अष्ट भैरव की नगरी भी है उज्जैन, जन्मोत्सव पर शराब-गांजा-सिगरेट के भोग लगे
अष्ट भैरव में प्रमुख काल भैरव हैं महाकाल के सेनापति, भैरव अष्टमी पर महाकाल की नगरी भेरू पूजन में जुटी

अष्ट भैरव भी भगवान महाकाल की नगरी मेें विराजित हैं। भैरव अष्टमी पर इन भैरव मंदिरों में पूजन अनोखे रूप मेें हुई। भैरव को भगवान महाकाल की सेना के रूप में जाना जाता है, जिसमें बाबा कालभैरव उनके सेनापति है, अष्टभैरव आठों दिशाओं में विराजित होकर नगर की रक्षा करते हैं। महाकाल की नगरी के साथ ही उज्जैन भैरव की भी नगरी है। कहा जाता है यहां पर हर गली-गली में भैरव बाबा विराजित हैं। भैरव जयंती पर इन सभी जगह तमाम धार्मिक आयोजन हुए।
कौन है अष्टभैरव और उज्जैन में कहां विराजित
उज्जैन में विराजित अष्ट भैरव में काल भैरव, बटुक भैरव, विक्रांत भैरव, आताल- पाताल भैरव, काला-गोरा भैरव, दंड पाणी भैरव, आनंद भैरव अलग-अलग दिशाओं में विराजमान है, जिनके दर्शन और पूजा करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। भैरव को भगवान महाकाल का पांचवां रुद्र अवतार और भैरवी (गिरिजा) को उनकी शक्ति माना गया है। भैरवावतार भगवान शंकर का ही रौद्र रूप है। वेदों में जिसे रुद्र कहा गया है, वहीं तंत्र में भैरव नाम से अभिहित है। महादेवजी के त्रिशूल की नोक पर स्थित काशी नगरी में उन्हें काशी का कोतवाल और उज्जयिनी में महाकाल का सेनापति कहा जाता है। दोनों ही मुख्य भैरव नगरियां मानी जाती है।
अष्ट भैरव 1 : काल भैरव
महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन अपने मंदिरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां स्थित काल भैरव को भगवान महाकाल का सेनापति माना जाता है। देश-विदेश से भक्त यहां काल भैरव के दर्शन करने पहुंचते हैं। उज्जैन में भगवान काल भैरव को भगवान महाकाल का सेनापति माना जाता है। कोतवाल की इजाजत के पहले राजाधिराज के दरबार में हाजिरी नहीं लगाई जाती। इसी कारण श्रद्धालु पहले काल भैरव का आशीर्वाद लेते हैं, इसके बाद भगवान महाकालेश्वर के दरबार में पहुंचते हैं। काल भैरव का स्थान शिप्रा किनारे भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित है। यहीं पर केंद्रीय कारागार भैरवगढ़ भी है। भैरव अष्टमी पर काल भैरव की देर रात महाआरती होती है और अगले दिन भैरवनाथ की सवारी निकलती है।
अष्ट भैरव 2 : श्री विक्रांत भैरव
उज्जैन नगर से 5 किमी दूर भैरवगढ़ में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर एक अति प्राचीन चमत्कारी क्षेत्र है श्री विक्रांत भैरव मंदिर। अष्ट भैरव में से दूसरे नम्बर पर आते है विक्रांत भैरव। इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु तो आते है लेकिन रात होते होते यहां तांत्रिक बाबाओं का जमावड़ा होने लगता है। ऐसी मान्यता है कि यहां विक्रांत भैरव नाम से प्रसिद्ध मंदिर में तंत्र मन्त्र साधना करने से कार्य कभी विफल नहीं होती। इसलिए दूर दूर से तांत्रिक यहां सिद्धि प्राप्त करने आते है। यह कालभैरव मंदिर के सामने कुछ दूरी पर ओखलेश्वर श्मशान भूमि पर स्थित है। ओखलेश्वर श्मशान शिप्रा के दोनों तट तक फैला हुआ है।
अष्ट भैरव 3 एवं 4 : श्री काला भैरव-गोरा भैरव मंदिर
उज्जैन में ढाबा रोड़ मुख्य मार्ग पर गेबी हनुमान मंदिर की गली के सामने ही भैरवजी के दो मंदिर स्थापित हैं। इनमें दाईं ओर स्थित मंदिर में श्री काला भैरव की मूर्ति सड़क मार्ग से करीब 2 फीट ऊंचे गर्भगृह में स्थापित है। गर्भगृह में यह मूर्त्ति बाई ओर हटकर स्थापित है जबकि दाई ओर स्थान खाली पड़ा है। बाई ओर गोरा भैरव की प्रतिमा है। छोटा-सा यह मंदिर भी सड़क से करीब ड़ेढ़ फीट ऊंचा है। यह मूर्ति भी जागृत है।
अष्ट भैरव 5 : श्री बटुक भैरव
स्कन्द महापुराण में महादेवजी ने देवी पार्वती को अवन्ती क्षेत्र के अष्ट भैरवों के जो नाम बताए, उनमें पांचवें क्रम पर श्री बटुक भैरव का नाम गिनाया है। मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन शहर के एकमात्र प्रमुख श्मशान चक्रतीर्थ के ठीक पहले बाईं ओर ऊपर ही बना है जिसके द्वार से होकर दाईं ओर जाने पर कुछ सीढ़ियां उतरकर पूर्वाभिमुखी बटुक भैरव के मुण्डस्वरूप में बाल छवि के दर्शन होते हैं।
अष्ट भैरव 6 : श्री आताल -पाताल भैरव
स्कन्द महापुराण के अवन्ती-माहात्म्य-खण्ड में आताल-पाताल भैरव का मंदिर सिंहपुरी में बताया है। इनका यह नाम इस माने में अर्थसिद्ध है क्योंकि इसकी मूल आकृति का आधा निचला भाग भूमिगत तथा ऊपरी आधा भाग ऊपर था। देवमूर्ति पिण्डात्मक एवं सिंदूरअर्चित है तथा महाभैरवजी का केवल मुण्ड ही दिखाई देता है। यह मंदिर अति प्राचीन होने से भगवान महाभैरव द्वारा भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण की जाती हैं।
अष्ट भैरव 7 : श्री आनंद भैरव
श्री आनंद भैरव मंदिर शिप्रा नदी की पुरानी छोटी रपट (पुल) के बाईं ओर विभिन्न घाटों से होकर जाने वाले प्रसिद्ध रामघाट मार्ग पर ही बाईं ओर स्थित है। यह वर्तमान में एक शताब्दी पूर्व तक मल्लिकार्जुन कहे जानेवाले क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से बाहर से तो अति प्राचीन नहीं दिखता है, किन्तु देव-प्रतिमा के दर्शन करने तथा प्रतिमा के दाएं और बाएं विद्यमान मूर्तियों एवं स्तंभों की अंशत: दृष्टव्य आकृतियों के आधार पर नि:संदिग्ध रूप से अति प्राचीन लगता है।
अष्ट भैरव 8 : श्री दण्डपाणि भैरव
श्री दण्डपाणि भैरव मंदिर शिप्रा तट के पास स्थित कालिदास उद्यान के मध्य भाग में स्थित है। करीब 450 वर्गफीट के चारों ओर 3 फीट ऊंची दीवारों तथा 12 फीट ऊंची छत तक चौतरफा लोहे के सरियों से अभिरक्षित कक्ष के मध्य स्थित केवल 20 वर्गफीट के गर्भगृह में भैरवजी की सिंदूरअर्चित मुण्डाकृति मूर्ति समतल भूमि पर पिण्डवत विराजित है।
अष्टविनायक की नगरी उज्जैन में अष्टमी पर हुए अनूठे आयोजन
उज्जैन में शनिवार 23 नवंबर 2024 को भैरव अष्टमी पर भैरव मंदिरों के साथ ही कई मंदिरों में विशेष पूजन, हवन, अनुष्ठान और भंडारे आयोजित किए गए। उज्जैन शहर के प्रमुख श्मशान घाट चक्रतीर्थ स्थित भैरव महाराज के मंदिर पर भैरव अष्टमी पर श्री योगी बाबा बम-बम नाथ सेवा समिति द्वारा भगवान की आरती की गई। श्री योगी बाबा बमबमनाथ गब्बर बाबा एवं धर्मेंद्र जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि चक्रतीर्थ शमशान पर बाल योगी संत बम-बम नाथ महाराज की उपस्थिति में सहस्त्र धारा यज्ञ किया गया और यज्ञ में 108 शराब की बोतलों का भोग लगाया गया। मदिरा की 108 प्रकार की बोतल मंगाई गई थी। इस दौरान बड़ी संख्या में अघोरी विद्या को मानने वाले श्रद्धालु उपस्थित थे। जिन्होंने भैरव पूजन में हिस्सा लिया।

56 भैरव मंदिर में 20 तरह की शराब का भोग, गांजा-तंबाकू भी अर्पित
भैरव अष्टमी पर शनिवार 23 नवंबर 2024 को उज्जैन के 56 भैरव मंदिर में गांजा-भांग, शराब आदि का 56 भोग लगाया गया। भगवान भैरवनाथ को 1500 से अधिक चीजें अर्पित की गईं। इस भोग में 20 तरह के शराब, रम – विस्की, गांजा, चिलम, भांग, 15 तरह की बीड़ी – सिगरेट, 30 तरह की तंबाकू, सादे पाउच शामिल हैं। रात 12 बजे महा आरती होगी। अष्टमी पर्व पर 56 भैरव मंदिर को फूलों के अलावा शराब की बोतलों से सजाया गया है। बाबा भैरव का श्रृंगार चांदी की पगड़ी से हुआ। भैरव मंदिर में हर साल अष्टमी को 56 भोग के लिए भव्य श्रृंगार किया जाता है। इस बार भी भैरव भगवान को लगे भोग को भक्तों में बांटा जाएगा।
इन वस्तुओं का भोग लगा – 20 तरह की देसी और विदेशी शराब, रम, विस्की, वोडका, बीयर, शैम्पेन, गांजा, अफीम, चिलम, भांग, 400 से ज्यादा तरह की अगरबत्ती, 200 तरह के इत्र, 180 तरह के मुखवास, 130 तरह के नमकीन, 80 तरह की मिठाई, 64 तरह की चॉकलेट, 45 तरह के बिस्किट, 75 तरह के सूखे मेवे, 30 तरह की गजक, 28 तरह की सॉफ्ट ड्रिंक, 28 तरह के फल, 40 तरह के बेकरी आइटम, 60 तरह के पाउच, सिगरेट, बीड़ी, घर की बनी सब्जी-पूड़ी, मालपुआ, 30 तरह के पान आदि का भोग लगाया गया।
कालभैरव मंदिर में आधी रात को हुई आरती
भैरव अष्टमी शनिवार 23 नवंबर 2024 को भगवान महाकाल के सेनापति काल भैरव मंदिर में सुबह से देशभर के दर्शनार्थियों की भीड़ दर्शन के लिए लगी रही। बाबा भैरवनाथ का सुबह पूजन किया गया। शाम को विशेष श्रृंगार और रात 12 बजे आरती की गई। काल भैरव मंदिर से रविवार को सवारी निकाली गई। श्री काल भैरव मंदिर में शनिवार को सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचने लगे थे। दोपहर में भगवान का अभिषेक पूजन का दौर चलता रहा। काल भैरव के पुजारी ओम प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि काल भैरव महाराज का पूजन, अभिषेक, नामावलियों का पठन और मध्य रात्रि में श्रृंगार के बाद महाआरती हुई। जिसमें भगवान काल भैरव को सभी आभूषण धारण कराए गये।
विक्रांत भैरव पर भी हुए कई धार्मिक आयोजन
काल भैरव मंदिर से कुछ ही दूरी पर शिप्रा तट पर स्थित श्री विक्रांत भैरव मंदिर पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। मंदिर के निलेश विश्रोई ने बताया कि भैरव अष्टमी पर विक्रांत भैरव के भक्त डबराल बाबा के नियमों के अनुसार पूजन, अनुष्ठान, भंडारे का आयोजन किया गया। दोपहर में अभिषेक के बाद हवन-श्रृंगार किया गया और 56 पकवानों का भोग लगाया गया। इसके बाद आरती होगी। श्री विक्रांत भैरव की रात 12 बजे आरती हवन के बाद रात्रि जागरण कर भगवान का पूजन अभिषेक किया गया।
महाकाल मंदिर में रूद्र भैरव को लगाया पकवानों का भोग
श्री महाकालेश्वर मंदिर के कोटितीर्थ कुंड पर स्थित श्री रूद्र भैरव मंदिर पर भगवान का पूजन-अभिषेक किया गया। मंदिर के पुजारी पं. सुरेंद्र चौबे ने बताया कि शिव मंदिरों में भगवान भैरव का स्थान भी होता है। भैरव बाबा देवाधिदेव भगवान शिव के सेनापति है। शनिवार को भैरव अष्टमी पर भगवान भैरव नाथ का विशेष पूजन-अभिषेक कर श्रृंगार किया गया। यहां पर 56 पकवानों का भोग अर्पित किया गया। मंदिर के महेश पुजारी सहित अन्य पुजारी, पुरोहितों की उपस्थिति में सुबह आरती की गई।

भगवान वीरभद्र को लगाया 56 भोग, महाआरती की
महाकाल मंदिर स्थित भगवान वीरभद्र का काल भैरव अष्टमी पर विशेष श्रृंगार 56 भोग वह भव्य महा आरती का आयोजन धर्मस्य पुजारी ने मिलकर किया विशेष रूप से कमलकांत शर्मा, सुभाष शर्मा, भूषण व्यास, तिलक व्यास, नवनीत शर्मा आदि धर्मस्य पुजारियों का विशेष सहयोग रहा।
हरिओम राय @ उज्जैन
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