मध्यप्रदेश

कालिदास की मेघदूतम से मिलता प्रकृति-पृथ्वी बचाने का संदेश

कालिदास समारोह का उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया शुभारंभ

कालिदास समारोह का देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 12 नवंबर को उज्जैन मेें शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अद्भुत प्रतिभा के धनी महाकवि कालिदास की अमर कृतियां मानव तथा प्रकृति के अटूट संबंधों का अनुपम उदाहरण है। महाकवि की रचनाओं में मानव तथा प्रकृति के बीच अद्भुत एवं अटूट संबंध देखने को मिलता है। महाकवि ने अपनी रचनाओं में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है जो सदैव प्रासंगिक है। मेघदूतम् जैसी उनकी रचनाओं से प्रेरणा लेकर हमें अपनी पृथ्वी को बचाना होगा, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु संरक्षण की दिशा में गंभीरता से प्रयास करने होंगे क्योंकि हमें निवास के लिए दूसरी पृथ्वी उपलब्ध नहीं है।

उपराष्ट्रपति मंगलवार को उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने 66 वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का विद्वदजनों की उपस्थिति में गरिमामय शुभारंभ किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि महाकवि कालिदास की रचनाएं हमारे जीवन मूल्यों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी। महाकवि की रचनाएं देश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं। अखिल भारतीय कालिदास समारोह के गरिमामय आयोजन द्वारा म.प्र. शासन हमारी संस्कृति एवं विरासत को सहेजने और संरक्षित करने का सराहनीय कार्य कर रहा है।

यह थे अतिथि

समारोह की अध्यक्षता प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने की, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की समारोह में गरिमामय उपस्थिति रही। इस अवसर पर सारस्वत अतिथि के रुप में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष स्वामी श्री गोविंददेव गिरीजी महाराज उपस्थित थे। सांसद अनिल फिरोजिया, प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्य विभाग राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी एवं जिला प्रभारी मंत्री, प्रदेश के कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल भी मंचासीन थे।

कालिदास की अमर कृतियां मानवीय भावों को अद्भुत रूप से प्रदर्शित करती है

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस अवसर पर अपने विद्वत्तापूर्ण उद्बोधन में कहा कि महाकवि कालिदास की अमर कृतियां मानवीय भावों को अद्भुत रूप से प्रदर्शित करती है। मानवीय मूल्य के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत है। समारोह आयोजन की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस गरिमामय आयोजन के लिए मध्यप्रदेश शासन एवं मुख्यमंत्री डॉ. यादव साधुवाद के पात्र हैं। म.प्र. शासन द्वारा कला, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान दिया जा रहा है।

कालिदास की रचनाएं नारी सशक्तिकरण का भी उदाहरण

नारी सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि महाकवि कालिदास की रचनाएं नारी सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण उदाहरण है। उनकी रचना अभिज्ञान शाकुंतलम् को संदर्भ के रूप में देखा जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने देश की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने का आह्नान करते हुए कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत और धरोहरों को सदैव संभालकर रखना होगा। देश की सांस्कृतिक विरासत अत्यन्त प्राचीन है, हमारी संस्कृति की जड़े अत्यंत गहरी हैं जो जीवन के उद्देश्य को बताती हैं। उपराष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में कुटुंब प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि कुटुंब प्रबंधन पर ध्यान देने से ही राष्ट्र का भी ध्यान हमारे मन-मस्तिष्क में सदैव रहेगा। अपने बच्चों के चारित्रिक एवं नैतिक विकास के लिए भी सदैव गंभीर रहना होगा। हमारे बच्चे अच्छे नागरिक बने, राष्ट्र निर्माण के साथ अपने कर्तव्यों का पूर्णता से निर्वहन करें। हम सबको मिलकर नागरिक दायित्वों का निर्वहन करना होगा। भारतीयता हमारी पहचान है, राष्ट्र सर्वोपरि है, इसके लिए नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्रत्येक नागरिक को अपनी आहुति देना होगी।

कालिदास और भर्तृहरि को उज्जैन मेें मिला ज्ञान का प्रकाश

कार्यक्रम में अखिल भारतीय कालिदास सम्मान से अलंकृत होने वाली प्रतिभाओं को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन प्रतिभाशाली व्यक्तियों के द्वारा हमारी संस्कृति के श्रेष्ठ तत्वों को सहेजने के साथ प्रदर्शित करने का उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है। उपराष्ट्रपति ने अवंतिका नगरी के पौराणिक, आध्यात्मिक, धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण की है। यहां कालिदास और भर्तृहरि को ज्ञान का प्रकाश मिला है। सम्राट विक्रमादित्य के जग प्रसिद्ध न्याय का आदर्श उदाहरण उज्जैन है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे स्वयं उज्जैन आकर धन्य हुए हैं। यहां से प्राप्त अद्भुत अनुभव को जीवनभर संजोकर रखेंगे, यहां से एक नवीन ऊर्जा मिली है।

कालिदास समारोह विश्व व्यापी समारोह-राज्यपाल

प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि आध्यात्मिक चेतना के केंद्र उज्जैन में माननीय उपराष्ट्रपतिजी का हृदय से स्वागत है। उपराष्ट्रपति जी की उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक भव्यता प्रदान की है। राज्यपाल ने कहा कि महाकवि कालिदास की महान रचनाओं तथा सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास अखिल भारतीय कालिदास समारोह के माध्यम से किया जा रहा है।

कालिदास और विक्रमादित्य की नगरी का अस्तित्व प्रत्येक काल में रहा- मुख्यमंत्री

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक महत्वपूर्ण गौरवशाली परंपरा के रूप में उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन किया जाता रहा है। आज इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की जिन प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया है वे बधाई की पात्र हैं। उज्जैन आगमन पर माननीय उपराष्ट्रपति का हृदय से स्वागत एवं अभिनंदन है। मुख्यमंत्री डा. यादव ने कहा कि महाकवि कालिदास और विक्रमादित्य की उज्जयैनी नगरी का प्रत्येक काल एवं युग में सदैव अस्तित्व रहा है। कई जन्मों के पुण्य, फलों के पश्चात हमें यह गौरव मिला है कि यहां आकर कुछ समय बिताएं। माननीय उपराष्ट्रपति ने आज अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारम्भ कर समारोह के गौरव में अभिवृद्धि की है। हम सबका यह सौभाग्य है कि इस समारोह के आयोजन का अवसर उज्जैन को सदैव मिलता है। मुख्यमंत्री ने समारोह के सफल आयोजन हेतु अपनी ओर से शुभकामनाएं दी।

कालिदास का साहित्य हमारी अमूल्य धरोहर- गोविंद देव गिरीजी

स्वामी श्री गोविंददेव गिरी ने अपने उद्बोधन में महाकवि कालिदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वर्णन करते हुए कहा कि ऐसा कोई अन्य कवि विश्व में नहीं हो सकता जिसकी महाकवि कालिदास से तुलना की जा सके, कालिदास अद्भुत एवं अनुपम है। स्वामीजी ने अपने उद्बोधन में कालिदास की विभिन्न रचनाओं का वर्णन करते हुए महाकवि द्वारा रचित साहित्य को अमूल्य बताया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री वृंदा अजमेरा ने किया।

कालिदास सम्मान अलंकरण विभिन्न प्रतिभाओं को मिला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाली प्रतिभाओं को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान अलंकरण से सम्मानित किया। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में वर्ष 2022 के लिए पंडित उदय भवालकर पुणे, तथा डॉ संध्या पूरेचा मुंबई एवं वर्ष 2023 के लिए पंडित अरविंद पारीख मुंबई को सम्मानित किया गया। रुपंकर कलाएं वर्ष 2022 के लिए श्री पी.आर. दारोच नई दिल्ली, रुपंकर कलाएं वर्ष 2023 के लिए श्री रघुपति भट्ट मैसूर, रंगकर्म वर्ष 2022 के लिए श्री भानु भारती अजमेर, रंगकर्म वर्ष 2023 के लिए श्री रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता कोलकाता को सम्मानित किया गया। शास्त्रीय नृत्य के लिए गुरु कलावती देवी मणीपुर सम्मानित की गई। इसके अलावा इंदौर के आचार्य मिथिलाप्रसाद र्तिपाठी राष्ट्रीय कालिदास श्रेष्ठ कृति अलंकरण एवं ग्वालियर के आचार्य बालकृष्ण शर्मा को प्रादेशिक भोज श्रेष्ठ कृति अलंकरण से सम्मानित किया गया।

कालिदास अकादमी के ग्रंथों/प्रकाशनों का विमोचन किया

उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने समारोह में कालिदास अकादमी उज्जैन द्वारा प्रकाशित दस ग्रंथों/प्रकाशनों का विनोचन किया। इनमें वैयाकरण सिद्धांत कोमुदी, संज्ञा परिभाषा प्रकरण, श्रीधार भास्कर वर्णेकर विरचित्तम कालिदास रहस्यम (खण्ड काव्यम), हरिरामचन्द्र दिवेकर विरचित कालिदास महोत्सहम्, कालिदास साहित्य में वनस्पति, पीयूष वर्धिनी क्षिप्रा कल आज और कल, वृत्तांत (पत्रिका), राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्ति कला प्रदशनी (केटलाग) 2023, श्रेष्ठ कृति अलंकरण, कार्यक्रमों की विवरणिका एवं राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्ति कला प्रदशनी (केटलाग) 2024 सम्मिलित हैं। सभी ग्रंथों एवं प्रकाशनों के प्रधान सम्पादक कालिदास संस्कृत अकादमी निर्देशक डा. गोविन्द गंधे हैं।

हरिओम राय @ उज्जैन

Related Articles

Back to top button