महाकाल मंदिर की व्यवस्था में प्रशासक प्रथम कौशिक के नेतृत्व में और सुधार होगा
महाकाल मंदिर को अब फुल टाइम प्रशासक मिला, प्रशासनिक सर्जरी में कई बड़े बदलाव

उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर में अब आईएएस प्रथम कौशिक पूर्णकालिक (फुल टाइम) प्रशासक की जिम्मेदारी संभालेंगे। लंबे समय से महाकाल मंदिर में बढ़ते श्रद्धालुओं की संख्या और व्यवस्थाओं को देखते हुए एक पूर्णकालिक प्रशासक की जरूरत महसूस की जा रही थी। अब उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में मंदिर की व्यवस्थाओं में और सुधार होगा।
कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने प्रशासनिक कार्यों की सुविधा के लिए जिले में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के अधिकारियों के दायित्वों में बड़ा फेरबदल किया है। उन्होंने अपर कलेक्टर अतेंद्र सिंह गुर्जर को नया एडीएम नियुक्त किया है। उन्हें कलेक्टोरेट की 42 शाखाओं का प्रभार दिया गया है, जिसमें जिला प्रोटोकॉल अधिकारी का पद भी शामिल है। वहीं, अपर कलेक्टर शाश्वत शर्मा को भी 55 शाखाओं की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मंदिर व्यवस्था में सुधार की उम्मीद
महाकाल मंदिर में भक्तों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए पूर्णकालिक प्रशासक की नियुक्ति को एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। पहले प्रथम कौशिक के पास एडीएम और प्रशासक दोनों का प्रभार था, जिससे कार्यभार काफी बढ़ गया था। करीब 7 महीने तक उन्होंने दोनों जिम्मेदारियां बखूबी निभाईं। अब सिर्फ मंदिर प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करने से व्यवस्था में और अधिक सुधार आने की संभावना है। यह बदलाव उज्जैन की धार्मिक और प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक सुचारू बनाने में सहायक हो सकता है।
अधिकारियों को मिली नई जिम्मेदारियां
जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के अधिकारियों के बीच कार्यों का नए सिरे से बंटवारा करते हुए स्पष्ट किया है कि अब हर अधिकारी अपने-अपने प्रभार में दक्षता और जवाबदेही के साथ काम करेगा। इस निर्णय को जिले में शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली को तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्रथम कौशिक (आईएएस)- महाकाल मंदिर के पूर्णकालिक प्रशासक के साथ-साथ उज्जैन नगर, कोठी महल और बडऩगर तहसील के राजस्व और अपील प्रकरणों का निराकरण करेंगे। उन्हें उज्जैन नगर, कोठी महल और बडऩगर के राजस्व प्रकरणों के अलावा भू-राजस्व संहिता और सरफेसी एक्ट जैसे जटिल मामलों को भी सुलझाने का जिम्मा सौंपा गया है। यह दिखाता है कि प्रशासन राजस्व संग्रह और भूमि संबंधी विवादों को प्राथमिकता दे रहा है।
अतेंद्र सिंह गुर्जर (एडीएम)- एडीएम के रूप में विभिन्न अधिनियमों के तहत न्यायिक व प्रशासकीय कार्य देखेंगे। वे बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) से संबंधित कानून-व्यवस्था और शांति समिति की बैठकों के नोडल अधिकारी भी रहेंगे। उन्हें कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अहम जिम्मेदारी दी गई है। अपर जिला मजिस्ट्रेट के रूप में वे न्यायिक, अर्ध-न्यायिक और पुलिस से जुड़े मामलों के लिए नोडल अधिकारी होंगे। शस्त्र लाइसेंस, विवाह पंजीकरण और आवश्यक वस्तु अधिनियम जैसे संवेदनशील विभाग भी उनके प्रभार में हैं।
शाश्वत शर्मा (अपर कलेक्टर)- सभी तहसीलों में नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा और डायवर्जन जैसे राजस्व प्रकरणों का पर्यवेक्षण करेंगे। इसके अलावा उन्हें सीएम हेल्पलाइन और लोक सेवा प्रबंधन का भी नोडल अधिकारी बनाया गया है। उन्हें राजस्व मामलों की देखरेख करने के साथ-साथ सीएम हेल्पलाइन और लोकसेवा प्रबंधन जैसे जनता से सीधे जुड़े विभागों का जिम्मा सौंपा गया है। यह बताता है कि सरकार की प्राथमिकता जनता की शिकायतों का त्वरित निराकरण करना है। उनके पास 55 शाखाओं का प्रभार है, जो उनकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
संदीप सिंह (संयुक्त कलेक्टर)- उप जिला निर्वाचन अधिकारी, भू-अर्जन, नजुल और नजारत जैसी महत्वपूर्ण शाखाओं के प्रभारी रहेंगे।
कृतिका भीमावद (संयुक्त कलेक्टर)- टीएल (टाइम लिमिट) शाखा की प्रभारी अधिकारी होंगी।
एसडीएम स्तर पर भी बदलाव
कलेक्टर ने तहसील स्तर पर भी कुछ अधिकारियों का स्थानांतरण किया है ताकि कामकाज में गति लाई जा सके।
ब्रजेश सक्सेना- अब नागदा की बजाय तराना के एसडीएम का पद संभालेंगे।
पवन बारिया- कोठी महल के एसडीएम बनाए गए हैं, जो क्षेत्र के विकास कार्यों में गति लाएंगे।
रंजना पाटीदार- उन्हें नागदा एसडीएम की नई जिम्मेदारी दी गई है।
एलएन गर्ग- कोठी महल के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है, जिससे वे अपने मुख्य कार्यक्षेत्र उज्जैन नगर पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
इस प्रशासनिक पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर अधिकारी को एक स्पष्ट जिम्मेदारी दी जाए, ताकि लोगों को सरकारी सेवाओं का लाभ बिना किसी देरी के मिल सके। यह कदम उज्जैन में एक अधिक प्रभावी और जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा तैयार करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।