लोधिया कुंड में खड़ी कार लुड़की और पहाड़ी से गिर गई, अंदर बैठी थी मासूम बेटी…

कार का हैंड ब्रेक कितना जरूरी, समझिये इस घटना से…
समाचार आज @ इंदौर
खड़ी कार में हैंड ब्रेक लगना होना कितना जरूरी है, आप इस घटना से समझ सकते हैं। रविवार को एक परिवार ने इंदौर के पास पिकनिक स्पॉट लोधिया कुंड पर कार खड़ी करते वक्त हैंड ब्रेक नहीं लगाया और उनकी इस गलती के कारण परिवार की 12 साल की बेटी की जान पर बन आई। शुक्र है उस वक्त ईश्वर कृपा से सुनसान क्षेत्र में मददगार उपलब्ध हो गये। नहीं तो पूरा परिवार तबाह हो जाता।
इंदौर के पास एक टूरिस्ट स्पॉट के कुंड में कार गिर गई। कार में 12 साल की बच्ची बैठी थी, जिसे बचाने के लिए उसके पिता भी कुंड में कूद गए। उन्हें बचाने के लिए आसपास के लोग भी कूद गए। बेटी और उसके पिता को कुंड से बाहर निकाल लिया गया। दोनों का प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। हादसा रविवार देर शाम सिमरोल से करीब 20 किमी दूर घाट क्षेत्र में हुआ। पुलिस के मुताबिक सिमरोल घाट सेक्शन से 10 किलोमीटर अंदर लोधिया कुंड है। कपल अपनी बेटी के साथ वहां घूमने गए थे। इसके बाद पिता ने कार कुंड के किनारे खड़ी कर दी और हैंड ब्रेक लगाए बगैर पत्नी के साथ नीचे उतर गए। 12 साल की बेटी अकेली कार में बैठी थी, तभी कार फिसलन के कारण कुंड की ओर लुढ़कने लगी। देखते ही देखते कार बोनट के बल पर कुंड में जा गिरी। बेटी को बचाने के लिए पिता भी कार के पीछे-पीछे कुंड में कूद गए। हादसे के दौरान चीख पुकार मच गई। बच्ची की मां उनको बचाने के लिए लोगों से गुहार लगाने लगी। आसपास खड़े कुछ लोग तैरकर गए और बच्ची और उसके पिता को बाहर निकाला। कुछ देर बाद उन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल भिजवा दिया। कार बोनट के बल पर नीचे गिरी।
ड्राइवर साइड गेट खुला था, बाहर कूद गई बच्ची
कार पर कपड़े व अन्य सामान भी रखा था। परिवार संभवत: कार के बोनट पर खाना रखकर खा रहा था, तभी यह हादसा हुआ। कार जब कुंड में गिरी तब उसका ड्राइवर साइड वाला गेट खुला था। कार के बोनट पर कपड़े भी रखे थे। संभवत: परिवार इस पर रखकर कुछ खा रहे थे। जैसे ही कार फिसली, सीट पर बैठी बच्ची कुंड में कूद गई। उसे तैरना नहीं आता था। हादसे को देख रहे वहां मौजूद लोगों में से एक युवक तुरंत बच्ची के पास पहुंचा और उसे बाहर निकाल लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कार का गेट बंद होता तो बच्ची के सिर में गंभीर चोट लग सकती थी। कुंड के दूसरी और खड़े पर्यटकों ने तैरकर बच्ची को बाहर निकाला। बच्ची को बचाने के लिए पिता भी कुंड में कूद गए थे। जिन्हें भी वहां लोगों ने बाहर निकाला। फिलहाल दोनों का उपचार निजी अस्पताल में चल रहा है।
बड़ा हादसा होता तो मदद भी समय पर नहीं मिल पाती
हम आपको बता दें कि लोधिया कुंड की सड़क से दूरी करीब 40 मीटर है। यहां आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता है। एसयूवी या ऑफ रोड वीकल ही सड़क से कुंड तक जा सकते हैं। सड़क से कुंड के बीच पथरीला रास्ता है। हादसे को लेकर प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि कार सड़क से कुंड के रास्ते पर अंदर की ओर खड़ी थी। हैंड ब्रेक नहीं लगने से कार लगातार फिसलती गई और कुंड में गिर गई। अगर इस सुनसान इलाके में अन्य पर्यटकों की मदद परिवार को नहीं मिल पाती तो एकदूसरे को बचाने के प्रयास में पूरा परिवार ही बड़ी घटना का शिकार हो सकता था। तो ध्यान रखिए, सुरक्षा की छोटी-छोटी बातें कितने काम की हैं।