विक्रम महोत्सव में उज्जैन का आसमान हुआ सतरंगी, श्रेया घोषाल का सुरीला स्वर गूंजा
विक्रम महोत्सव में पहली बार 1 हजार ड्रोन छाये आकाश में, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने प्रदेशव्यापी जल गंगा संवर्धन अभियान शुरु किया

उज्जैन में विक्रम महोत्सव vikram mahotsav का अनूठा आयोजन रंगारंग कार्यक्रमो के साथ हुआ। आसमान 1000 ड्रोन के शो से सतरंगी हो गया। प्रसिद्ध गायिका श्रेया घोषाल shreya ghoshal के स्वर शिप्रा तीरे गूंजे और उज्जैन गौरव का यह दिन यादगार बन गया। यह कार्यक्रम शिप्रा किनारे गुड़ी पड़वा 30 मार्च 2025 की रात हुआ। कार्यक्रम में विक्रम ध्वज का अनावरण किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में आकर्षक आतिशबाजी की गई। कार्यक्रम में 1000 ड्रोन के माध्यम से आकर्षक ड्रोन शो की प्रस्तुति दी गई। मध्यप्रदेश के लिए पहला अवसर है, जब 1000 ड्रोन के माध्यम से विभिन्न तत्वों को यहां आकाश में दिखाई दिए। यह सबसे बड़ी बात है ड्रोन शो के जरिए भगवान श्री महादेव और माता पार्वती की आकृतियां और सूर्य, चंद्र, तारे और सारे नक्षत्र आकाश में चलते हुए दिखाई दिए। कार्यक्रम में लोकप्रिय गायिका सुश्री श्रेया घोषाल द्वारा भजनों और गानों की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। उनकी प्रस्तुति ने सभी उपस्थित नागरिकों का मनमोह लिया।
सीएम की पहल पर उज्जयिनी के गौरव और वैभव की पुनर्स्थापना
कार्यक्रम में शामिल राज्यपाल मंगू भाई पटेल Governor Mangu Bhai Patel ने कहा कि भारतीय नववर्ष new year विक्रम सम्वत् 2082 Vikram Samvat 2082 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के शुभ अवसर पर उज्जैन में विक्रम महोत्सव के प्रसंग में आयोजित कार्यक्रमों में प्रदेशवासियों का स्वागत और अभिनंदन करता हूं। इस अवसर पर यशस्वी प्रधानमंत्री जी का भी आभार ज्ञापित करता हूँ, जिन्होंने दुनिया की पहली वैदिक घड़ी और भगवान महाकाल के अद्भुत महालोक की सौगातों से महाराजा विक्रमादित्य की उज्जयिनी के गौरव और वैभव की पुनर्स्थापना की है। नववर्ष का यह पर्व विविध स्वरूपों में मनाया जाने वाला ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को स्थापित करता है। इसे कहीं ‘गुड़ी पड़वा’ तो कहीं ‘चैती चांद’, कहीं ‘युगादि’ तो कहीं ‘उगादि’ और कहीं ‘नवरोज अगदु’ के अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। इसी के साथ नौ दिन आरोग्य, साधना और कायाकल्प के नवरात्र का भी आरंभ होता है। विक्रम सम्वत् वर्ष का प्रवर्तन भारतीय सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर, उनके राज्यभिषेक के दिन से होता है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि नव सम्वत्सर की तिथि सृष्टि निर्माण की तिथि है, जिसका निर्धारण संपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ हुआ है। वास्तव मे भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन ऋतु परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को सक्षम बनाने का समय है। मेरा मानना है कि भारतीय नववर्ष प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और निर्माण की प्रेरणा देता है, जिसमें सृष्टि, संस्कृति और समाज का संगम है।ऋतुकाल संधि के इन दिनों में नवचेतना, नवजागृति का संदेश है। इसे मनाने की परंपरा व्यक्ति, परिवार और समाज, तीनों के स्वस्थ जीवन और समृद्धि को ध्यान में रखकर शुरू की गई। यह हम सब प्रदेशवासियों के लिये गर्व और गौरव का विषय है कि भारतीय नववर्ष विक्रम सम्वत् उज्जयिनी से शुरू हुआ है। सम्राट विक्रमादित्य का सारी दुनिया में न्यायप्रियता, ज्ञानशीलता, धैर्य, पराक्रम, पुरुषार्थ, और वीरता जैसी विशेषताओं के लिए स्मरण किया जाता है। प्रदेश की जनता से अपील है कि नव वर्ष के उत्सव को उमंग, उल्लास के साथ मनाए, प्रकृति के नवसृजन और विकसित मध्यप्रदेश निर्माण का संकल्प ले।आइए हम इस नए वर्ष में एक दूसरे के साथ मिलकर काम करें और अपने प्रदेश को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाएं।
विक्रम विश्वविद्यालय अब कहलायेगा सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय
विक्रमोत्सव में प्रदेशव्यापी जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने इस अवसर पर कहा कि उज्जैन नगरी सम्राट विक्रमादित्य Vikramaditya के शासनकाल की नगरी है। उज्जयिनी वह नगरी है जिसमें योगीराज श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की तो अनेक राजा महाराजाओं ने अपने न्याय प्रिय शासन से दुनिया को न्याय की ओर मोड़ा। आज का दृश्य देख कर लग रहा है मानो आज सम्राट विक्रमादित्य स्वयं इस नगरी में पधारे हैं। हम सबके लिए यह सौभाग्य की बात है माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में श्री महाकाल महालोक का निर्माण हुआ और भगवान श्री महाकालेश्वर की नगरी का वैभव और बड़ा है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि राज्यपाल श्री पटेल की उपस्थिति में विक्रमोत्सव के कार्यक्रम से प्रदेशव्यापी जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत की जा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में प्रभारी मंत्री,विधायक और अन्य जनप्रतिधियों की उपस्थिति में जिला स्तरीय कार्यक्रम से जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत की जा रही है। उज्जैन में 100 से अधिक कुआं,बावड़ी,तालाबों, और अन्य जल स्त्रोतों में स्वच्छता,जीर्णोद्धार और नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है।
सम्राट विक्रमादित्य का शासन रामराज्य की याद दिलाता है
सीएम डॉ. यादव ने कहा सम्राट विक्रमादित्य बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका शासन काल रामराज्य की याद दिलाता है। हमारी सरकार भी निरंतर जनता की बेहतरी के लिए कार्य कर रही है। विक्रमादित्य ने अपने पुरुषार्थ से अपनी प्रजा का ध्यान रखा और सदैव प्रजा की रक्षा की। उन्होंने जनता का कर्ज माफ किया। उन्होंने विक्रम संवत का प्रवर्तन करते हुए सनातन परंपरा की पुनर्स्थापना की।सम्राट विक्रमादित्य की न्याय परंपरा का लोहा आज भी माना जाता है। उनकी न्याय प्रियता हजारों साल से जानी जाती है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने केंद्रीय मंत्री डॉ अर्जुन राम मेघवाल से अनुरोध किया कि भविष्य में उज्जैन में न्याय से जुड़ी राष्ट्रीय संस्था सम्राट विक्रमादित्य के नाम से प्रारंभ की जाए।
अफगानिस्तान तक था सम्राट विक्रमादित्य के शासन का प्रभाव
केंद्रीय मंत्री डॉ अर्जुन राम मेघवाल ने इस अवसर पर कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज हम सब शिप्रा नदी के पावन तट पर विक्रमोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने अपनी ओर से सबका अभिनंदन किया। उन्होंने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य के शासन का प्रभाव अफगानिस्तान तक था। वे राजस्थान के बीकानेर से आते हैं। उन्होंने राज्यपाल श्री पटेल के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान और एमपी के द्वारा भविष्य में टूरिस्ट सर्किट बनाए जाने के लिए कार्य योजना बनाई जाएगी। इस टूरिस्ट सर्किट से राजा भर्तहरि और सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल से जुड़ी अभिनव विरासत को देखने समझने का अवसर पर्यटकों को मिलेगा। यह टूरिस्ट सर्किट से राजस्थान आने वाला पर्यटक मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश आने वाला पर्यटक राजस्थान जरूर जाएगा, इससे पर्यटकों में एक नया भाव जागेगा जो दोनों प्रदेशों की विरासतों को वैश्विक ऊचाईयों तक ले जाएगा। ्कार्यक्रम में केंद्रीय नेता शिवप्रकाश, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, सांसद उज्जैन अनिल फिरोजिया, विधायक उज्जैन अनिल जैन कालूहेड़ा, पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, महापौर उज्जैन मुकेश टटवाल, अध्यक्ष नगर निगम उज्जैन श्रीमती कलावती यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया सहित बड़ी संख्या में नागरिकगण उपस्थित थे।