माया त्रिवेदी गर्भगृह में जातीं तो क्या अनर्थ हो जाता…

दूसरों से मंदिर समिति को आपत्ति नहीं, मंदिर का लाइव खोल रहा पोल
नियमों में उलझी मंदिर समिति अब जांच कमेटी बनाकर खानापूर्ति की तैयारी
हरिओम राय
समाचार आज @ उज्जैन
श्री महाकालेश्वर पर गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाने की कांग्रेस नेत्री पार्षद श्रीमती माया त्रिवेदी की जिद का घटनाक्रम अब मंदिर की व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि अगर उस दिन माया त्रिवेदी गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल को जल अर्पण कर देती तो ऐसा क्या अनर्थ हो जाता, क्योंकि प्रतिबंध के बाद भी रोज कोई न कोई गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल की पूजन कर ही रहा है। यह पोल गर्भगृह का लाइव खोल रहा है।
महाकाल मंदिर में जल चढ़ाने के मुद्दे पर हुए विवाद के अगले दिन यानि शनिवार को खुद कांग्रेस नेत्री माया त्रिवेदी ने एक वीडियो जारी किया है जो कि उन्होंने महाकाल मंदिर के लाइव से लिया है। लाइव में दिख रहा है कि एक महिला-पुरुष गर्भगृह में जाकर पूजन कर रहे हैं। गर्भगृह में प्रवेश अगर प्रतिबंधित हैं तो फिर ये लोग अंंदर किस अधिकार से पूजन कर रहे हैं। मुद्दा यह नहीं है कि गर्भगृह में पूजन कौन कर रहा है। बात सिर्फ इतनी सी है कि गर्भगृह में पूजन कोई क्यों नहीं कर सकता।

बढ़ती भीड़ के कारण लगाया है प्रतिबंध, लेकिन कृपा पात्र को मौका
गर्भगृह मेें मंदिर समिति ने पूजन-जलाभिषेक सिर्फ इसलिए रोका है ताकि सावन में बढ़ती दर्शनार्थियों की भीड़ को जल्दी दर्शन कराया जा सके। अगर सभी लोग गर्भगृह में जायेंगे तो दर्शन में देरी होगी और कतार बढ़ती जायेगी, सभी को दर्शन कराना संभव नहीं होगा। इस कारण श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में तय किया गया कि 4 जुलाई से 11 सितंबर तक गर्भगृह में आम दर्शनार्थियों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। हालांकि इस निर्णय के बीच प्रशासनिक अमले ने कानून-कायदों को तोड़ने वाली कुंजी भी अपने पास रखी। तय किया गया कि साधु-संत, वीवीआईपी और कलेक्टर से अनुमति प्राप्त लोग गर्भगृह में जा सकेंगे। और इसी का फायदा उठाकर रोज कोई न कोई चुपके से गर्भगृह में जाकर पूजन कर रहा है। हमारा फिर साफ कहना है कि गर्भगृह में पूजन करना गलत नहीं है, लेकिन सिर्फ कुछ लोगों को ही मौका दिया जाना कैसे न्यायोचित हो सकता है और अगर ऐसे में कांग्रेस नेत्री माया त्रिवेदी या फिर उनकी जगह अन्य कोई साधारण व्यक्ति भी गर्भगृह में जाकर बाबा महाकाल पर जल अर्पित करने की मांग उठाता है तो उसे अपराधी क्यों साबित किया जा रहा है।

गुरु मंडली करेगी जांच
हालांकि इस मामले में अब मंदिर समिति भी खुद को कटघरे में खड़ा महसूस कर रही है। घटना के दिन तो जिम्मेदारों ने जल्दबाजी में बयान दे दिया कि पुलिस में एफआईआर दर्ज करवायेंगे। पुलिस को शिकायत भी भेज दी। लेकिन गर्भगृह मेंं जाकर जल चढ़ाने की मांग करना कोई अपराध नहीं है। अब प्रशासन ने इस पूरे मामले पर पानी फेरने के लिए पुराना हथकंडा अपनाया है, और वो है जांच कमेटी। एक छह सदस्यीय जांच कमेटी कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के आदेश पर बनाई गई जिसमें महाकाल मंदिर के महेश पुजारी, प्रदीप गुरु, राजेंद्र शर्मा, राम शर्मा, महेश शर्मा, दिनेश त्रिवेदी और अमर शर्मा को शामिल किया गया। समिति की ओर से टीम को पत्र भेजकर तीन दिन में जांच रिपोर्ट मांगी गई है। इस टीम में किसी प्रशासनिक अधिकारी को शामिल नहीं करने से ही स्पष्ट है कि कमेटी को क्या करना है और किस तरह करना है। क्योंकि जो कृत्य अपराध ही नहीं है उसकी सजा क्या दी जााये। हम आपको बता दें कि माया त्रिवेदी भी पुजारी परिवार से ही हैं। उनके पति राजेश त्रिवेदी भी कर्मकांडी ब्राह्मण हैं और श्री क्षेत्र पण्डा समिति के अध्यक्ष हैं। गुरु मण्डली का आपसी सदभाव जगजाहिर है। लेकिन इस पूरे मामले में किरकिरी हुई है तो सिर्फ जिम्मेदारों की और नाम खराब हुआ श्री महाकालेश्वर मंदिर का। हमारा सिर्फ इतना ही कहना है गर्भगृह मेे पूजन कोई अपराध नहीं है, लेकिन नियमों की तलवार दिखाकर धमकाना गलत है। मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री का परिवार, इंदौरी नेता और कलेक्टर के कृपा पात्र लोगों को ही बाबा के स्पर्श और जल चढ़ाने का मौका दिया जाना उचित नहीं है।
जानिए क्या है पूरा मामला
मामला शुक्रवार दोपहर का है जब कांग्रेस पार्षद माया त्रिवेदी के साथ कुछ महिला और उनके परिजनों शिप्रा नदी से पूजन कर गंगा जल लेकर सवारी मार्ग से होते हुए दोपहर 1 बजे महाकाल मंदिर में भगवान शिव को जल अर्पण करने पहुंचे। नंदी हाल में प्रवेश करने के दौरान महाकाल मंदिर के अधिकारी व सुरक्षा कर्मीयों ने गर्भगृह में जाने से रोक दिया था । इस बात से नाराज होकर माया त्रिवेदी नंदी हाल में धरने पर बैठ गई थीं। महिलाओं ने जबरन नंदी हाल और गर्भगृह में घुसने की कोशिश की और नंदी हाल में लगे बेरिकेट को उठाकर फेंक दिए।