
बाबा रामदेव की कथा का आयोजन उज्जैन में महापौर मुकेश टटवाल व साथियों द्वारा किया जा रहा है। जिसमें रूणिजा दरबार बाबा रामदेव की कथा करने आए स्वामी मूलयोगीराज द्वारा बाबा रामदेव के संदेश के माध्यम से समाज व परिवार में व्याप्त अंधविश्वास एवं कुरीतियों के खिलाफ संदेश दिया जा रहा है।
स्वामी मूलयोगीराज ने कथा के चौथे दिन गुरुवार 17 अक्टूबर को कहा कि व्यक्ति को भाषा और अपना वेश नहीं छोडना चाहिए इससे ही व्यक्ति की पहचान है। जीवन में न खोटा काम करो और ना किसी को करने के लिये प्रश्रय दिया जाना चाहिए। सज्जन व्यक्ति को सबका सहयोग मिले तो शुभ कार्य होते है। दुर्जन को सहयोग करने से बेडागर्क ही होना है।
मनोरमा गार्डन में आयोजित पांच दिवसीय कथा के चौथे दिन स्वामी मूलयोगीराज ने बाबा रामदेव के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि उस समय में समाज के निचले तपके को पानी के लिए तरसाना, नरबली करना, कुष्ठ रोगीयों को जिन्दागाड देने जैसी परम्परा थी। उसको बाबा ने समाप्त करने का कार्य किया है। मानव समाज में व्याप्त, अर्धविश्वासों, कुरितीयों, धर्म के नाम पर हो रहे अत्याचारों, अनाचारों व अस्प्रश्यता का खंडन कर मानव मात्र को प्रेम व मानव धर्म का उपदेश दिया है।पांच दिन से चल रही बाबा श्री रामदेव की संगीतमय कथा का समापन 18 अक्टूबर को होगा जिसमे डालीबाई, समाधि का प्रसंग होगा। कथा के आंरभ में व्यास पीठ का पूजन अर्चन राधे राधे महाराज व स्वामी महावीरनाथ जी ने किया। महापौर मुकेश टटवाल ने आगत संतो एंव अतिथियों का स्वागत किया।
स्वामी जी ने इस तरह दिया परिवारों में बदलाव का महत्व
- जीव की कोई जाति नहीं होती, सब मेरे है. यही भाव बाबा को लोक देवता बनाता है।
- बाबा रामदेव ने नारी की महत्ता को काफी महत्व दिया है। नारी का अपमान नही होना चहिए जिस घर में स्त्री का आंसू बहे वहा लक्ष्मी का वास नही होता है। घर की बरकत भी चली जाती है।
- घर परिवार में अच्छे चित्र, सकारात्मक सोच का वातावरण, ही बच्चो में अच्छे संस्कार निर्मित करते है।
- धन सम्पत्ति का बटवारा तो किया जा सकता है, लेकिन पुण्य का बटवारा कोई नही कर सकता
- संत और भगवान भाव के भूखे होते है, हम भाग्यशाली है, जो बाबा ने उनकी कथा करने का और श्रवण करने का सौभाग्य प्रदान किया है.।
कार्यक्रम में ये लोग थे मौजूद
सुरज केरो, जगदीश अग्रवाल, इकबाल सिंह गांधी, मंहत राजेन्द्र भारती, रवि राय, मदनलाल ललावत, मीना विजय जोनवाल, इन्दौर से आए आर के गोठवाल, रूपेश लोदवाल, ओपी जाटवा नंदकिशोर लोदवाल, मनोज मालवीय, हसंराज गोठवाल, अजय तिवारी, परेश कुलकर्णी, करण परमार, बाबूलाल वाघेला, शीला जगदीश मरमट, सुशीला जाटवा, जयप्रकाश जूनवाल, पी.एल टटवाल, ओमप्रकाश मोहने, शिवेन्द्र तिवारी, प्रकाश शर्मा, सत्यनारायण चौहान, योगेश्वरी राठौर, कैलाश प्रजापत, रजत मेहता, लीला वर्मा, सुगमबाई वाघेला आदि।