जिसकी हत्या में सजा मिली, अब उसी का जेल से कर रहे हैं तर्पण
उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में बंद कैदियों का अनोखा पश्चाताप, जेल प्रशासन की अनुकरणीय पहल

समाचार आज @ उज्जैन
कभी कुछ अपराध जाने-अनजाने ऐसे हो जाते हैं कि बाद में पश्चाताप के अलावा कोई चारा नहीं बचता। आज हम आपको ऐसा ही कुछ दिखाने जा रहे हैं जो कर्मकाण्ड के साथ-साथ पश्चाताप की भावना से भी प्रेरित है। यह सब धार्मिक नगरी उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में हो रहा है।
उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में कैदी सोलह श्राद्ध के दिनों में तर्पण कर रहे हैं। सोलह श्राद्ध के दिनों में जेल प्रशासन ने अष्टमी तिथि की दिन यानी 5 अक्टूबर को जेल में बंद कैदियों को तर्पण की अनुमति दी है। पूजन भी मात्र औपचारिक रूप से नहीं, बल्कि विधि विधान से करवाई जा रही है। यह कर्मकाण्ड पं. श्याम पंचोली घोड़ी वाला गुरु द्वारा करवाया जा रहा है। तर्पण कर्म की पूजन में करीब 90 से अधिक बंदी शाामिल हुए, जिसमें 22 महिला बंदी भी थी। तर्पण की यह प्रक्रिया जेल के अंदर की सम्पन्न करवाई गई।
भूलवश किये गये अपराध का पश्चाताप
जेल अधीक्षक मनोजकुमार साहू ने बताया कि जेल के बंदियों को समस्त धार्मिक प्रक्रियाओं में शामिल होने का मौका दिया जाता है। तर्पण कर्म का पूजन भी इसी के तहत किया गया है। पूजन में शामिल बंदियों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने भूलवश किसी की हत्या कर दी और अब वे पश्चातापवश मृत आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर रहे हैं।
उज्जैनवासियों को जरूर करना चाहिए तर्पण
जेल में कर्मकाण्ड प्रक्रिया करवाने वाले पं. श्याम ने बताया कि शिप्रा किनारे स्थित पवित्र नगर उज्जैन में रहने वाले सभी लोगों को श्राद्ध में तर्पण अवश्य करना चाहिए। उनके पूर्वज इन सोलह दिनों तर्पण की आस में रहते हैं। ऐसे में जो कैदी जेल में बंद हैं, उन्हें भी तर्पण का मौका मिलना चाहिए। वे अपनी गलती की सजा में जेल में बंद हैं, लेकिन उनके पूर्वजों का इसका दण्ड नहीं मिलना चाहिए।
जेल अब बन गई है सुधारगृह
माना जाता है कि जेल में बंद व्यक्ति की दुनिया ही बदल जाती है। जेल में सिर्फ यातना-प्रताड़ना और त्रासना ही मिलती है। लेकिन उज्जैन की भैरवगढ़ जेल इस मिथक के परे है। पिछले दिनों उज्जैन की केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में तत्कालीन अधीक्षक उषा राजे के कार्यकाल में करोड़ों रुपए का पीएफ घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में वे साथियों के साथ जेल की हवा खा रही है। उस दौरान हुई जांच में भैरवगढ़ जेल की तमाम गैरकानूनी गतिविधियां सामने आई थीं। बाद में शासन ने मनोजकुमार साहू का जेल अधीक्षक बनाकर भेजा। साहू ने आते ही जेल का स्वरुप बदल दिया। जेल में दिन गुजारकर बाहर आने वाले बंदी खुद बताते हैं कि भोजन, रहना, धार्मिक क्रियाकर्म, सत्संग, पेयजल से लेकर वे सभी तमाम व्यवस्थाएं यहां बेहतर हो गई हैं जिनके लिए पहले संघर्ष करना पड़ता था। भैरवगढ़ जेल अब यातना-प्रताड़ना की नहीं बल्कि शासन की अवधारणा के मुताबिक सुधार गृृह में तब्दील होती जा रही है।