उज्जैन-इंदौर मेट्रो: 10,000 करोड़ का प्रोजेक्ट,11 स्टेशन और सिर्फ 50 मिनट का सफर!
मध्य प्रदेश सरकार को DMRC ने सौंपी डीपीआर

उज्जैन: उज्जैन और इंदौर के बीच मेट्रो चलाने का सपना जल्द ही हकीकत में बदल सकता है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने उज्जैन-इंदौर मेट्रो रेल लाइन के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) मध्य प्रदेश सरकार को सौंप दी है। इस 45 किलोमीटर लंबे मेट्रो मार्ग पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
क्या है DPR में खास?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर से उज्जैन का सफर महज 45 से 50 मिनट में पूरा हो जाएगा। अभी बस से 2 घंटे और कार से डेढ़ घंटे लगते हैं।
इस मेट्रो लाइन पर कुल 11 स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है, जो इंदौर के लवकुश चौराहे से शुरू होकर उज्जैन रेलवे स्टेशन पर खत्म होगा। प्रस्तावित स्टेशन ये हैं: भौंरासला, बारोली, धरमपुरी, तराना, सांवेर, पंथपिपलई, निनोरा, त्रिवेणी घाट, नानाखेड़ा, उज्जैन ISBT और उज्जैन रेलवे स्टेशन।
प्रोजेक्ट में एक और खास बात यह है कि उज्जैन शहर में करीब 4.5 किलोमीटर का ट्रैक अंडरग्राउंड रहेगा। बाकी हिस्सा एलिवेटेड (सड़क के ऊपर) होगा। यह मेट्रो 135 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से दौड़ेगी, जो इसे देश की सबसे तेज मेट्रो लाइनों में से एक बनाएगी।
तैयार होने में लगेंगे 3 साल
हालांकि, मेट्रो से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कम से कम 3 साल का समय लगेगा। इसका मतलब है कि यह सिंहस्थ 2028 से पहले शुरू नहीं हो पाएगा। फिलहाल, राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता सिंहस्थ से जुड़े अन्य प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करना है।
इस प्रोजेक्ट के लिए बड़ा बजट जुटाना भी सरकार के लिए एक चुनौती है। इसलिए, अभी इस पर काम शुरू होने की संभावना कम ही लग रही है, जब तक कि सरकार सिंहस्थ के बाद इसे अपनी प्राथमिकता में न ले ले।
जमीन और डिपो का मामला
मेट्रो के लिए डिपो बनाने के लिए करीब 50 एकड़ सरकारी जमीन की तलाश थी, जो उज्जैन के आसपास नहीं मिल पाई। इसलिए, सांवेर के पास रेवती में जमीन मांगी गई है।
उज्जैन इंदौर मेट्रो का यह प्रोजेक्ट न केवल यात्रा का समय कम करेगा, बल्कि दोनों शहरों के बीच बढ़ते सड़क ट्रैफिक और हादसों को भी कम करने में मदद करेगा।