प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: अब GPS से होगी ‘सड़क’ की निगरानी, धांधली करने वालों का खेल खत्म

उज्जैन: भारत के गांवों में बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनने वाली हर सड़क, इस्तेमाल होने वाली हर मशीन और ठेकेदार की गतिविधियों पर जीपीएस (GPS) के जरिए नजर रखी जाएगी। इस नई व्यवस्था का मकसद काम में होने वाली धांधली और भ्रष्टाचार को रोकना है।
आखिर क्यों पड़ी GPS ट्रैकिंग की ज़रूरत?
अभी तक यह देखा गया है कि ग्रामीण इलाकों में सड़कें सिर्फ कागजों पर बन जाती हैं या अगर बनती भी हैं, तो कुछ ही महीनों में टूट जाती हैं। ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से कई बार घटिया काम होता है।
कभी पुरानी सड़क की मरम्मत को ही नया बताकर पैसा निकाल लिया जाता है, तो कभी एक ही सड़क का निर्माण दो बार दिखाया जाता है। इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने GPS ट्रैकिंग की शुरुआत की है।
कैसे काम करेगी यह नई व्यवस्था?
1. वाहनों पर GPS: सड़क बनाने में इस्तेमाल होने वाले हर वाहन, जैसे डंपर और रोड रोलर, में GPS ट्रैकर लगाया जाएगा।
2. रियल टाइम निगरानी: ये ट्रैकर सीधे भोपाल स्थित मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) के मुख्यालय से जुड़े होंगे।
3. हर मूवमेंट की जानकारी: अगर कोई मशीन सड़क निर्माण स्थल पर नहीं है या सिर्फ चलाई जा रही है लेकिन काम नहीं हो रहा, तो इसकी जानकारी तुरंत मिल जाएगी।
4. डेटा और पारदर्शिता: GPS से मिला सारा डेटा सीधे स्टेट और सेंट्रल डैशबोर्ड पर जाएगा, जिससे किसी भी तरह की धोखाधड़ी तुरंत पकड़ी जा सकेगी।
लापरवाही की अब कोई गुंजाइश नहीं
इस कदम से न सिर्फ काम की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकारी पैसा सही जगह पर इस्तेमाल हो।
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी राज्य इस प्रणाली को नहीं अपनाएगा, भविष्य में उसे मिलने वाली अनुदान राशि रोकी जा सकती है। अब ठेकेदारों को भी अपनी गाड़ियों में ट्रैकर लगाना अनिवार्य होगा।
MPRRDA के ईएनसी विजय गुप्ता के अनुसार, अब ठेकेदार का बिल पास करने से पहले GPS रिकॉर्डिंग की जांच की जाएगी। इससे पता चलेगा कि मशीनें कितनी देर चलीं और काम कितना हुआ। इस तकनीकी पहल से ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण और भी मजबूत और टिकाऊ बन सकेगा, जिसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा।