New criminal bills : देश के कई कानूनों में बदलाव, नाबालिग से रेप किया तो होगी फांसी
New criminal bills :नए क्रिमिनल विधेयक लोकसभा में पास : राजद्रोह अब बना देशद्रोह, मॉब लिचिंग की सजा भी सख्त

New criminal bills : देश के कई कानूनों में बदलाव हुआ है। नए क्रिमिनल विधेयक लोकसभा में पास हो गए हैं। अब इसे राज्यसभा में रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। बुधवार 20 दिसंबर को इसे पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है। अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून, जिसके चलते तिलक, गांधी, पटेल समेत देश के कई सेनानी कई बार 6-6 साल जेल में रहे। वो कानून अब तक चलता रहा। पहली बार मोदी जी ने सरकार में आते ही ऐतिहासिक फैसला किया है, राजद्रोह की धारा 124 को खत्म कर ,इसे हटाने का काम किया। राजद्रोह की जगह उसे देशद्रोह कर दिया है। क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है। यह उनका अधिकार है। अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अगर कोई सशस्त्र विरोध करता है, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, उसे आजाद रहने का हक नहीं, उसे जेल जाना ही पड़ेगा। कुछ लोग इसे अपनी समझ के कपड़े पहनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैंने जो कहा उसे अच्छी तरह समझ लीजिए। देश का विरोध करने वाले को जेल जाना होगा।
नाबालिग से दुष्कर्म किया तो होगी फांसी
कानूनों में बदलाव के क्रम में बलात्कार की धारा में भी फेरबदल हुआ है। पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है। गैंगरेप को भी आगे रखा गया है। बच्चों के खिलाफ अपराध को भी आगे लाया गया है। गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल होगी। 18, 16 और 12 साल की उम्र की बच्चियों से रेप में अलग-अलग सजा मिलेगी। 18 से कम से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। गैंगरेप के मामले में 20 साल की सजा या जिंदा रहने तक की सजा। 18 साल से कम की बच्ची के साथ रेप में फिर फांसी की सजा का प्रावधान रखा है। सहमति से रेप में 15 साल की उम्र को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है। 18 साल की लड़की के साथ रेप करने पर नाबालिग रेप में आएगा। किडनैपिंग 359, 369 था, अब 137 और 140 हुआ। ह्यूमन ट्रैफिकिंग 370, 370ए था अब 143, 144 हुआ है।
दुर्घटना के बाद घायल को अस्पताल ले गये तो सजा कम, लेकिन हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा
देश में कानूनों में बदलाव के तहत संगठित अपराध की भी पहली बार व्याख्या की गई है, इसमें साइबर क्राइम, लोगों की तस्करी, आर्थिक अपराधों का भी जिक्र है। इससे न्यायपालिका का काम काफी सरल होगा। गैर इरातन हत्या को दो हिस्सों में बांटा। अगर गाड़ी चलाते वक्त हादसा होता है, फिर आरोपी अगर घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी। हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी। डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली मौत के मामलों को गैर इरादतन हत्या में रखा गया है। इसकी भी सजा बढ़ गई है। अमित शाह ने कहा इसके लिए मैं एक अमेंडमेंट लेकर आउंगा, डॉक्टरों को इससे मुक्त कर दिया है। मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा, स्नैचिंग के लिए कानून नहीं था, अब कानून बन गया है। किसी के सर पर लाठी मारने वाले को सजा तो मिलेगी, इससे ब्रेन डेड की स्थिति में आरोपी को 10 साल की सजा मिलेगी। इसके अलावा कई बदलाव हैं।
पुलिस की जवाबदेही भी बढ़ाई
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी। पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी, तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी। अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी। किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी। जांच और केस के विभिन्न चरणों की जानकारी पीड़ित और परिवार को भी देने के लिए कई पॉइंट जोड़े गए हैं।
एफआईआर तीन दिन में दर्ज करनी होगी
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- देश में न्याय मिलने में गरीबों को मुश्किल होती है। लेकिन गरीबों के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है। पुलिस की ओर से दंडित कार्रवाई- सीआरपीसी में कोई समय निर्धारित नहीं है। पुलिस 10 साल बाद भी जांच कर सकती है। तीन दिन के भीतर रिपोर्ट दर्ज करनी होगी। 3 से 7 साल की सजा में 14 दिन के भीतर जांच करके एफआईआर रजिस्टर्ड करनी होगी।
- रेप पीड़िता की रिपोर्ट को भी अब बिना किसी देर के 7 दिन के भीतर पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजना होगा। पहले 7 से 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था। लेकिन लोग कहते थे, जांच चल रही है ऐसा बोलकर सालों केस लटकाए जाते थे। अब 7 से 90 दिनों का समय रहेगा, अब ये समय पूरा होने के बाद 90 दिनों का ही समय मिलेगा। 180 दिनों के बाद आप चार्जशीट लटकाकर नहीं रख सकते।
- आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर ही अगर आरोपी आरोप स्वीकार कर लेगा तो सजा कम हो जाएगी। उसके बाद सजा कम नहीं होगी। ट्रायल की प्रक्रिया में कागज रखने का प्रावधान नहीं था, अब इसे 30 दिन में पूरा करना होगा। ट्रायलिंग के दौरान अनुपस्थित रहने के मामले में भी प्रावधान किया गया है, कुछ लोगों को इससे आपत्ति हो सकती है।
आरोपी की गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा
देश में कई केस लटके हुए हैं, बॉम्बे ब्लास्ट जैसे केसों के आरोपी पाकिस्तान जैसे देशों में छिपे हैं। अब उनके यहां आने की जरूरत नहीं है। अगर वे 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होते हैं तो उसकी गैरमौजूदगी में ट्रायल होगा, फांसी भी होगी, जिससे आरोपियों को उस देश से वापस लाने की प्रोसेस आसान होगी।
अब लंबे समय तक किसी को जेल में नहीं रख सकते, अगर उसने सजा का एक तिहाई समय जेल में गुजार लिया है तो उसे रिहा किया जा सकता है।
आधी सजा काटने पर मिल सकती है रिहाई
गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है। जजमेंट सालों तक नहीं लटकाया जा सकता। मुकदमा समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा। निर्णय देने के 7 दिन के भीतर सजा सुनानी होगी। पहले सालों तक दया याचिकाएं दाखिल की जाती थीं। दया की याचिका दोषी कर सकता है पहले कोई एनजीओ या कोई संस्थान ऐसी याचिकाएं दाखिल करता था। सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद 30 दिन के भीतर ही दया याचिका दाखिल की जा सकेगी।
जो देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा को खतरे में डालकर भय फैलाये वो आतंकवादी
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा देश के कानून में आतंकवाद को रोकने की धाराएं नहीं थीं, संसद में बैठे लोग उसे मानवाधिकार बताकर विरोध करते थे। जबकि आतंकवाद मानवाधिकार के खिलाफ है। हमारा वादा था कि हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रखेंगे। पहले इसका जिक्र ही नहीं था, जहां उनकी (कांग्रेस) सरकार होती थी, वहां लोगों के खिलाफ यूएपीए नहीं लगाते थे। ये अंग्रेजों का शासन नहीं है, जो आप आतंकवाद का बचाव कर रहे हैं। मोदी सरकार में ऐसी दलीलें नहीं सुनीं जाएंगी। अब इसकी व्याख्या कर दी गई है, जो देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा को खतरे में डालकर भय फैलाने का काम करता है, उसे आतंकवादी माना जाएगा।