मध्यप्रदेश के कर्मचारी भत्ते बढऩे से सरकार पर 15 सौ करोड़ रुपये का बोझ, फिर भी कर्मचारी खुश नहीं
मध्यप्रदेश के कर्मचारी बोले13 साल बाद बढ़ाये गये भत्ते काफी कम है, किराया इतना कम की झुग्गी भी नहीं मिलेगी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में कहा है कि मध्यप्रदेश के कर्मचारी के हित में लगभग 10-15 वर्ष तक पुराने भत्तों की राशि बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके लिए वर्ष 2025-26 के बजट में राशि आवंटित की गई है, जिससे सरकार पर करीब 1500 करोड़ रुपए का व्यय भार आएगा। उन्होंने कहा कि सरकार कुशल वित्तीय प्रबंधन के आधार पर ही अपने अधिकारी-कर्मचारियों की बेहतरी का ध्यान रख पा रही है। उन्होंने कहा कि विकास और जनकल्याण के क्षेत्र में प्रदेश को प्राप्त हो रही उपलब्धियों का श्रेय अधिकारी-कर्मचारियों को जाता है। उधर कर्मचारी जगत ने 13 साल बाद बढ़ाए गए भत्तों को लेकर कहा है कि यह केंद्र सरकार से काफी कम है। इसे महंगाई भत्ते से जोड़ा जाता तो लाभ मिलता। अभी जो भत्ता बढ़ाया गया है उससे तो किराए में झुग्गी भी नहीं मिल पाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मीडिया को जारी संदेश में कहा कि आगे भी सरकार कुशल वित्तीय प्रबंधन से कर्मचारियों का ध्यान रखेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि पूरे देश में मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने अपनी 7-8 साल पुरानी सारी देनदारी चुकाने का कार्य किया। हमारी सरकार ने एमएसएमई और हैवी इंडस्ट्रीज सहित सभी प्रकार की इकाइयों को गत एक वर्ष में लगभग 5 हजार 225 करोड़ रुपए की राशि देने का काम किया है। हमारी सरकार नवीन पहलों के माध्यम से उद्योगों के लिए निरंतर सकारात्मक वातावरण बना रही है। राज्य सरकार विकास के लिए प्रदेश से जुडऩे वाले उद्योगों से किये गये अपने सभी संकल्पों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
जनहितैषी कामों का मूल आधार हैं अधिकारी कर्मचारी- सीएम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में डबल इंजन की सरकार जनहितैषी संकल्पों के साथ अग्रसर है। उद्योग-व्यापार से लेकर खेलों तक राज्य में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार के मार्गदर्शन और नीति आयोग के निर्देशों के अनुरूप प्रत्येक विभाग में सुशासन के मूल भाव के साथ गतिविधियों की मॉनिटरिंग जारी है। राज्य सरकार के हर विभाग ने अपने-अपने क्षेत्र में श्रेष्ठतम कार्य करने का संकल्प लिया है। राज्य सरकार कुशल वित्तीय प्रबंधन के आधार पर अपनी पुरानी देनदारी चुका कर, नई दृष्टि से विकास के पैमानों पर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि हम लगातार जनहितैषी कामों को आगे बढ़ा रहे हैं। इन जनहितैषी कामों के मूल आधार हमारे अधिकारी कर्मचारी हैं। इसलिए हमने 15 साल से रुके भत्तों की राशि बढ़ाने का निर्णय लिया है जिसके बाद सरकार पर 1500 करोड़ रुपए का वित्तीय भार पड़ेगा। हमने कर्मचारियों के भत्तों को बढ़ाने का काम किया है। कुशल वित्तीय प्रबंधन के बलबूते पर अधिकारी कर्मचारी का बराबर ध्यान रखेंगे। बजट में कहा था कि हमने एक रुपए भी टैक्स नहीं लगाया है लेकिन 16 प्रतिशत अधिक बड़ा बजट बनाया है। प्रदेश में केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में डबल इंजन की सरकार काम कर रही है।
ताप विद्युत गृहों के लिए किया गया 11.73 लाख मैट्रिक टन कोयले का भंडारण
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कुशल वित्तीय प्रबंधन के आधार पर सभी केंद्रीय कोयला कंपनियों की देनदारियों का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया है। जेनरेशन कंपनी के चारों ताप विद्युत गृहों के कुशल प्रबंधन के फलस्वरूप अब तक का सर्वाधिक 11.73 लाख मैट्रिक टन कोयले का भंडारण किया गया है। ताप विद्युत गृहों में उपयोग के लिए कोयला भंडारण का अग्रिम भुगतान भी सरकार की ओर से किया जा चुका है।
किराए पर झुग्गी भी नहीं मिलेगी वर्तमान गृह भाड़ा भत्ता से
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि करीब 15 साल के अंतराल के बाद राज्य सरकार ने वाहन और गृह भाड़ा भत्ता बढ़ाया है लेकिन यह भी केंद्र के समान नहीं बढ़ाया गया है। अभी सरकार ने जो मकान भाड़ा भत्ता बढ़ाया है, उतने में किराए पर झुग्गी भी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट के फैसले के आधार पर मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के गृह भाड़े भत्ते में 945 से 7915 तक की वृद्धि होगी। अगर यह वृद्धि केंद्र सरकार के अनुसार की जाती तो महंगाई के इस दौर में कर्मचारियों को बहुत राहत मिलती। एमपी सरकार ने गृह भाड़ा भत्ता अप्रैल 2025 से 10 प्रतिशत, 7 प्रतिशत, 5 प्रतिशत देना तय किया है जबकि केंद्र सरकार द्वारा सातवें वेतनमान में 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत, 30 प्रतिशत दिया जा रहा है। एमपी में पिछले आदेश से 13 साल बाद एवं सातवें वेतनमान के 9 साल बाद यह भत्ता प्रदाय होगा वह भी महंगाई के अनुसार नहीं है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को 200 वाहन भत्ता 13 साल से अधिक समय से मिल रहा था जिसे बढ़ाकर 384 किया गया है। इसके विपरीत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान में 1800 रुपए वाहन भत्ता अब 55 प्रतिशत महंगाई भत्ते के साथ मिलेगा जो 2790 प्राप्त होगा।
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केंद्र और राज्य सरकार के भत्तों में यह है अंतर
- केंद्र सरकार वाहन भत्ता 2790 रुपए दे रही है। वहीं प्रदेश में अप्रैल 2025 से मिलेगा 384 रुपए।
- केंद्र में दिव्यांग को 3600 रुपए वाहन भत्ता मिलता है। वहीं मध्य प्रदेश में 671 रुपए मिलेंगे।
- एमपी में गृह भाड़ा भत्ता कर्मचारियों को 945 से 7915 रुपए तक मिलेगा। जबकि केंद्र सरकार महंगाई के आधार पर भत्ता दे रही है जो एमपी से काफी अधिक है।