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सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन में संतों में दो फाड़: वैष्णव अखाड़ों ने बनाया अलग ‘रामादल अखाड़ा परिषद’

शैव संप्रदाय ने कहा - सिंहस्थ 2028 का नेतृत्व करेगी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, उज्जैन की स्थानीय परिषद भंग

उज्जैन। आगामी सिंहस्थ 2028 महाकुंभ से पहले ही धर्मनगरी उज्जैन में साधु-संतों के बीच बड़ा मतभेद सामने आया है। रविवार 30 नवंबर 2025 को स्थानीय अखाड़ा परिषद के भंग होते ही शैव और वैष्णव  संप्रदायों के अखाड़ों में स्पष्ट रूप से दो फाड़ हो गए हैं।

वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों (निर्मोही, दिगंबर, निर्वाणी) ने अलग होकर एक नया संगठन ‘रामादल अखाड़ा परिषद’ बनाने की घोषणा कर दी है। संतों ने स्पष्ट कहा है कि अब वे सिंहस्थ से जुड़े किसी भी मुद्दे पर प्रशासन से बातचीत शैव अखाड़ों के साथ नहीं करेंगे, बल्कि अपनी बातें अलग से रखेंगे।

स्थानीय परिषद भंग होते ही बढ़ा विवाद

विवाद की शुरुआत रविवार 30 नवंबर 2025 को हुई जब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज और महामंत्री हरिगिरि महाराज उज्जैन पहुँचे।  शिप्रा नदी किनारे दत्त अखाड़े में हुई आपात बैठक में स्थानीय अखाड़ा परिषद को तत्काल प्रभाव से भंग करने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में स्थानीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरि महाराज, उपाध्यक्ष महंत आनंदपुरी महाराज और प्रवक्ता महंत श्याम गिरि महाराज ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। दत्त जूना अखाड़े में हुई इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्रीमहंत आनंदपुरी महाराज ने घोषणा की कि पूर्व में साधु-संतों के छोटे कार्यों के लिए गठित स्थानीय अखाड़ा परिषद को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। उन्होंने कहा कि चूँकि अब सिंहस्थ जैसा बड़ा महाआयोजन होना है, इसलिए सभी स्थानीय महंतों ने अपने त्यागपत्र सौंपकर स्थानीय परिषद को भंग करने का फैसला किया। अब सिंहस्थ 2028 की संपूर्ण व्यवस्था और कार्य निम्नलिखित प्रमुखों के नेतृत्व में होगा:

  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष: श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज

  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक: श्रीमहंत हरि गिरि महाराज

बैठक में उपस्थित सभी स्थानीय अखाड़ों ने एकमत से इन दोनों श्रीमहंतों के नेतृत्व में कार्य करने की घोषणा की। स्थानीय स्तर पर होने वाली सभी चर्चाएं, समस्याओं का समाधान और कार्य भी इन्हीं के मार्गदर्शन में किए जाएंगे। इस बैठक में लिए गए निर्णय की सूचना तत्काल प्रभाव से शासन और प्रशासन को भेज दी गई है। उन्हें सूचित किया गया है कि सिंहस्थ संबंधित सभी कार्य, पत्राचार और संवाद अब से केवल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ ही किए जाएं। इस महत्वपूर्ण बैठक में जूना अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, आव्हान अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और श्री पंच निर्मल अखाड़े सहित सभी प्रमुख संप्रदायों के स्थानीय महंत और प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने एक स्वर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नेतृत्व पर अपनी सहमति जताई।

वैष्णव संतों ने मंगलनाथ रोड पर ली अलग बैठक

स्थानीय परिषद के भंग होने की सूचना के तुरंत बाद वैष्णव संप्रदाय से जुड़े महंतों और महामंडलेश्वरों ने मंगलनाथ रोड स्थित श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़े में अपनी आपात बैठक बुलाई। लगभग एक घंटे चली इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि:

  1. स्थानीय अखाड़ा परिषद को पूर्ण रूप से भंग कर दिया जाए।

  2. अब ‘रामादल अखाड़ा परिषद’ का गठन किया जाएगा और इसके पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

रामादल अखाड़ा परिषद के नए पदाधिकारी

नया गठित रामादल अखाड़ा परिषद शैव अखाड़ों से अलग रहकर सिंहस्थ की व्यवस्थाओं पर अपनी राय रखेगा। नए संगठन में निम्नलिखित पदाधिकारियों को नियुक्त किया गया:

पद पदाधिकारी
अध्यक्ष महंत रामेश्वरदास जी
संरक्षक मुनि क्षरणदस, अर्जुनदास खाकी अखाड़ा, महंत भगवानदास
उपाध्यक्ष महंत काशीदास जी, रामचंद्रदास जी दिगंबर अखाड़ा, हरिहर रसिक खेड़ापति
कोषाध्यक्ष महेशदास और राघवेंद्र दास जी
मंत्री बलरामदास महाराज जी
महामंत्री चरणदास जी, महंत दिग्विजयदास जी

 

“शैव संप्रदाय से अब हमारा कोई संपर्क नहीं”

रामादल अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत भगवान दास ने स्पष्ट किया कि, “शैव अखाड़ों के संतों को असंतुष्ट देखते हुए अखाड़ा परिषद को भंग कर दिया गया। आज से शैव सम्प्रदाय से हमारा कोई संपर्क नहीं रहेगा।”

उन्होंने आगे कहा कि वैष्णव संप्रदाय के तीनों अखाड़े (निर्मोही, दिगंबर और निर्वाणी) मिलकर रामादल अखाड़ा परिषद के माध्यम से काम करते रहेंगे। अब कुंभ के लिए प्रशासन के साथ होने वाली बैठकों में रामादल अखाड़ों की ओर से हम जाएंगे। शैव सम्प्रदाय के साथ हमारी बैठक नहीं होगी, हम अपनी मांगें अलग रखेंगे।

-हरिओम राय

 

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