना जरूरी है। नदी के किनारे लगाये गये पौधों को जियोटैग किया जाये। बैठक में नगर निगम आयुक्त द्वारा अमृत योजना के अन्तर्गत संचालित प्रोजेक्ट्स की जानकारी दी गई। बताया गया कि उज्जैन में 65 एमएलडी सीवर जनरेट होता है। श्री अहमद ने कहा कि सीवर ट्रिटमेंट के बाद जो पानी बचता है, उसका उपयोग सडक़ किनारे लगे पौधों को पानी देने में या अन्य साफ-सफाई और धुलाई में किया जा सकता है। शिप्रा नदी के रिजुविनेशन के लिये एक इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट तैयार किये जाने की जरूरत है। खेतों की मेढ़ पर पौधारोपण किये जाने की आवश्यकता है।

गुलाब के फूलों से इत्र और अगरबत्‍ती बनाई जाये

श्री अहमद ने कहा कि इसके अतिरिक्त गुलाब के फूलों से इत्र का निर्माण भी उज्जैन में किया जाये। इसकी ब्राण्डिंग महाकालेश्वर मन्दिर की ओर से की जा सकती है। बैठक में जानकारी दी गई कि उज्जैन में कचरे का सेग्रीगेशन किया जा रहा है। उसकी प्रक्रिया अलग होती है।

बिल्‍डर्स के लिए अनिवार्य किया जाये पौधारोपण

श्री अहमद ने कहा कि उज्जैन में स्थानीय बिल्डर्स के साथ समय-समय पर बैठक की जाये तथा उन्हें कॉलोनी में अनिवार्य रूप से कुछ स्थान पौधारोपण के लिये आरक्षित रखने के निर्देश दिये जायें। बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की समीक्षा के दौरान श्री अहमद ने निर्देश दिये कि अस्पतालों से निकलने वाले अपशिष्ट प्रबंधन के लिये अलग-अलग एजेन्सी नियुक्ति की जाये। हर जिले में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम होना चाहिये। इनका इनसेरीनेटर डबल चैंबर का होना चाहिये।

पंचायतों में भी कचरा संग्रहित वाहन की जरूरत

बैठक में जानकारी दी गई कि ग्राम पंचायतों में भी कचरा कलेक्शन के लिये वाहन संचालित किये जा रहे हैं, जो घर-घर जाकर कचरा संग्रहित करते हैं। श्री अहमद के द्वारा गांव में वर्मी कम्पोस्टिंग कराने और फसल काटने के बाद पराली का उपयोग खाद बनाने तथा एनर्जी पैलेट के रूप में करने के निर्देश दिये गये।

वायु प्रदूषण के खिलाफ जागरुकता जरूरी

वायु प्रदूषण की समीक्षा के दौरान श्री अहमद ने कहा कि यातायात व्यवस्था के वरिष्ठ अधिकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय में जाकर विद्यार्थियों को मोटर व्हीकल एक्ट और ट्रैफिक सम्बन्धी अन्य जानकारी प्रदाय करें, जिससे उनमें जागरूकता हो। बैठक में औद्योगिक वेस्ट वाटर मैनेजमेंट की समीक्षा की गई। श्री अहमद ने कहा कि उज्जैन में प्रदूषण नियंत्रण और वेस्ट मैनेजमेंट में अच्छा कार्य किया जा रहा है। बड़ी मुस्तैदी से जमीनी स्तर पर यहां कार्यवाही हो रही है। इसे और बेहतर बनाने के लिये निरन्तर परिश्रम और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

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