जावरा के ग्राम कुशलगढ़ में एक परिवार ने की इंसानियत की मिसाल पेश
माता पूजन के दिन पिता की मौत हो गई; समाजसेवी ने अपने घर और खर्च से करवाई आदिवासी भाई-बहन की शादी
दूल्हा-दुल्हन को लग्जरी कारों में बैठाकर स्टेज तक लाए, 1500 मेहमानों को दिया स्नेहभोज। वास्तविक सामाजिक समरसता और इंसानियत क्या होती है, इसका उदाहरण कुशलगढ़ निवासी समाजसेवी और किसान हीरालाल पाटीदार के परिवार ने पेश किया है। गांव के आदिवासी भाई-बहन के माता पूजन के दिन ही उनके पिता काे अटैक आया और निधन हो गया।

लग्न पहले ही लिखे गए थे, इसलिए शादी करना जरूरी थी। घर में गमी होने से सूतक लग गया। ऐसे में गांव के हीरालाल पाटीदार ने अपने घर से भाई-बहन की शादी करवाने की जिम्मेदारी ली। पूरा खर्च खुद ने किया। इस शादी में पाटीदार समाज से अपने रिश्तेदारों सहित करीब 1500 मेहमानों को स्नेहभोज दिया। सिर्फ ये ही नहीं दूल्हा-दुल्हन को लग्जरी कारों में बैठाकर रिसेप्शन में स्टेज तक लेकर भी आए। अब यह शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई।
शंकरलाल डिंडोर (44) के बेटे शांतिलाल और बेटी रीना की शादी होना थी। 14 फरवरी को माता पूजन के साथ मांगलिक कार्यक्रम शुरू हुए। उसी दिन दिल का दौरा पड़ने से शंकरलाल की मौत हो गई। इसके बाद सबसे बड़ी विडंबना थी कि शादी की बाकी रस्में कहां पूरी करें, क्योंकि उनके परिवार में सूतक बैठ गया। ये बात समाजसेवी हीरालाल पाटीदार को मालूम हुई तो उन्होंने परिवार के घर पहुंचकर कहा कि आप चिंता ना करें। बच्चों की शादी हम करेंगे और सारी रस्में हमारे घर होंगी।
इसके बाद 18 फरवरी को बनवाड़ा बरात ले जाकर शांतिलाल की शादी करवाई गई। इधर, रीना की शादी के लिए 19 फरवरी को नामली के पास भरोड़ा से संजय चौहान बरात लेकर पहुंचे और शादी भव्य स्वरूप में संपन्न हुई।
वहीं दूल्हा शांतिलाल ने बताया कि उनके पिता की तबियत बिगड़ने के बाद उनका निधन हो गया था जिसके बाद पाटिदार समाझ के परिवार ने उन्हें माता पिता का प्यार दिया और पूरी शादी को बहुत ही अच्छे और प्यारे ढंग से कराई और 1500 सो से ज्यादा शादी में मेहमानों को बुलाया और सभी को तीन चार पकवानों के साथ भेजन कराया हमे बिल्कुल भी पिता जी की कमी महसूस नहीं होने दी पूरे परिवार ने बहुत प्यार दिया सभी शादी की रस्मे पूरी की
वहीं गाँव कुशलगढ़ के 5 भाइयो वाले पाटीदार परिवार के सदस्य बालमुकुंन पाटीदार ने बताया कि हम सब भाइयो ने आपस में मिलकर राय कर दोनो बेटा बेटी की शादी की और अपनी बेटी और बेटे की तरह दोनो के विवाह को सम्पन कराया हमारे भय्या ने बेटी का कंन्या दान किया साथ ही सभी रस्मे भी निभाई