ब्रह्मध्वज और नववर्ष विक्रम संवत पुस्तिका का विमोचन, उज्जैन को बनाया जाएगा काल गणना का प्रमुख केंद्र
ब्रह्मध्वज श्रीमहाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर समय-समय पर स्थापित रहा है

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं मंत्रिपरिषद ने ब्रह्मध्वज एवं भारत का नववर्ष विक्रम संवत पुस्तिका का लोकार्पण किया। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत सृष्टि आरंभ दिवस, वर्ष प्रतिपदा, विक्रम सम्वत् 2082 के प्रारंभ दिवस 30 मार्च 2025 के पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं मंत्रिपरिषद ने ब्रह्मध्वज एवं भारत का नववर्ष विक्रम संवत पुस्तिका का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण प्रदेश में 30 मार्च को गुड़ी पड़वा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा, मंत्रीगण गुड़ी पड़वा पर उनके जिलों में होने वाले कार्यक्रमों में सहभागिता करें। वहीं भोपाल में कैबिनेट में ये भी फैसला लिया गया कि उज्जैन को काल गणना का प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा, क्योंकि यहां गणितीय सटीकता उच्च स्तर की मानी जाती है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ब्रह्मध्वज की जानकारी देते हुए बताया कि सृष्टिकर्ता महाकाल की प्रेरणा से ब्रह्मदेव ने सृष्टि का निर्माण किया। 1955885126 वर्ष पूर्व से प्रवर्तित सृष्टियाब्द के आरम्भ से ही कोटि सूर्य को महिमा प्रदान की गयी है। यह ब्रह्मध्वज वर्षों पूर्व परम्परा से श्रीमहाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन के शिखर पर समय-समय पर स्थापित रहा है। मुख्यमंत्री ने विमोचित पुस्तिका भारत का नववर्ष विक्रम सम्वत के संबंध में बताया कि पुस्तिका में विक्रम संवत काल गणना की पद्धति, प्राचीन यंत्रों, वैदिक घड़ी आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई है।
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मुख्यमंत्री ने विक्रम सम्वत् के अंतर्गत तिथियों की महत्ता, पर्व और त्योहारों के निर्धारण तथा काल गणना पद्धति पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि विक्रमोत्सव अंतर्गत नई दिल्ली में 12 से 14 अप्रैल 2025 की तिथियों में विशेष आयोजन होने जा रहे हैं, जिसके अंतर्गत सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित महानाटय की प्रस्तुति भी होगी। सम्राट विक्रमादित्य के व्यक्तित्व और शासन व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित महान महानाटय की प्रस्तुति प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी होगी। इसके साथ ही सेक्टर वार होने वाली इन्वेस्टर समिट तथा अन्य बड़े आयोजनों के अवसर पर भी सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित महानाटय की प्रस्तुति की जाए।