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वृंदावन में बंदर हीरो का बैग ले भागा, पकडऩे के लिए लगाई जुगत

वृंदावन में बंदर को पकडऩे के लिये बुलाना पड़ी पुलिस, 8 घंटे बाद पकड़ा जा सका

वृंदावन में बंदर दर्शनार्थी का लाखों रुपए के हीरों से भरा बैग ले भागा। काफी कोशिश के बाद भी दर्शनार्थी बंदर से बैग नहीं ले पाये। बाद में पुलिस बुलाना पड़ी और पुलिस ने जुगत लगाकर बंदर को पकडक़र बैग हासिल किया। इसमें 8 घंटे लग गये। बैग में करीब 20 लाख रुपए से अधिक के हीरे रखे थे। पुलिस ने करीब 8 घंटे की मशक्कत के बाद बंदर को पकड़ लिया। इसके बाद श्रद्धालु ने पुलिस को थैंक्यू बोला। साथ ही कहा- बांके बिहारी की कृपा से मेरी मेहनत की कमाई से बनी ज्वेलरी मिल गई।

अलीगढ़ निवासी अभिषेक अग्रवाल पूरे परिवार के साथ वृंदावन आए हुए थे। उन्होंने गुरुवार ५ जून २०२५ की शाम बांके बिहारी मंदिर में फूल बंगला की सेवा की। शुक्रवार ६ जून को बांके बिहारी जी के दर्शन करने के बाद वह वापस अलीगढ़ जा रहे थे। इस दौरान उनके हाथ में हीरे और सोने-चांदी से बनी ज्वेलरी का बैग था। अभिषेक जैसे ही गौतम पाड़ा तिराहा पर पहुंचे, तभी एक बंदर उनके हाथ से बैग छीन ले गया। बैग हाथ से जाते ही अभिषेक के पसीने छूट गए, क्योंकि उसमें 20 लाख रुपए की ज्वेलरी थी। बंदर के बैग ले जाते ही अभिषेक ने शोर मचाना शुरू कर दिया। बंदर से बैग छुड़ाने के प्रयास शुरू कर दिए। उसे फ्रूटी और केले भी खाने को दिए। लेकिन, करीब 1 घंटे तक जब कोई सफलता नहीं मिली, तो अभिषेक ने इसकी सूचना पुलिस को दी।

पुलिस ने लगाई जुगत, खाने का सामान दिया

वृंदावन कोतवाली प्रभारी प्रशांत कपिल, इंस्पेक्टर क्राइम धर्मेंद्र सिंह, चौकी प्रभारी शिवकुमार शर्मा समेत 8 पुलिसकर्मी बैग की तलाश में जुट गए। उन्होंने बंदर को बहलाने के लिए उसे तरह तरह के फ्रूट और खाने का सामान दिया। इसके लालच मेें करीब 8 घंटे की मेहनत के बाद बंदर ने बैग लौटाया। बैग को बरामद कर पुलिस बांके बिहारी चौकी लाई। वहां अभिषेक अग्रवाल की मौजूदगी में बैग को खोला गया। इसमें हीरा का हार, 2 अंगूठी, 2 कान के टॉप्स के अलावा चांदी की 3 पायजेब और नकद रुपए थे। पूरा सामान मिलने पर अभिषेक अग्रवाल ने वृंदावन पुलिस को थैंक्स कहा। कहा- यह बांके बिहारी की कृपा और पुलिस की मेहनत है कि मुझे पूरा सामान वापस मिल गया।

आंखों से चश्मा, हाथ से पर्स और मोबाइल भी उड़ा ले जाते हैं बंदर

वृंदावन के व्यापारी बताते हैं कि वृंदावन के बंदर देश भर में चश्मा, पर्स और मोबाइल ले जाने के लिए प्रसिद्ध हैं। यह बंदर आंखों पर लगे चश्मा को गायब कर दें, पता ही नहीं चलता। इतना ही नहीं यह बंदर हाथों में से पर्स और मोबाइल को भी बड़े ही शातिराना अंदाज में छीना कर ले जाते हैं। जिसके साथ यह वाकया होता है उसे तब पता चलता है जब बंदर उसकी पहुंच से दूर पहुंच जाता है। ऐसा यहां कई बार हुआ है कि बंदर लोगों के चीजें छीन ले जाते हैं।

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वृंदावन में हैं 50 हजार से ज्यादा बंदर

मथुरा वृंदावन में बंदर कितने हैं, इसका सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है। वन विभाग भी बंदरों की सही संख्या को लेकर असमंजस में है। लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, यहां 50 हजार से ज्यादा बंदर हैं। मथुरा- वृंदावन में बंदरों की बड़ी संख्या इनके आतंक का कारण है।

वृंदावन में इस वजह से है समस्या

वृंदावन दो दशक पहले हरियाली से भरा था। परिक्रमा मार्ग के चारों तरह हरे भरे बाग, फल-फूल से लहलहाते बगीचे यहां हरियाली वाला वातावरण बनाए हुए थे। इससे बंदरों को माहौल और खाना आसानी से मिल जाता था। लेकिन, समय बदला और बाग-बगीचों की जगह बड़ी-बड़ी बिल्डिंग ने ले ली। इसकी वजह से बंदरों को उनके अनुकूल न तो वातावरण मिला और न ही भरपेट भोजन। बाग-बगीचे खत्म होते रहे और जिम्मेदार बड़ी-बड़ी बिल्डिंग खड़ी कराते रहे।

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