ग्वालियर ठगी में बड़ा खुलासा, उज्जैन के बैंककर्मियों ने सब्जी बेचने के अकाउंट में कर दिया करोड़ों का लेनदेन
ग्वालियर ठगी में बैंक का अकाउंट किराये पर लेकर 2.53 करोड़ की ऑनलाइन ठगी में किया उपयोग

ग्वालियर ठगी में उज्जैन के नागदा में निजी बैंक के अफसर और कर्मचारियों ने फर्जी बैंक अकाउंट बनाए, जिनका इस्तेमाल ग्वालियर में अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल ठगी में किया गया है। ठगों के कहने पर बैंक कर्मचारियों ने जरूरतमंद लोगों को 1 हजार रुपए का लालच देकर उनके नाम पर अकाउंट खुलवाया और पासबुक व एटीएम कार्ड अपने पास रखे। अब पुलिस ने इस मामले में नागदा, उज्जैन और रतलाम से छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
2.53 करोड़ की ठगी के 10 लाख रुपए एक सब्जी वाले के खाते में आए थे। जांच में तीन और संदिग्ध खातों से करोड़ों रुपए के लेन-देन का पता चला है। यह मामला रामकृष्ण मिशन आश्रम से जुड़ा है। पिछले 5 महीनों में ग्वालियर और उज्जैन से मिलाकर 3.24 करोड़ रुपए की ठगी हुई है।
सब्जी के ठेले वाले के खाते में लाखों का लेनदेन
ग्वालियर एसएसपी धर्मवीर सिंह ने कहा नागदा की निजी बैंक शाखा के खाते में ग्वालियर से 10 लाख की ठगी का पैसा ट्रांसफर हुआ था। खाते को बैंक स्टाफ की मिलीभगत से किराए पर चलाया जा रहा था। गिरोह में शामिल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ग्वालियर की डिजिटल अरेस्ट digital arrest ठगी में ट्रांसफर हुए 10 लाख रुपए नागदा की बंधन बैंक शाखा में एक खाते में जमा हुए थे। जब पुलिस ने इस खाते के असली होल्डर तक पहुंची, तो चौंकाने वाली बात सामने आई। खाता एक सब्जी का ठेला लगाने वाले राहुल कहार के नाम पर खोला गया था, जो हर महीने 1 हजार किराया लेता था। राहुल के पास न तो पासबुक थी, न ही एटीएम कार्ड। दोनों चीजें बैंक के असिस्टेंट मैनेजर और महिला कैशियर के पास थीं। ग्वालियर से इस अकाउंट में जो रकम आई, वह महज एक ट्रांजैक्शन थी, लेकिन जांच के दौरान सामने आया कि कुछ महीनों में इस खाते से लाखों रुपए का लेन-देन हुआ था, जिसका खाता धारक को कोई अंदाजा तक नहीं था।
3 महीनों में करीब 30 लाख का लेन-देन हुआ इस खाते से
राहुल के नाम पर जनवरी 2025 में बंधन बैंक में यह खाता खोला गया था। इस खाते से तीन महीनों में करीब 30 लाख रुपए का लेन-देन हुआ। बैंक की जांच में इसी शाखा में तीन और संदिग्ध खाते मिले, जिनमें एक करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन हुआ था। हालांकि, इन खातों का ग्वालियर की 2.53 करोड़ की साइबर ठगी से कोई सीधा संबंध नहीं मिला, इसलिए पुलिस ने इन्हें अपनी जांच में शामिल नहीं किया। इस मामले में एक आरोपी उदयराज अब भी फरार है, जिसे गिरोह का मास्टरमाइंड माना जा रहा है और पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है।
ग्वालियर पुलिस ने 6 लोगों को किया उज्जैन से गिरफ्तार
ग्वालियर पुलिस ने ऑनलाइन ठगी के मामले में निजी बैंक की इस शाखा से जुड़े मामले में असिस्टेंट मैनेजर, महिला कैशियर, अकाउंट होल्डर और चेक से पैसा निकालने वाले व्यक्ति समेत कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनमें राहुल कहार (22), तुषार गोमे (26), किशोर विनाज्ञा ( 19), शुभम सिंह राठौर (23), रतलाम के विश्वजीत बर्मन (46) और उज्जैन की बंधक बैंक की महिला कैशियर काजल जायसवाल (27) शामिल हैं। पुलिस को आशंका है कि इस गिरोह से पूछताछ में साइबर ठगी के राष्ट्रीय नेटवर्क का बड़ा खुलासा हो सकता है।
खाते में लाखों रुपए का लेनदेन, लेकिन ग्वालियर मामले का सिर्फ एक
ग्वालियर पुलिस की एसआईटी ने जब नागदा स्थित बंधन बैंक शाखा में जांच की, तो पता चला कि डिजिटल अरेस्ट के तहत ग्वालियर से सिर्फ एक बार 10 लाख रुपए ट्रांसफर हुए थे। लेकिन बैंक स्टेटमेंट खंगालने पर सामने आया कि इस खाते में पिछले कुछ महीनों में अलग-अलग शहरों से लाखों रुपए आए और तुरंत निकाल भी लिए गए। यह सारा खेल बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रहा था। असिस्टेंट मैनेजर गिरोह को कैश आने की सूचना देता था और महिला कैशियर बिना किसी वैध प्रक्रिया के भुगतान कर देती थी।
देशभर से ट्रांसफर हो रहा था इन खातों से ठगी का पैसा
पुलिस की जांच में सामने आया है कि सिर्फ ग्वालियर ही नहीं, देश के कई अन्य शहरों से भी इस फर्जी अकाउंट में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई। नागदा की बंधन बैंक की शाखा साइबर ठगों के लिए सुरक्षित मनी चैनल बन गई थी। अधिकांश ट्रांजैक्शन कैश में निकाले गए और अकाउंट होल्डर को इसकी भनक तक नहीं थी। ग्वालियर की डिजिटल अरेस्ट घटना में ठगे गए 2.53 करोड़ रुपए में से बड़ा हिस्सा दुबई ट्रांसफर किया गया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि यह रकम दुबई के किस बैंक में गई और किस नाम से खाता खोला गया था।
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अपराध में शामिल आरोपी और उसकी भूमिका
- राहुल काहर (अकाउंट होल्डर) – नागदा में सब्जी का ठेला लगाता है। उसके नाम से फर्जी खाता बंधन बैंक में खोला गया। पासबुक और एटीएम उसके पास नहीं, अकाउंट का इस्तेमाल गैंग कर रहा था। हर महीने 1000 रुपए किराया मिलता था।
- विश्वजीत बर्मन (असिस्टेंट मैनेजर, बंधन बैंक, नागदा) – फर्जी अकाउंट खुलवाने में मुख्य भूमिका। बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग कर रैकेट को सुविधा दी। अकाउंट से जुड़ी जानकारी और पहुंच खुद रखता था।
- काजल जायसवाल (कैशियर, बंधन बैंक) – बिना वैरिफिकेशन चेक क्लियर करती थी। नियमों को नजरअंदाज कर कैश पेमेंट देती थी। असिस्टेंट मैनेजर के इशारों पर काम करती थी।
- शुभम सिंह राठौर, तुषार गोमे, किशोर विनाज्ञा (संपर्क एजेंट) – आम लोगों को लालच देकर खाता खुलवाते थे। फर्जी दस्तावेज तैयार कर खाते एक्टिव कराते थे। गिरोह को ट्रांजैक्शन के लिए नए अकाउंट उपलब्ध कराते थे।